क्या धर्मयुद्ध करने वाला विष्णु ही सर्वाधिक धर्म विरोधी था : Yogesh Mishra

जैसा कि आपको वैष्णव कथा वाचकों द्वारा बतलाया गया है कि पृथ्वी पर विष्णु ने बार-बार धर्म की स्थापना के लिये विधर्मियों के साथ 12 महा युद्ध लड़े ! जिसके लिये विष्णु को 8 अलग-अलग अवतार लेने पड़े ! लेकिन ताज्जुब इस बात का है कि विष्णु ने किसी भी महायुद्ध को धर्म की मर्यादा में रहकर निष्ठा के साथ नहीं लड़ा ! बल्कि हर युद्ध में उनके सहयोगी भोगी विलासी इन्द, वरुण जैसे शासक रहे और विष्णु ने स्वयं भी हर युद्ध में छल प्रपंच और अवसरवादिता का सहारा लिया !

और मानवता के लिये समस्यायें खड़ीं की ! जब समुद्र मंथन के समय विष निकला तो सभी देवता मानवता को सर्वनाश के लिये छोड़ के भाग गये ! तब विष को भगवान शिव ने पिया और मानवता की रक्षा की और जब अमृत निकला तो विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके अमृत देवताओं को पिला दिया और बराबर की मेहनत करने वाले असुरों को धोखा दे दिया !

इसी तरह हिरण्यकश्यप के भाई हिरण्याक्ष का सर्व संपन्न राष्ट्र हड़पने के लिये विष्णु ने अफ्रीका के जंगलों में रहने वाले “वराह पालक” आदिवासियों को भड़का कर हिरण्याक्ष की हत्या करावा दी और इसे वैष्णव लेखकों ने विष्णु का “वराह” अवतार बतला दिया !

और फिर हिरण्याक्ष की हत्या के बाद उसके भाई हिरण्यकश्यप की हत्या के लिये उसके पुत्र प्रहलाद को नारद के द्वारा मानसिक रूप से तैयार किया गया और प्रह्लाद से हिरण्यकश्यप के महल के गुप्त मार्गों की जानकारी ली गई ! इसके बाद शेर का मुखौटा और खाल ओढ़कर विष्णु के सैनिक हिरण्यकश्यप के महल में गुप्त मार्गों से घुस आये और उन्होंने हिरण्यकश्यप को दौड़ाकर महल के मुख्य दरवाजे की चौखट पर मार दिया और भाग गये ! जिसे वैष्णव लेखकों ने विष्णु का नरसिंह अवतार बतलाया !

फिर प्रह्लाद के पुत्र राजा विरोचन की देवराज इंद्र के द्वारा छल से हत्या कर दी गयी ! तब प्रह्लाद के पौत्र राजा बालि राजा बने !

इसी तरह प्रह्लाद के पौत्र राजा बालि द्वारा पिता तथा पर बाबा के हत्या का बदला लेने के लिये जब पूरी दुनिया पर वैष्णव राजाओं के विरुद्ध उन्हें हरा कर विजय प्राप्त करके राजा बालि ने शुक्राचार्य के नेतृत्व में महायज्ञ किया ! तब विष्णु के षडयंत्र के तहत छोटे-छोटे ब्राम्हण बालकों को राजा बलि के यज्ञशाला में भेजा गया और छल से इन बालकों को यज्ञ की शिक्षा देने के लिये तीन-तीन पग जमीन दिये जाने का आग्रह किया गया !
जिस षडयंत्र को शुक्राचार्य ने समझ कर राजा बालि को ऐसा करने से मना किया किन्तु इसके बाद भी राजा बलि ने अपनी उदारता से इन छोटे-छोटे ब्राह्मणों को दान स्वरूप तीन-तीन पग जमीन यज्ञ के लिये दे दी ! इस तरह से राजा बलि की राजधानी महाबलिपुर के चारों ओर तीन तीन पग जमीन लेकर बहुत बड़ी संख्या में हजारों यज्ञशालाओं का निर्माण किया और अवसर देखकर सभी यज्ञशालाओं के बालकों ने सुनियोजित तरीके से राजा बलि की राजधानी में आग लगा दी और संपूर्ण राजधानी जलकर राख हो गई ! लाखों लोग जल कर मर गये !

जब राजा बलि को इस षड्यंत्र की जानकारी हुई ! तब राजा बलि ने विष्णु को युद्ध में हरा कर उसे गिरफ्तार कर लिया और अपने साथ पाताल लोक ले गया ! जहां पर उसने 4 माह तक विष्णु को अपने कारावास में रखा !

फिर दक्षिण भारत के राजा सागर जो कि विष्णु की पत्नी लक्ष्मी के पिता थे ! उनके हस्तक्षेप पर विष्णु को वापस भेजा और विष्णु ने वापस आते ही अपने ससुर सागर के साथ मिलकर किष्किन्धा के दुंदुभि की मदद से राजा बलि की हत्या करवा दी और समाज में यह प्रचालित किया कि अब राजा बलि तो विष्णु के भय से पाताल लोक में रहते हैं ! जिसे वैष्णव लेखकों द्वारा विष्णु का वामनअवतार कहा गया !

इसके उपरांत रावण द्वारा अपने अपमान के बाद इंद्र ने विष्णु के साथ मिलकर रावण की कुल खानदान सहित हत्या का षडयंत्र रचा जिसमें 300 से अधिक वैष्णव राजाओं के सेना की मदद ली गयी और महा तेजस्वी ब्राह्मण राक्षस राज रावण की उसके कुल खानदान सहित हत्या कर दी गयी ! इसे भी वैष्णव लेखकों ने विष्णु का राम अवतार बतलाया !
इसके अगले चरण में महाशिव भक्त कंस, दुर्योधन, शकुन आदि अनेक शिव भक्तों की हत्या महाभारत के युद्ध में कृष्ण के नेतृत्व में वैष्णव राजाओं के सहयोग से छल द्वारा करवाई गई और जिसे वैष्णव लेखकों द्वारा विष्णु का कृष्ण अवतार बतलाया गया !

कहने का तात्पर्य है कि वैष्णव परंपरा के अनुसार पूरी पृथ्वी को अपने अनुसार चलाने के लिये विष्णु और उसके अनुयायियों ने विश्व में 12 महा युद्ध लड़े और सभी महायुद्ध धर्म की स्थापना के लिये लड़े गये ! ऐसा वैष्णव ग्रंथों में बतलाया गया किन्तु सच्चाई यह है कि हर महायुद्ध के पीछे उद्देश्य शैव संस्कृति को नष्ट करते हुये वैष्णव संस्कृत को बढ़ावा देना था और कुछ भी नहीं !
यदि महाभारत का युद्ध धर्म युद्ध था, तो उस युद्ध के बाद इस पृथ्वी पर कलयुग का प्रवेश कैसे हो गया जबकि कृष्ण ने तो स्वयं इस महायुद्ध में सभी धर्म विरोधियों को स्वयं छल से नष्ट कर दिया था ! इस प्रश्न पर आज तक सभी वैष्णव ग्रंथ मौन हैं !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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