तृतीय विश्वयुद्ध के मुख्य हथियार क्या होंगे ? : Yogesh Mishra

जैसा कि मैंने पूर्व में दर्जनों बार कहा है कि आगामी तृतीय विश्वयुद्ध में मुख्य हथियार के तौर पर धन अर्थात रूपया और जैविक शस्त्रों का प्रयोग किया जायेगा ! इसके पीछे एक गंभीर चिंतन है !

युद्ध मनुष्य की उत्पत्ति के साथ ही प्रारंभ हो गया था ! आरंभ में व्यक्ति अपनी शारीरिक शक्ति से युद्ध करता था ! कालांतर में जब उसका ज्ञान विकसित हुआ तो उसने शारीरिक शक्ति के साथ ईट, पत्थर के हथियारों की खोज कर ली और काफी लंबे समय तक वह ईट पत्थरों से लड़ता रहा ! फिर उसने मनुष्य ने धातु की खोज की और धातु के हथियार तीर, भला, कटार, तलवार आदि का प्रयोग करने लगा !

जब चीन ने बारूद की खोज की तो यूरोप ने अपने सैनिकों को अग्नि अस्त्र बंदूक और तोप आदि से सुसज्जित करना शुरू कर दिया ! इस तरह प्रथम विश्व युद्ध बारूद से लड़ा गया और उसके कुछ ही समय बाद द्वितीय विश्व युद्ध आते तक बारूद से भी विकसित कई अन्य तरह के हथियारों की खोज की गई !

जिसमें परमाणु बम, हाइड्रोजन बम, एटम बम, गैस चैंबर आदि प्रमुख थे ! इन बमों का प्रयोग करने के बाद द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने पर विश्व की महान शक्तियों ने विचार किया कि इन बमों के प्रयोग से हम जिन जगहों को जीत लेते हैं ! उनके पुनः निर्माण में बहुत सारा धन व्यय करना पड़ता है !

अतः अब ऐसे हथियारों की खोज की जानी चाहिये ! जिससे युद्ध तो जीत लिया जाये और उस हारे हुये देश के प्राकृतिक संसाधनों पर जीतने वाले देश का कब्जा हो जाये लेकिन उसके पुन: निर्माण में धन कम से कम खर्च हो ! ऐसी स्थिति में धन को अर्थात रुपये, मुद्रा को प्रमुख हथियार के तौर पर विकसित किया गया !

और उसी का परिणाम है कि विकसित देशों की मुद्राएं विकासशील देशों के मुकाबले महंगी होती चली गई ! पूरे विश्व में औद्योगिकरण की होड़ लगी और जिसमें एक देश दूसरे देश के औद्योगिक व्यवस्था को नष्ट करने के लिये तरह-तरह की योजनायें बनाने लगा !

इसी बीच बारूद और बमों के विकल्प में जैविक हथियार के निर्माण पर भी लगभग विश्व के सभी विकसित देशों ने कार्य आरंभ कर दिया ! आज बम बारूद की लड़ाई अब बीते जमाने की बात हो गई है ! तृतीय विश्व युद्ध अब जब भी होगा तो वह या तो मुद्रा स्फीति और संकुचन से होगा या फिर जैविक हथियारों से ! जिस तरफ पूरा का पूरा विश्व बढ़ चुका है !

कोरोना नाम का वायरस आपकी जानकारी के लिये मैं बता दूं कि यह मात्र वायरस नहीं बल्कि एक अति आधुनिक जैविक हथियार है ! जिसके चपेट में पूरा विश्व आ चुका है ! जिसे तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत भी कह सकते हैं ! इस तरह के युद्ध निश्चित तौर से एक लंबे समय तक चलते हैं !

लेकिन इसमें न कोई गोली चलती है और न ही कहीं बम फेंका जाता है बल्कि कमजोर देशों को उन्हीं के देश के नेताओं के माध्यम से आर्थिक संकट में फंसा कर वहां पर जैविक हथियारों से लाशें गिराई जाती हैं ! जिस देश में जितनी अधिक लाशें गिरती हैं ! वह देश उतना जल्दी हार जाता है ! यही इस युद्ध की खासियत है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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