गौरक्षकों से इतनी नफ़रत क्यों कर रहे है भाजपाई नेता ? Yogesh Mishra

गौरक्षकों से इतनी नफ़रत क्यों है ?

जैसा कि मुझे मिडिया के माध्यम से सूचना मिली कि “गौ रक्षा के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं : मोदी” इस तरह का तथाकथित राष्ट्रवादी राजनैतिक दल के मुखिया के बयान के बाद उन्हीं के “यूनियन मिनिस्टर रामदास अठावले” ने “गौ रक्षकों को नरभक्षी” बतलाया है ! शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि “हर किसी को बीफ खाने का हक है !” आठवले का यह बयान नागपुर में “बीफ” ले जाने के शक में गोरक्षकों द्वारा एक शख्स की पिटाई के बाद आया !

आठवले ने कहा कि “हिंसक गोरक्षक” मोदी सरकार की इमेज खराब कर रहे हैं ! उन्होंने ऐसे “गोरक्षकों” को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की और यह भी बतलाया कि “बकरे का मांस महंगा है इसलिए लोग “बीफ” खाते हैं ! अतः गोरक्षकों को कानून अपने हाथ में लेने का कोई हक नहीं है !

बता दें कि “गौ रक्षा” के नाम पर देशभर में हो रही हिंसा पर पिछले महीने माननीय नरेंद्र मोदी जी ने भी दुख जताया था ! गुजरात के साबरमती आश्रम में उन्होंने कहा था, “क्या हमें गाय के नाम पर किसी इंसान को मारने का हक मिल जाता है ? क्या इस तरह की हिंसा गो-भक्ति है ? यह कभी भी गांधीजी या विनोबाजी का रास्ता नहीं हो सकता है !

हम “गौ रक्षा” के नाम पर कैसे अपना आपा खो रहे हैं ? क्या हम गाय के नाम पर इंसान को मार देंगे ?” मोदी जी ने देश में “गौ रक्षा” के नाम पर बढ़ती हिंसा के तीन उदाहरण भी दिए थे और कहा था कि “गाय हमारी मां की तरह है ! लेकिन फिर भी किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का हक नहीं है ! अगर कोई ऐसा करता है तो राज्य सरकार को उसके ऊपर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए!“

देश के प्रधानमंत्री का यह वक्तव्य मानवीय सम्वेदनाओं से भरा हुआ था, लेकिन इस पूरे के पूरे वक्तव्य में पक्षपात की गूंज थी क्योंकि गौरक्षकों के द्वारा उठाए गए कदम की तो हमारे प्रधानमंत्री ने पूरी तीव्रता के साथ भत्सर्ना की किंतु जो लोग विधि विरुद्ध तरीके से गायों को क्रूरतापूर्वक ट्रकों में भरकर हत्या हेतु ले जाते हैं और बिना किसी अपराध के इन गायों का कत्ल कर देते हैं ! उस समाज को हमारे प्रधानमंत्री ने कोई भी नैतिक दिशा निर्देश नहीं दिया ! क्या यह राजनीतिक मजबूरी है या देश की व्यवस्था में इन अपराधियों का सीधा हस्तक्षेप है !

आज हिंदू समाज यह जानना चाहता है कि जिस “हिंदुत्व” का नारा लगाकर इस देश की तथाकथित राष्ट्रवादी पार्टी जब सत्ता में आई है तो वह सत्ता में आते ही “हिंदुत्व विरोधी” क्यों हो जाती है ? इनसे पूर्व में भी जो राजनीतिक दल सत्ता में था ! उसके प्रधानमंत्री ने जब खुलेआम यह कहा था कि “भारत के सभी संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है !” तब इन्हीं तथाकथित राष्ट्रवादीयों ने पूर्व प्रधानमंत्री की आलोचना की थी, लेकिन आज स्वयं उसी मार्ग पर चल रहे हैं !

मुझे आज तक समझ में यह नहीं आया कि प्रधानमंत्री पद पाते ही वह कौन सी मजबूरी हो जाती है कि हिंदुस्तान के अंदर हिंदुओं के अधिकारों को उठाकर एक किनारे फेंक दिया जाता है और लाख अपराध करने के बाद भी अल्पसंख्यकों को निर्दोष, नासमझ, बहका हुआ, नागरिक मान कर उन्हें राजनैतिक संरक्षण प्रदान किया जाना शुरू कर दिया जाता है और उनके हर अपराध माफ कर दिए जाते हैं ! विचारणीय प्रश्न यह है कि “क्या हिंदुस्तान में हिन्दू होना ही एक अपराध है ?” यह एक पक्षीय राजनीति न तो राष्ट्र के हित में ही उचित है और न ही हिंदुत्व के हित में !

दूसरा एक तर्क यह भी है कि गायों की रक्षा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने अनेक कानून बनाए हैं ! आज देश की शासन और प्रशासन व्यवस्था उन कानूनों का कड़ाई से पालन कराने में अक्षम प्रतीत होती है और सच्चाई यह भी है कि इस शासन प्रशासन की मिलीभगत से ही गौ हत्या या गौ तस्करी होती है किन्तु फिर भी उन भ्रष्ट अधिकारियों पर पर न तो केंद्र और न ही राज्य कोई कार्यवाही करता है ! अगर यह सब वेतन भोगी अधिकारी ईमानदारी से विधि अनुसार कार्य करें तो गौ रक्षकों को कुछ करने की जरुरत ही न पड़े !

यह स्पष्ट जान लीजिए कि ‘‘जो पुरूष धर्म का नाश करता है, “धर्म” उसी का नाश कर देता है और जो धर्म की रक्षा करता है, “धर्म भी” उसकी रक्षा करता है ! इसलिए “मारा हुआ धर्म” कहीं हमको न मार डाले, इस भय से धर्म का हनन अर्थात् त्याग कभी न करना चाहिए!“

क्योंकि “धर्म की रक्षा से ही व्यक्ति की रक्षा है” और जिस राष्ट्र में उस राष्ट्र का “मौलिक धर्म” नष्ट हो जाता है ! उस राष्ट्र को भी नष्ट होने से कोई नहीं बचा सकता ! जैसाकि कि आज विश्व के विभिन्न हिस्सों में देखा जा रहा है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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