ज्योतिष में बार-बार गर्भपात के योग : Yogesh Mishra

आज के समय की संतान सम्बन्धी गंभीर समस्या गर्भपात के विशेष योगों में से प्रमुख 10 योगों की चर्चा की गयी है ! संतान “जातक” की कुंडली के पंचम भाव अर्थात कुंडली के दाहिने की और पाँचवे घर को कहा जाता हैं !

गर्भपात होने के पीछे ज्योतिषीय द्रष्टि कोण से पति पत्नी की जन्म पत्रिका में संतान की स्थिति , महादशा ,अन्तर्दशा , ग्रहों का गोचर विचरण तथा अन्य बहुत से कारक प्रभावित करते है , ज्योतिष गूढ़ ज्ञान का विषय है , अतः यहाँ दिए हुए योगों के अतिरिक्त विवाह के समय , गर्भधारण के पहले , गर्भधारण के पश्च्यात ज्योतिषीय सलाह लेना संतानोत्पति समस्याओं में कमी ला सकता हैं ! गर्भपात होने के प्रमुख कारणों में से निम्लिखित 10 योग महत्वपूर्ण है –

यदि आप की लग्न कुंड़ली के पंचम भाव पाप ग्रह से युक्त होगा तो निश्चित रूप से गर्भपात की सम्भावना रहेगी !

लग्न में चन्द्रमा, दूसरे भाव में शुक्र, बारहवें भाव में शनि बुध तथा पंचम भाव में राहु गये हो तो गर्भपात होगा !

पंचम भाव में जिस राशि का अधिपत्य हो और वह भी पाप ग्रह से दृष्ट हो उतने गर्भपात होने की सम्भावना रहेगी !

पांचवे सूर्य , ग्यारहवें शनि, दूसरे भाव में चन्द्र एवं मंगल गये हो तो गर्भ धारण के चौथे तथा पाँचवे माह में गर्भपात की प्रबल सम्भावना रहती है !

दशम में मंगल , पंचम में शनि दूसरे पांचवे या ग्यारहवें राहु गया हो तो गर्भपात होगा !

लग्न में चन्द्रमा , सप्तम में शनि और पंचम भाव का स्वामी मंगल के साथ हो तो गर्भपात होगा !

पंचम भाव में राहु,शनि ,मंगल और सूर्य ये चारों ग्रह हो तो दो गर्भपात तथा एक संतान जन्म के बाद मृत्यु का योग बनाते है !

सूर्य , चन्द्र ,मंगल और शुक्र छठे भाव में तथा शनि पंचम भाव में होतो गर्भपात होगा !

महिला की कुंडली में आठवें स्थान में सूर्य ,शनि गए होतो बंध्या ,आठवें स्थान में सूर्य और मंगल गए हो तो गर्भपात वाली, आठवें स्थान में सूर्य ,गुरु तथा शुक्र गए हो तो मृत प्रजाता, आठवें स्थान में सूर्य,चन्द्र तथा बुध गए हो तो काक बंध्या तथा मंगल ,शुक्र और गुरु आठवें गए हो तो गर्भ स्त्रवा महिला होगी !

पंचम भाव में कर्क, वृश्चिक अथवा मीन राशि का नवांश हो और सातवें शुक्र,लग्न में शनि तथा सूर्य हो, तथा सातवें भाव में पाप ग्रह गये हैं !

लग्न या सप्तमांश कुंडली के पंचम भाव पर राहु एवं मंगल का संयुक्त प्रभाव बार-बार गर्भपात करवाता है !

गर्भपात के समय पंचम भाव पाप-कर्तरी योग में हो या पंचम भाव या उसका स्वामी राहु-मंगल के संयुक्त प्रभाव में हो तब भी गर्भपात की स्थिति बन सकती है ! गर्भाधान के समय लग्नव चंद्र लग्न के स्वामी ग्रहों का गोचरीय षडाष्टक योग हो तथा चतुर्थ भाव में पाप ग्रह हो तो भी गर्भपात होता है !

ऐसी स्थिती में गर्भपात से बचने के लिये समय समय पर सही ज्योतिषीय उपाय कीजिये तथा 6 एवं 8 वें भाव के स्थायी ग्रह की अंतरदशा या प्रत्यंतर दशा में गर्भाधान न ही करें तो सुखद होगा !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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