आज भारत विश्व गुरु क्यों नहीं बन सकता है ! : Yogesh Mishra

कल मेरे एक साथी का मेरा हाल चाल जानने के लिये फोन आया ! वह कोरोना वायरस के कारण चीन की आर्थिक बर्बादी से बहुत खुश थे ! मेरे साथी ने बढ़े उत्साह से मुझसे कहा कि अगर चीन आर्थिक रूप से खत्म हो जाये तो निश्चित ही भारत विश्व गुरु बन जायेगा !

मैंने इस पर उनको जो जवाब दिया उस पर आप भी विचार कीजिये ! मैंने उनसे कहा की वर्तमान परिवेश को देखते हुये मुझे नहीं लगता कि भारत निकट भविष्य में कोई विश्व गुरु बनने वाला है !

इसके कई कारण हैं ! सबसे पहला कारण तो यह है कि भारत का आम आवाम भारत को विश्व गुरु बनाना ही नहीं चाहता है ! इसके दो तीन उदाहरण मैं दे रहा हूं !

पहला जिस देश के आम नागरिकों की सोच किसी तरह पढ़ाई पूरी करके जीवन निर्वाह के लिये मात्र नौकरी करने की हो ! जो व्यक्ति उद्यम या व्यापार, व्यवसाय नहीं करना चाहता हो ! उन व्यक्तियों का समूह भारत को कैसे विश्व गुरु बना सकेगा !

दूसरी बात भारत की जो प्रशासनिक व्यवस्था है ! उसमें देश के प्रधानमंत्री ने जो मेक इन इंडिया का नारा देकर भारत के बेरोजगार युवाओं को लघु उद्योग के लिये प्रेरित किया था और उन्हें इन युवाओं को अनेकों तरह की सुविधायें उपलब्ध करवाई थी ! वह सभी स्टार्टअप भारत में इसलिये ध्वस्त हो गये कि भारत के बेईमान प्रशासनिक अधिकारियों ने इन नौजवानों को भ्रष्टाचार के कारण पनपने ही नहीं दिया और सरकार का अरबों रुपए स्टार्टअप इंडिया के नाम पर बांटे जाने के बाद भी भारत में कोई भी औद्योगिक क्रांति नहीं हुई !

तीसरा भारत की शिक्षा व्यवस्था में योग्यता के स्थान पर मात्र कागज के प्रमाणपत्रों की प्रमुखता ने आज देश में ऐसा वातावरण बना दिया है कि आप यदि पैसे खर्च करने का सामर्थ्य रखते हैं ! तो आप देश के कुछ प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से किसी विधा की कोई भी डिग्री आप बिना विश्वविद्यालय जाये खरीद सकते हैं ! ऐसी स्थिति में व्यक्तियों के पास प्रमाण पत्र तो बहुत हैं ! लेकिन योग्यता कुछ भी नहीं है !

चौथी बात आज शिक्षण संस्थान नौजवानों के भविष्य निर्माण के लिये बिल्कुल भी विचारशील नहीं है ! शुरुआती शिक्षा से लेकर अंतिम शिक्षा तक शिक्षण संस्थानों में जो अध्यापक हैं ! वह इतने अधिक नाकारा हैं कि स्वाध्याय करने वाला छात्र इन शिक्षकों से अधिक योग्यता रखता है ! यह शिक्षण संस्थान ऐसे ही नाकारा अध्यापकों के दम पर चल रहे हैं और इन शिक्षण संस्थानों का एकमात्र उद्देश्य छात्रों के माता-पिता को अधिक से अधिक लूटना है ! न कि छात्रों की योग्यता को बढ़ाना !

इसका परिणाम यह है कि आज भारत में कोई भी संवैधानिक या गैर संवैधानिक सरकारी संस्थान अपने दायित्व का सही तरह निर्वाह करने में सक्षम नहीं है ! चाहे वह किसी भी स्तर का कोई भी संस्थान क्यों न हो ! इन संस्थानों में बैठे हुये लोग अपने वेतन भत्ते के अलावा भ्रष्टाचार से धन कमाने के लिये दफ्तर जाते हैं ! इसके अलावा अन्य किसी भी राष्ट्रीय उद्देश्य के लिये कार्य करने की इच्छा इनमें नहीं है !

रही नागरिकों की बात तो जिस देश के अंदर नागरिकों को अपने देश से प्रेम न हो वह देश कैसे विश्व गुरु बन सकता है ! यदि सरकार प्रयास करके कोई अच्छी ट्रेन चलाती है तो भारत का आम नागरिक उन ट्रेनों के शीशे तोड़ देता है ! उन में लगी हुई कीमती सीटों को फाड़ देता है और नलों की टूटियां उखाड़ ले जाता है ! इस तरह के देशद्रोही नागरिक जिस देश में बसते हैं उस देश कैसे विश्व गुरु बन सकता है !

भारत के जो नागरिक विदेशों में नौकरी करने चले गये ! वह पलट कर अपने माता-पिता का ही हाल नहीं लेना चाहते हैं ! देश दुनिया की वह क्या चिंता करेंगे ! ऐसे संवेदना विहीन, विचार विहीन और संस्कार विहीन अशिक्षित लापरवाह और अपने कर्तव्य से भागने वाले जिस देश के नागरिक हों ! वह देश कैसे पुनः विश्व गुरु बन सकता है !

ऐसी कोई कल्पना मेरे मस्तिष्क में नहीं बनती कि भारत निकट भविष्य में पुनः विश्वगुरु बनाने वाला है ! अब यदि भारत को पुनः विश्वगुरु बनाना है तो शासन सत्ता में बैठे हुये लोगों को भारत को पुनः योग्य शिक्षकों द्वारा संचालित गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था की तरफ लाना पड़ेगा और अपनी युवा पीढ़ी को ऐसे अवसर प्रदान करने होंगे ! जिसमें वह राष्ट्र के लिये समर्पित होकर यदि कार्य करते हैं तो प्रशासनिक अधिकारियों का अनुचित दबाव उनके ऊपर न हो !

यह एक व्यवस्था परिवर्तन की लंबी कढ़ी है ! जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है ! अगर भारत को पुनः विश्वगुरु बनाना है और उसका प्रयास आज से शुरू किया जाये तो भी भारत को अपने पैर पर खड़े होने में कम से कम तीन पीढ़ी का समय लगेगा ! बाकी यही काल्पनिक सब्जबाग देखने की बात है तो इसके लिये किसी को मना भी नहीं है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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