शनि और राहु देते हैं आत्माओं और पूर्वजों से सम्बन्ध की शक्ति !

शनि और राहु आपको कुछ अद्भुत प्रतिभा देता है ! जिस कारण आप अनेक आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं !

1. किसी भी जातक की जन्म कुंडली में शनि का लग्न या प्रथम स्थान पर होना दर्शाता है कि यह व्यक्ति पूर्वजन्मों में अच्छा वैद्य या पुरानी वस्तुओं जड़ी-बुटी, गूढ़विद्याओं का जानकार रहा होगा ! ऐसे व्यक्ति को अच्छी अदृश्य आत्माएं सहायता करती है ! इनका बचपन बीमारी या आर्थिक परेशानीपूर्ण रहता है ! ये ऐसे मकान में निवास करते हैं, जहां पर प्रेत आत्माओं का निवास रहता हैं ! उनकी पूजा अर्चना करने से लाभ मिता हैं !

2. शनि दूसरे स्थान पर हो तो माना जाता है ! कि ऐसा व्यक्ति पूर्व जन्म में किसी व्यक्ति को अकारण सताने या कष्ट देने से उनकी बददुआ के कारण आर्थिक, शारीरिक परिवारिक परेशानियां भोगता है ! राहु का सम्बन्ध होने पर निद्रारोग, डऱावने स्वप्न आते हैं या किसी प्रेत आत्मा की छाया उदृश्य रुप से प्रत्येक कार्य में रुकावट डालती है ! ऐसे व्यक्ति मानसिक रुप से परेशान रहते हैं !

3. शनि या राहु तीसरे या छठे स्थान पर हो तो अदृश्य आत्माएं भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वाभास करवाने में मदद करती है !ऐसे व्यक्ति जमीन संबंधी कार्य, घर जमीन के नीचे क्या है, ऐसे कार्य में ज्ञान प्राप्त करते हैं ! ये लोग कभी-कभी अकारण भय से पीडि़त पाये जाते हैं !

4. चौथे स्थान पर शनि या राहु पूर्वजों का सर्पयोनी में होना दर्शाता है ! ऐसे जातक को सर्प की आकृति या सर्प से डर लगता है ! इन्हें जानवर या सर्प की सेवा करने से लाभ होता है ! पेट सम्बन्धी बीमारी के इलाज से सफलता मिलती है !

5. पॉचवें स्थान पर शनि या राहु की उपस्थिति पूर्व जन्म में किसी को घातक हथियार से तकलीफ पहुचाने के कारण मानी जाती है ! इन्हें सन्तान संबंधी कष्ट उठाने पड़ते हैं ! पेट की बीमारी, संतान देर से होना इत्यादि परेशानियॉ रहती हैं !

6. सातवें स्थान पर शनि या राहू होने पर पूर्व जन्म संबंधी दोष के कारण ऑख, शारीरिक कष्ट, परिवारिक सुख में कमी महसूस करते हैं ! धार्मिक प्रवृत्ति और अपने इष्ट की पूजा करने से लाभ होता है !

7. आठवें स्थान पर शनि या राहु दर्शाता है कि पूर्व जन्म में किसी व्यक्ति पर तंत्रा-मंत्रा का गलत उपयोग करने से अकारण भय से ग्रसित रहता हैं ! इन्हें सर्प ,चोर , मुर्दों से भय बना रहता हैं ! इन्हें दूध का दान करने से लाभ होता है !

8. नवें स्थान पर शनि पूर्व जन्म में दूसरे व्यक्तियों की उन्नति में बाधा पहुचाने का दोष दर्शाता है ! ऐसे व्यक्ति नौकरी में विशेष उन्नति नहीं कर पाते हैं !

9. शनि का बारहवें स्थान पर होना सर्प के आशीर्वाद या दोष के कारण आर्थिक लाभ या नुकसान होता है !

10. जन्म पत्रिका के किसी भी घर में राहु और शनि की युति है ऐसा व्यक्ति बाहर की हवाओं से पीडि़त रहता है ! इनके शरीर में हमेंशा भारीपन रहता है, पूजा अर्चना के वक्त अबासी आना आलसी प्रवृत्ती, क्रोधी होने से दोष पाया जाते है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter