बौद्ध धर्म की सत्यता : Yogesh Mishra

जैसा कि मैंने पूर्व के अपने एक लेख में बतलाया कि बौद्ध धर्म को लेकर आज तक कभी नहीं इतिहास में कोई प्रमाणिक ग्रंथ नहीं मिला है ! जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बौद्ध थे !

बल्कि सच्चाई यह है कि बौद्ध के नाम से जो संदेश आज बतलाए जाते हैं, वह आनंद नाम के एक व्यवसाई द्वारा प्रचारित प्रसारित किये गये थे, जो ग्रीक के साथ व्यापार करता था !

जो ग्रीक को भारत से राजनीतिक लाभ दिलाने के लिए और भारतीय क्षत्रिय एवं शुद्र राजाओं को प्रभावित करने के उद्देश्य से उसने ग्रीक से आर्थिक मदद लेकर भारत में बौद्ध धर्म का निर्माण ग्रीक दर्शन के अनुसार किया था !

इसीलिए बौद्ध धर्म का तथाकथित दर्शन भारतीय सनातन दर्शन से मेल नहीं खाता है ! जब की बौद्ध धर्म का दर्शन ग्रीक दर्शन के अधिक निकट है !

इसीलिए आज तक प्रमाणित तौर पर यह सिद्ध नहीं हो पाया है कि गौतम गौतम बुध्द नाम का व्यक्ति ही बौद्ध धर्म के संस्थापक रहे हैं !

बल्कि गौतम बुध्द कहकर जिस व्यक्ति को संबोधित किया जा रहा है, वह भी महावीर जैन की नकल अधिक लगते हैं ! क्योंकि स्वामी महावीर जैन जी के पिता का नाम सिद्धार्थ था यही नाम गौतम बुध्द के बचपन का भी बतलाया जाता है !

स्वामी महावीर जैन जी इक्षवाकु वंश में क्षत्रिय कुल में पैदा हुये थे, गौतम गौतम बुध्द को भी इक्षवाकु वंश में क्षत्रिय कुल में पैदा हुआ बतलाया जाता है ! स्वामी महावीर जैन जी ने शादी के बाद राज,मोह,पत्नी, पुत्र त्याग करके संन्यास लिया था, तो गौतम बुध्द के विषय में भी यही प्रचारित किया गया कि उन्होंने भी शादी के बाद राज,मोह, पत्नी, पुत्र त्याग करके संन्यास ले लिया था !

स्वामी महावीर जैन जी की पत्नी का नाम यशोदा था, तो गौतम बुध्द की पत्नी का नाम भी यशोधरा ही बतलाया जाता है ! स्वामी महावीर जैन जी की एक संतान थी तो गौतम बुध्द की भी एक ही संतान बतलाई जाती है !

स्वामी महावीर जैन जी माता की मृत्यु के बाद सन्यासी बने थे, तो गौतम बुध्द भी अपनी माता की मृत्यु के बाद सन्यासी बने ऐसा बतलाया जाता है !

स्वामी महावीर जैन जी ने एक महिला के हाथों एक कटोरी खीर खाई थी, तो गौतम बुध्द ने भी एक कटोरी खीर सुजाता नामक महिला से खिलाये जाने का वर्णन मिलता है !

स्वामी महावीर जैन जी को एक पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था ! तो गौतम बुध्द को भी एक पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ बतलाया जाता है ! स्वामी महावीर जैन जी को साँप ने काटा तो उनके शरीर से दूध निकला तो गौतम बुध्द को भी साँप के काटने पर उनके शरीर से दूध निकलना बतलाया जाता है !

स्वामी महावीर जैन जी के बाल घुंगराले थे तो गौतम बुध्द के भी बाल घुंगराले बतलाये जाते हैं !

जैन धर्म का मुख्य ग्रंथ त्रिरत्ना है तो गौतम बुध्द धर्म का मुख्य धर्म ग्रंथ त्रिपिटक बतलाया जाता है ! यह बात अलग है कि इसकी मूल प्रति कहीं नहीं मिलती है !

स्वामी महावीर जैन जी का कार्य क्षेत्र मगध था, तो गौतम बुध्द की भी शुरूआती साधना मगध की ही बतलाई जाती है ! जैन धर्म प्रचारक भिक्षुक (श्रमण) कहे जाते थे तो गौतम बुध्द के बौद्ध धर्म के प्रचारक भी भिक्षुक (श्रमण) ही कहे जाते हैं !

इतनी ढेर सारी समानताएं एक ही समय में दो व्यक्तियों के मध्य नहीं हो सकती हैं ! इसका मतलब महावीर जैन जी द्वारा जब यथार्थ रूप में जैन धर्म की स्थापना की गई, तब उन्हीं के जीवन परिचय से सूचनाओं को निकालकर काल्पनिक बौद्ध धर्म की स्थापना कर दी गई !

क्योंकि दोनों ही एक दूसरे के समकालीन बतलाये जाते हैं और मजे की बात यह है कि बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार भी गौतम बुद्ध की तथाकथित मृत्यु के 250 वर्ष बाद अशोक के शासन काल में जोर शोर शुरू हुआ ! अगर वास्तव में कोई बुद्ध होते तो चाणक्य के ग्रंथों में 200 वर्ष पूर्व के गौतम बुद्ध या बौद्ध धर्म का वर्णन क्यों नहीं मिलता है !

जिस काल्पनिक धर्म को रोकने के लिए पुष्यमित्र शुंग ने अपने शासनकाल में बहुत से कठोर कदम उठाए थे और अंततः कुमारिल भट्ट और मंडन मिश्र में जैसे विद्वानों ने आदि गुरु शंकराचार्य का सहयोग करके बौद्ध धर्म को भारत से उखाड़ फेंका ! जिसका अफसोस आज तक बौद्ध धर्मी मनाते हैं और ब्राह्मणों से नफ़रत करते हैं !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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