ग्रह शांति हेतु शास्त्र सम्मत उपाय ही करें ! : Yogesh Mishra

सुख और दुख जीवन में ऋतुओं की तरह आते जाते रहते हैं ! प्राय: दुखी होने पर व्यक्ति उस दुख के निवारण हेतु ग्रहों की ऊर्जा के पड़ने वाले प्रभाव में परिवर्तन करने के लिये तरह-तरह के पूजा पाठ अनुष्ठान आदि करता है !

जिसको लेकर समाज में बहुत सारी भ्रांतियां फैली हुई हैं ! कोई लाल किताब के उपाय करता है तो कोई काली किताब के ! बाजार में दर्जनों तरह की, इस तरह के उपाय की पुस्तके उपलब्ध हैं ! नीली किताब, भूरी किताब, सुनहरी किताब, पीली किताब आदि आदि ! लेकिन इनमें से कोई भी किताब शास्त्र सम्मत नहीं है !

ज्योतिष भारत के ऋषि मुनियों द्वारा खोजा गया वह एकमात्र विज्ञान है ! जिसके द्वारा भविष्य का पूर्व अनुमान लगाया जा सकता है और यदि भविष्य में किसी कष्ट के आगमन का अनुमान हो रहा हो तो ग्रहों की ऊर्जा के नकारात्मक प्रभाव को कम करके उस कष्ट से व्यक्ति के निवारण हेतु तरह-तरह के अनुष्ठानों का वर्णन भी है ! लेकिन दुर्भाग्य यह है कि भारत के तथाकथित नवोदित ज्योतिषाचार्य आज उन प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों का न तो अध्ययन करना चाहते हैं और न ही उस पर कोई शोध करना चाहते हैं ! बस इस विद्या की ओट में वह लोग धन कमाना चाहते हैं !

बहुत कम लोग यह जानते हैं कि भारतीय सनातन ग्रंथ “पुराणों” में लगभग हर पुराण के अंदर एक कम से कम 1 अध्याय ज्योतिष से संबंधित अवश्य दिया गया है ! जिसके अंदर ग्रहों की ऊर्जा का प्रभाव और उन ग्रहों के नकारात्मक उर्जा से बचाव के उपायों का वर्णन है !

आधुनिक ज्योतिष विज्ञान के जनक महर्षि पराशर ने तो पूरा एक ग्रंथ ही ज्योतिषीय उपाय पर लिख रखा है ! जिस ज्योतिषीय उपायों का परीक्षण मैंने निजी तौर पर अनेक अवसरों पर किया है ! और मैंने पाया उस ग्रंथ में जो विधान दिये गये हैं ! वह शत-प्रतिशत प्रभावशाली हैं ! इसी तरह प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में जो तंत्र अनुष्ठान आदि का वर्णन है वह भी काफी हद तक मेरे संज्ञान में प्रभावशाली हैं !

किंतु आधुनिक ज्योतिष ग्रंथ जो विभिन्न किताबों के नाम से बाजार में प्रचलित हैं ! उनका प्रभाव परिक्षण तो दूर वह पहले से ही परस्पर विरोधी हैं ! एक पुस्तक कहती है कि विशेष ग्रह दशा में व्यक्ति को नित्य मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करना चाहिये और उसी ग्रह दशा पर दूसरी पुस्तक कहती है कि व्यक्ति को इस ग्रह दशा के दौरान भगवान के मंदिर नहीं जाना चाहिये !

इन पुस्तकों में बहुत से पुस्तकों की रचना मुगल काल या पैश्चिक संस्कृति के पोषक अंग्रेजों के समय में हुई है ! जिन्होंने भारतीय सनातन समाज को सनातन धर्म से विमुख करने के लिये इन काल्पनिक किताबों का निर्माण व प्रचार प्रसार करवाया था !

अतः मेरा यह मत है कि व्यक्ति को ग्रह दोष शांति के लिये सदैव शास्त्र सम्मत विधान ही करना चाहिये ! अन्य किसी भी बाजारू किताब से किये गये उपाय, उपचार, व्यक्ति के लिये घातक सिद्ध हो सकते हैं !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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