इंदिरा गाँधी द्वारा लगाये गये आपातकाल की अच्छाइयाँ : Yogesh Mishra

26 जून 1975 की सुबह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो पर आपातकाल की घोषणा करते हुये पूरा देश को चौंका दिया ! उन्होंने राष्ट्र को समबोधित करते हुये बतलाया कि 25 जून 1975 की आधी रात से देश में आपातकाल लागू होगया है ! जो कि बाद में तीन विस्तार लेकर 21 मार्च 1977 तक जारी रहा !

उस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी !

आपातकाल के पीछे कई वजहें बताई जाती हैं ! जिसमें सबसे अहम है 12 जून 1975 को इलाहबाद हाईकोर्ट की ओर से इंदिरा गांधी के खिलाफ दिया गया फैसला था ! यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे विवादस्पद काल था ! आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गये थे !

हुआ यूँ कि राज नारायण ने 1971 में रायबरेली में इंदिरा गांधी के विरुद्ध चुनाव लड़ा और हार गये ! चुनाव हारने पर उन्होंने एक चुनाव याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल किया ! जिस पर जस्टिस जगमोहनलाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला सुनाया ! हालांकि इंदिरा गांधी इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गयीं पर 24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा !

लेकिन अगले चुनाव तक इंदिरा को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहने की इजाजत दी ! उसके एक दिन बाद जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा के इस्तीफा देने तक देश भर में रोज धरने प्रदर्शन करने का युवाओं से आह्वाहन किया ! देश भर में हड़तालें शुरू हो गयी ! सभी सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर चले गये ! शासन का पूरा काम रुक गया !

जय प्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी बाजपेई, लाल कृष्ण आडवाणी, मुलायम सिंह यादव जैसे बड़े नेता इस आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे थे ! राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शक्ति भी इनके साथ थी ! देश में व्यापक धरना प्रदर्शन विरोध चल था और मांग एक ही थी कि इंदिरा गांधी कुर्सी छोड़ो !

क्योंकि श्रीमती इंदिरा गांधी पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुये ! इन्हीं लोगों ने 1969 में इंदिरा गांधी कांग्रेस पार्टी से निष्कासित कर दिया था और वही लोग आज भी इस आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे थे अत: इंदिरा आसानी से कुर्सी छोड़ने के मूड में नहीं थीं ! जिस पर संजय गांधी तो कतई नहीं चाहते थे कि उनकी मां के हाथ से सत्ता जाये ! उधर विपक्ष का सरकार पर लगातार दबाव बढ़ रहा था !

अत: नतीजा यह हुआ कि इंदिरा ने 25 जून 1975 की रात देश में आपातकाल लागू करने का फैसला लिया ! आधी रात इंदिरा ने तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद से आपाताकाल के फैसले पर दस्तखत करवा लिये ! जो कि उन विपरीत परिस्थियों में एक साहसिक कार्य था !

आपातकाल में पूरी सरकारी मशीनरी विपक्ष के इस आंदोलन को कुचलने में लग गई ! अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, मुलायम सिंह यादव जैसे तमाम विपक्ष के नेता जेल में ठूंस दिये गये ! संजय गांधी ने इस अभियान की कमान सम्हाली ! उनके इशारे पर हर इंदिरा गांधी विरोधी जेल में डाल दिया गया ! बताया जाता है कि पूरे देश को एक बड़े जेलखाना में बदल दिया गया था ! आपातकाल के दौरान नागरिकों के सारे मौलिक अधिकार स्थगित कर दिये गये थे ! जिससे देश को बहुत लाभ हुआ !

देश में सभी यूनियन रद्द कर दी गई थी ! अतः सभी सरकारी कर्मचारी सही समय से 10 मिनट पहले ही आकर अपनी कुर्सियों पर बैठ कर काम करने लगते थे ! कार्यालय के कार्य के समय कोई भी अधिकारी या कर्मचारी कार्यालय छोड़कर चाय और पान की दुकान पर नहीं जाता था !

जिन लोगों ने दूसरों की नाजायज जमीन कब्जा कर ली थी ! उन्होंने जेल जाने के भय से स्वत: ही उन नाजायज जमीनों के कब्जों को छोड़ कर भूमिगत हो गये थे ! सरकारी कर्मचारी बिना घूस लिये एकदम नियमानुसार कार्य करता था ! जिस वजह से न्यायपालिका के अंदर रिट याचिकायें, मुकदमे कम दाखिल होने लगे थे और न्यायपालिका का वर्क लोड बहुत कम हो गया था !

