‘देश भक्त मुर्गी’ की कहानी अवश्य पढ़ें | Yogesh Mishra

एक मुर्गी का मालिक राष्ट्रवादी पार्टी का बहुत बड़ा नेता था ! मुर्गी देशहित में अंडे दे रही थी और मालिक बेंच रहा था!

उसके मालिक ने कहा था-
’’ आज राष्ट्र को तुम्हारे अंडों की जरूरत है!

यदि तुम चाहती हो कि तुम्हारा घर सोने का बन जाये तो जम के अंडे दिया करो ! आज तक तुमसे अंडे तो लिये गये लेकिन तुम्हारा घर किसी ने सोने का नही बनवाया ! हम करेंगे ! तुम्हारा विकास करके छोड़ेंगे !’’

मुर्गी खुशी से नाचने लगी !
उसने सोचा देश को मेरी भी जरूरत पड़ती है !
वाह मैं एक क्या कल से दो अंडे दूंगी !
आखिर यह देश मेरे है ! देश है तो मैं भी हूं !
वह दो अंडे देने लगी !
मालिक खुश था !

अंडे बेचकर खूब पैसे कमा रहा था !
मालिक निहायत चालाक था !
उसने मुर्गी की खुराक कम कर दी !
मुर्गी चौंकी! -’’ आज मुझे पर्याप्त खुराक नहीं दी गई! कोई समस्या है क्या ?’’
-’’ देश आज संकट में है ! किसी भी मुर्गी के लिये भर पेट अन्न खाने को नहीं है !

यह सुन कर मुर्गी ने निर्णय लिया ! जब तक एक भी मुर्गी भूखी है मैं खुद पूरा आहार नहीं लूंगी ! हम देश के लिये कष्ट सहेंगे ! आखिर यह देश हमारा है !’’
मुर्गी आधा पेट खाकर अंडे देने लगी ! मालिक अंडे बेचकर अपना घर भर रहा था !
बरसात आ गई पर मुर्गी का घर नहीं बन पाया !
मुर्गी बोली- आप मेरे सारे अंडे ले रहे हैं ! मुझे आधा पेट खाने को दे रहे है ! कहा था कि घर सोने का बनेगा ! नहीं बना ! मेरे घर की मरम्मत ही तो करवा दो !
मालिक भावुक हो गया !

बोला “तुमने कभी सोचा है इस देश में कितनी मुर्गियां हैं जिनके सर पर छत नहीं हैं ! रात-रात भर रोती रहती हैं ! तुम्हें अपनी पड़ी है ! तुम्हें देश के बारे में सोचना चाहिये ! अपने लिये इतना स्वार्थी मत बनो !’’
मुर्गी चुप हो गई ! देशहित में मौन रहने में ही उसने भलाई समझी !
अब वह अंडे नहीं दे पा रही थी !

वह कमजोर हो गई थी !
न खाने का ठिकाना न रहने का !
वह बोलना चाहती थी लेकिन भयभीत थी !
वह पूछना चाहती थी-
“इतने पैसे जो जमा कर रहे हो- वह क्यों और किसके लिये ?
देशहित में कितना लगाया है ?”
लेकिन पूछ नहीं पाई !

एक दिन मालिक आया और बोला- ’’ मेरी प्यारी मुर्गी तुझे देशहित में मरना पड़ेगा ! देश तुमसे बलिदान मांग रहा है ! तुम्हारी मौत हजारों मुर्गियों को जीवन देगा !’’
मुर्गी बोली “लेकिन मालिक मैने तो देश के लिय बहुत कुछ किया है !”
मालिक ने कहा देश इसके लिये तुम्हें याद रखेगा पर अब तुम्हे देश हित में शहीद होना पड़ेगा !

बेचारी मुर्गी को अब सब कुछ समझ आ गया था !
लेकिन अब वक्त जा चुका था और मुर्गी कमज़ोर हो चुकी थी, मालिक ने मुर्गी को बेच दिया !

मुर्गी किसी अल्पसंख्यक सेठ के पेट का भोजन बन चुकी थी !
*मुर्गी देशहित में शहीद हो गई.*
(नोट- जो आप सोच रहे हैं ऐसा बिल्कुल भी नही है!

ये सिर्फ एक मुर्गी (एक महान राष्ट्र भक्त कर दाता जनता) की कहानी है ! जिसके अण्डों पर अल्पसंख्यक, आरक्षण भोगी, निर्धन जनता, प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता आदि आदि विलासिता के साथ पल रहे हैं और कर दाता अपने अधिकारों के लिये धक्के खा रहा है !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter