आखिर गौ हत्या रुकती क्यों नहीं ? जानिये बड़ा खुलासा | Yogesh Mishra

देश की तथाकथित आजादी 15 अगस्त 1947 को मिलने के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के आगे सबसे बड़ी समस्या यह थी कि “भारत के आम आवाम को भरपेट भोजन कैसे प्राप्त हो ?” क्योंकि उस समय तक अंग्रेजों ने भारत के पूरे के पूरे कृषि आधारित जीवन शैली को अपने औद्योगिक लाभ के लिए नष्ट कर दिया था !

अतः भारत में अधिक से अधिक अन्न कैसे पैदा किया जाए, इसके लिए भारतीय किसानों से परामर्श करने के स्थान पर तत्कालीन प्रधानमंत्री ने विदेश से कृषि विशेषज्ञों की टीम को बुलाया और उन्होंने सरकारी खर्चे पर पूरे देश का भ्रमण किया फिर अपनी एक रिपोर्ट पेश की कि “भारत के किसान क्योंकि परंपरागत तरीके से कृषि करते हैं, इसलिए भारत में कृषि उत्पाद कम पैदा होता है ! अतः भारत के किसानों को परंपरागत तरीके से कृषि को छोड़कर यूरिया, फ़र्टिलाइज़र, पेस्टिसाइड आदि पर आधारित आधुनिक पद्धति से ट्रेक्टर, थ्रेशर, हार्वेस्टर आदि के द्वारा कृषि करना चाहिए !

दूसरा उससे भी महत्वपूर्ण जो सुझाव दिया वह यह था कि “भारत के अंदर अनुपयोगी आवारा गोवंशीय पशु बहुत अधिक है ! जो खेतों में घुसकर कृषि का नुकसान करते हैं ! अतः उन्हें तत्काल प्रभाव से वध करके समाप्त कर दिया जाना चाहिए !”

भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने दोनों ही सुझावों पर बड़ी गंभीरता से कार्य प्रारंभ किया ! पूरे देश भर में जगह-जगह यूरिया, फ़र्टिलाइज़र, पेस्टिसाइड, ट्रेक्टर, थ्रेशर, हार्वेस्टर आदि बनाने के लिए विदेशी पूंजीपतियों को आमंत्रित किया और भारत सरकार ने स्वयं अपने भी कोष से धन लगाकर पूरे भारत में अनेक स्थानों पर यूरिया, फ़र्टिलाइज़र, पेस्टिसाइड, ट्रेक्टर, थ्रेशर, हार्वेस्टर आदि बनाने के कारखाने डाल दिये !

अब दूसरा विषय था भारत के तथाकथित अनुपयोगी, आवारा गोवंशीय पशुओं को कैसे नियंत्रित किया जाए ! तो इसके लिए भारतीय संविधान के अंतर्गत क्योंकि गौवंशीय पशुओं का संरक्षण एवं संवर्धन राज्य सरकारों का विषय है ( जिसमें गोहत्या नहीं आती फिर भी ) ! भारत के सभी राज्य सरकारों को यह निर्देश दिया गया कि “सर्वप्रथम वह अपने-अपने राज्यों में अनुपयोगी, आवारा गोवंशीय पशुओं के वध की व्यवस्था सुनिश्चित करें !

अतः राज्य सरकारों ने अपने प्रत्येक जिले के नगर निगम व जिला परिषद को निर्देशित कर शहर-शहर में वधशालाओं की स्थापना शुरू कर दी ! जो जिला परिषद और नगर निगम के नियंत्रण में थी तथा राज्यों ने “गोवध निवारण अधिनियम” के तहत इन वधशालाओं को गोवंशीय पशुओं का वध करने या करवाने का लाइसेंस जारी करने का अधिकार दे दिया गया ! जिस कानून के अनुसार 15 वर्ष से अधिक अनुपयोगी गोवंशीय पशुओं का वध किया जा सकता था !
जो वध क्षेत्रीय सरकारी पशु चिकित्सक के द्वारा दिए गए प्रमाणपत्र के बाद ही किया जा सकेगा ! किंतु भ्रष्टाचार की असीम कृपा प्राप्त करके सरकारी पशु चिकित्सकों ने न केवल नितांत उपयोगी बल्कि छोटे-छोटे बछड़ों को भी 15 वर्ष से अधिक अनुपयोगी गोवंशीय पशु मानकर पशुओं को वध योग्य बतलाकर उनके वध का प्रमाण पत्र जारी कर दिया और इस तरह भारत के अंदर प्रत्येक जिले ही नहीं बल्कि अधिकांश गांव में भी गोवध किया जाने लगा !

जो बाद में क्षेत्रीय पुलिस की मिलीभगत से निरंतर बढ़ता ही गया और कुटीर उद्योग में परिवर्तित हो गया ! आज कुछ गोहत्यारे इसे मौलिक अधिकार भी मानते हैं !

एक संत प्रवित्ति के IAS अधिकारी श्री राजीव गुप्ता जो कि वर्ष 2001 में उत्तर प्रदेश सरकार में पशुधन सचिव के पद पर कार्यरत थे ! उनके मन में यह प्रेरणा हुई कि उत्तर प्रदेश में गौ वध को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम 1955 के अंदर कुछ ऐसे संशोधन किए जायें, जिससे कम से कम उत्तर प्रदेश की जमीन पर तो पूरी तरह गौ हत्या रोकी जा सके !

इसके लिए उन्होंने अपने विधि परामर्शी और विशेष कार्य अधिकारी श्री रतन कुमार श्रीवास्तव जी को इस दिशा में कार्य करने के लिए निर्देशित किया ! संयोगवश मैं भी उस समय उत्तर प्रदेश में ही रतन कुमार श्रीवास्तव जी के साथ गौ हत्या को रोकने की दिशा में कार्य कर रहा था ! अतः ईश्वर की कृपा से हम सभी लोगों ने मिलकर उत्तर प्रदेश में पूर्ण गोवध रोकने हेतु “उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम 1955” में कुछ गंभीर संशोधन किये ! जिसे बाद में राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति प्राप्त हो गई !

इस तरह संपूर्ण भारत में सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश ही ऐसा राज्य बना जहां गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध वर्ष में 2002 लागू हुआ ! बाद को इसी अधिनियम को आदर्श मानकर अन्य राज्यों ने भी अपने राज्य में गोहत्या रोकने हेतु कानून में संशोधन किये !

आज उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे बड़े-बड़े राज्यों में पूर्ण गोवध निषेध का कानून प्रभावशाली तरीके से कार्य कर रहा है ! आवश्यकता है जो राज्य बच गए हैं उनमें भी यह कानून प्रभावशाली तरीके से लागू करवाया जाए जिससे भारत को पुनः गोहत्या मुक्त राष्ट्र बनाया जा सके !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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