राजीव दीक्षित की विचारधारा के अनुरूप राष्ट्र खड़ा क्यों नहीं हो पा रहा है ! Yogesh Mishra

निसंदेह राजीव दीक्षित का चिंतन और उनकी विचारधारा राष्ट्र को एक सशक्त स्वरूप में खड़ा कर सकती है ! राष्ट्र के नागरिकों का आहार-विहार-विचार जो आज दूषित है, यही राष्ट्र के पतन का कारण है ! जिसे निरंतर राजीव दीक्षित ने अपने जीवित रहते इंगित किया था ! आज उनके न रहने के बाद लगभग 10 करोड़ से अधिक लोगों ने उनकी विचारधारा को सुना समझा और जाना ! लेकिन इसके बाद भी आज तक राष्ट्र राजीव दीक्षित की विचारधारा के साथ नहीं खड़ा हो पाया है ! इसके मुख्य पांच कारण हैं :-

नंबर 1 भारत के राजनीतिज्ञ

राजीव दीक्षित की विचारधारा विशुद्ध राष्ट्रवादी थी ! ऐसी स्थिति में भारत के वर्तमान राजनीतिज्ञ कभी यह नहीं चाहते हैं कि भारत में विशुद्ध राष्ट्रवाद पनपे ! क्योंकि भारत के राजनीतिज्ञ जानते हैं कि उनकी राजनीति की दुकान भारत में तभी तक चल सकती है, जब तक भारत में राष्ट्रवाद नहीं है !

यदि भारत में भारत का आम आवाम राष्ट्रवादी होगा तो इन राजनीतिज्ञों की अरबों रुपये देने वाली दुकानें बंद हो जाएंगी ! इसलिये भारत के राजनीतिज्ञ कभी नहीं चाहते हैं कि राजीव दीक्षित जैसे मेधावी चिंतक का राष्ट्रवादी द्रष्टिकोण भारत के अंदर लागू हो ! इसीलिये उनकी विचारधारा को रोकने के लिए यह राजनैतिक तरह तरह के उपाय समय-समय पर भारत में करते रहते हैं फिर चाहे वह दूरदर्शन और पत्रिकाओं पर अप्रत्यक्ष प्रतिबंध ही क्यों न हो !

नंबर दो हमारा सीमित चिंतन

राजनीतिज्ञों को मात्र दोष देने से कोई लाभ नहीं होगा ! दोष हमारा अन्दर भी है ! हमने राजीव दीक्षित की विचारधारा को समझ तो लिया लेकिन अपने संस्कार और समझ के अनुरूप उसे विकसित नहीं होने दिया ! कुछ लोग राजीव दीक्षित की बताई हुई विचारधारा पर कुछ उत्पाद बनाकर बेचने लगे ! तो कुछ लोगों ने दवाईयों की दुकान खोल ली ! लेकिन राजीव दीक्षित के अनुयायियों ने कभी भी एकमत होकर राजीव दीक्षित के समग्र चिंतन को भारत में लागू करने का प्रयास नहीं किया !

जिसके जैसे संस्कार थे, उसने राजीव दीक्षित की विचारधारा को उस रूप में बेचा ! कोई पंचगव्य बना रहा है, तो कोई साबुन बना रहा है ! कोई मिट्टी के बर्तन बना रहा है तो कोई जड़ी बूटी पीस कर बेच रहा है ! आदि आदि

लेकिन राजीव दीक्षित की समग्र विचारधारा इस सबसे बहुत ऊपर थी ! वह पूर्ण राष्ट्रवादी थी ! जिस पर आज तक कोई समग्र कार्य नहीं किया गया और जिन मुट्ठी भर साथियों ने समग्र कार्य करने की का प्रयास किया ! उन्हें कभी भी राजीव दीक्षित के अनुयायियों ने अपने छोटे छोटे स्वार्थों के कारण सहयोग नहीं किया ! उसी का परिणाम है कि आज एक दूसरे पर तंज कसने के अलावा राजीव दीक्षित के अनुयाई और कहीं नहीं पहुंच पाये हैं !

नंबर 3 भारत की पूंजीवादी व्यवस्था

राजीव दीक्षित की विचारधारा पूर्णता समाजवादी थी ! उनका यह मत था कि जब तक समाज के आखिरी व्यक्ति को राजव्यवस्था का लाभ मिले, वह राजव्यवस्था कभी भी राष्ट्र के हित में नहीं हो सकती है ! ऐसी स्थिति में उन्होंने निरंतर पूंजी के एकीकरण का विरोध किया था ! क्योंकि वह जानते हैं कि यदि देश की पूंजी कुछ विशेष व्यवसाय घरानों के नियंत्रण में रहेगी तो निश्चित रूप से राष्ट्र के व्यक्तियों का शोषण होता रहेगा !