काला बाजारी रुक गई थी ! खाद्यान्न जनता के लिये सस्ते दामें पर आसानी से उपलब्ध था ! राशन को दुकान समय से खुलती थी ! वहां पर भी चोरी नहीं थी !

भ्रष्टाचार पूरी तरह समाप्त हो गया था ! क्योंकि इस दौरान यदि भ्रष्टाचार के आरोप में कोई व्यक्ति पकड़ा जाता था ! तो उसे सीधे जेल में बंद कर दिया जाता था और उसकी सेवा समाप्त कर दी जाती थी !

रेलवे रिकॉर्ड के अनुसार आपातकाल के दौरान देश की सभी ट्रेनें एकदम राइट टाइम चला करती थी ! कोई भी ट्रेन किसी भी स्थिति में विलंब नहीं होती थी ! कहीं कोई रेल दुर्घटना नहीं होती थी ! ट्रेनों के अंदर यात्री को हर तरह की सारी सुविधायें दी जाती थी और जो सुविधा उपलब्ध न हो उसकी शिकायत करते ही रेलवे तुरंत उन सुविधाओं को मुहैया करवाती थी !

पुलिस के ऊपर जो आये दिन अल्पसंख्यक द्वारा हमले होते थे ! वह हमले होने एकदम बंद हो गये थे ! इसी दौरान जनसंख्या नियंत्रण हेतु जो नसबंदी अभियान चलाया गया था ! उसका परिणाम यह था कि देश में 2 करोड़ से अधिक जिन लोगों की दो से अधिक संतान थी ! उनकी नसबंदी कर दी जाती थी ! जिससे जनसंख्या विस्फोट रुक गया था !

सड़कों पर नमाज अदा होना बंद हो गई थी ! कोई भी सार्वजनिक कार्यक्रम में कहीं भी यातायात बाधित नहीं होता था और न ही किसी में इतना सामर्थ था कि वह शासन सत्ता की इच्छा के विरुद्ध स्वत: सार्वजनिक मार्ग को रोककर कोई भी कार्यक्रम करना शुरू कर दे !

सरकारी भुगतान बिना किसी घूस और पैरवी के एकदम समय पर हुआ करते थे ! उसके लिये किसी अधिकारी या मंत्री से शिफारस लगाने की कोई आवश्यकता नहीं थी !

सारे प्रशासनिक अधिकारी जनता के सुख-दुख का ख्याल स्व प्रेरणा से रखते थे और यदि जनता का कोई नागरिक किसी अधिकारी के विरुद्ध कोई शिकायत कर देता था तो उस पर तत्काल कार्यवाही होती थी !

ऐसे ही इस आपातकाल के दौरान और भी सैकड़ों बहुत से लाभ जनसामान्य को हुये ! लेकिन आपातकाल के विरुद्ध एक सोचे समझे षड्यंत्र के तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व अन्य इसी विचारधारा के संगठनों ने इस दौरान जनता को खूब भड़काया ! जिस वजह से इस आपातकाल के समाप्त होने पर होने वाले लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी चुनाव हार गयीं !

तब जय प्रकाश नारायण जी की लड़ाई एक निर्णायक मुकाम तक पहुंची ! इंदिरा गाँधी को सिंहासन छोड़ना पड़ा ! मोरार जी देसाई की अगुवाई में जनता पार्टी का गठन हुआ ! 1977 में फिर आम चुनाव हुये ! 1977 के चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार गयी ! इंदिरा खुद रायबरेली से चुनाव हार गईं और कांग्रेस 153 सीटों पर सिमट गई !

24 मार्च 1977 से 28 जुलाई 1979 तक इक्यासी वर्ष की उम्र में मोरार जी देसाई प्रधानमंत्री बने ! लेकिन अन्तः कलह के कारण यह सरकार चला नहीं पाये और तत्कालीन उप प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी 1980 तक आजादी के तीस साल बाद बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार को चलाया ! किन्तु मात्र सवा दो साल में अनुभवविहीन लोगों की सरकार गिर गयी !

और जनता को अपनी गलती का अहसास हुआ और आगामी लोक सभा चुनाव श्रीमती इन्दिरा गान्धी 14 जनवरी, 1980 को पुनः प्रधानमंत्री बनी और आजीवन प्रधानमंत्री बनी रहीं ! धन्य है वह महिला !!!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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