इसलिये उन्होंने भारत के व्यवसायिक घरानों आधारित पूंजीवादी व्यवस्था का सदैव विरोध किया था ! वर्तमान समय में भारत की अति संपन्न पूंजीवादी व्यवस्था भारत के कुछ पूंजीवादी घरानों तक ही सीमित है ! इसीलिए यह लोग राजीव दीक्षित की विचार धारा का साथ नहीं देते हैं ! उन्हें भय है कि यदि राजीव दीक्षित की विचारधारा समग्र रूप से यदि पूरे भारत में लागू हो जाएगी तो उन्होंने भारतीय संपदा पर जो अपना एकाधिकार जमा रखा है वह नियंत्रण उनके हाथ से निकल जाएगा ! इसलिए भारत की पूंजीवादी व्यवस्था के समर्थक कभी भी राजीव दीक्षित की विचारधारा के साथ खड़े नहीं होते हैं !

नंबर 4 भारत के विरुद्ध षड्यंत्र करने वाली अंतरराष्ट्रीय महाशक्तियां

भारत के आंतरिक पूंजीवादी व्यवसायियों के अलावा भारतीय संपदा पर विदेशी षड्यंत्र कारियों की भी निगाह लगी हुई है ! यह अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्रकारी भारत की संपदा का सही मूल्यांकन कर उसे अपने नियंत्रण में लेना चाहते हैं ! जिसके लिए समय-समय पर सार्थक प्रयास भी कर रहे हैं ! यह विदेशी षड्यंत्रकारी कभी यह नहीं चाहते हैं कि राजीव दीक्षित की विचारधारा के अनुरूप समाज में जनमानस तैयार हों ! क्योंकि इस तरह का जनमानस उनके भविष्य की योजनाओं में अवरोधक होगा !

राजीव दीक्षित जी की विचारधारा पूर्णता विदेशी व्यवसायियों के विपरीत है और स्वदेशी आधारित उद्योग जगत के समर्थन में रही है ! अंतरराष्ट्रीय व्यवसायिक षड्यंत्रकारी जिनकी निकाह भारतीय संपदा पर लगी हुई है वह भारत में राजीव दीक्षित के विचार धारा को फैलने नहीं देना चाहते हैं !

पांचवा :- जो सबसे महत्वपूर्ण विषय है ! वह है नौजवानों में चिंतन करने का अभाव ! आज भारत का नौजवान कान के अंदर एयर फोन लगाकर विदेशी गानों पर इतराने के अलावा और किसी चीज में रुचि नहीं रखता है ! इसे या तो महिला मित्र चाहिये या फिर वह बीयर की दुकान पर खड़े दिखाई देते हैं ! ऐसी स्थिति में जब भारत का नौजवान शराब, शबाब और विदेशी मनोरंजन में उलझ कर रह गया है !

अब राजीव दीक्षित के सपनों को साकार कौन करेगा ! इन नौजवानों को एक योजना के तहत विदेशी शक्तियों द्वारा भारतीय राजनीतिज्ञों की मदद से इस तरह के राष्ट्र विरोधी चिंतन में जानबूझ कर लगाया गया है ! यह निश्चित रूप से सत्य है कि अगर अगले 20 वर्ष तक भारत के नौजवान इसी दिशा पर चलते रहे तो इन विदेशी षड्यंत्रकारियों को भारतीय संपदा पर नियंत्रण करने में कोई नहीं रोकेगा और भारत के राजनीतिज्ञ तो पहले से ही इन विदेशी षड्यंत्र कारियों के मददगार हैं !

इस वजह से न तो भारतीय राजनीतिज्ञों की भारतीय युवाओं को दिशा देने में कोई रूचि है और न ही भारतीय पूंजी पतियों की ! विदेशी षड्यंत्रकारी भारतीय संपदा को प्राप्त करने के लिये एक बड़ी और व्यवस्थित योजना के तहत इन नौजवानों को सही मार्ग पर नहीं आने देना चाहते हैं !

यह स्थिति बहुत भयावह है ! इसका समाधान निरंतर जागरूकता और आत्मचिंतन ही है ! जब तक नौजवानों में स्वयं जागरूकता और विश्लेषण करने की क्षमता विकसित नहीं होगी, तब तक कोई भी व्यक्ति भारत के अंदर किसी भी राष्ट्रवादी विचारधारा को बहुत लंबे समय तक नहीं रख सकेगा !

राजीव दीक्षित जी जैसा मेधावी व्यक्ति भी पूरे जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित सहयोगी ही ढूंढता रहा है और अंततः मर गया ! उसे अपने जीवन काल में दो तीन साथियों से अधिक प्राप्त नहीं हुये ! जो उसकी विचार धारा को आज भी जिन्दा बनाये हुये हैं ! 125 करोड़ की आबादी वाले देश में अगर 100 लोग भी राजीव दीक्षित जैसे होते तो आज देश की दशा और दिशा किसी और तरफ होती है ! लेकिन यह दुर्भाग्य है 125 करोड़ की आबादी वाले देश में राजीव दीक्षित अपने जीवन के 40 साल लगाने के बाद भी 100 राष्ट्रवादी व्यक्ति नहीं ढूंढ पाये ! यही राष्ट्रवादयों की हार है और आज भी देश इसी आभाव में भटक रहा है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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