स्व ही कर्मों का प्रमाण है : Yogesh Mishra

प्राय: सभी धर्मों में ऐसा चिंतन है कि ईश्वर के समक्ष हर व्यक्ति को मृत्यु के उपरांत प्रस्तुत होना पड़ता है और उस समय व्यक्ति ने जो भी अच्छे या बुरे कर्म किए हैं, उसका सबूत देना पड़ता है !

साक्ष्य के तौर पर वैष्णव अग्नि को प्रमाण मानते हैं ! उनका कहना है कि व्यक्ति को हर सात्विक कार्य में अग्नि को साक्षी रखना चाहिए ! जिससे ईश्वर के यहां जब कर्मों का हिसाब किताब हो तब अग्नि उनके पक्ष में गवाही दे सके !

इसीलिए वैष्णव हर पूजा पाठ, कर्मकांड, अनुष्ठान आदि में अग्नि का दिया जलाते हैं और हवन आदि अग्निहोत्र कर्म करते हैं !

इसी तरह अलग-अलग धर्म समूहों में आपके कर्मों का प्रमाण अलग-अलग व्यक्ति या देवता को माना गया है ! कोई जीसस को प्रमाण मानता है, तो कोई अल्लाह को ! कोई कृष्ण को प्रमाण मानता है तो कोई राम को ! आदि आदि !

लूटपाट, डकैती, हत्या, बलात्कार, आदि दर्जनों कर्म शायद वैष्णव इसीलिए अंधेरे में करते हैं ! लेकिन अग्नि के साक्षी न होने के बाद भी उन्हें इन कर्मों का दंड तो भोगना ही पड़ता है !

जिससे यह स्वयं सिद्ध होता है कि अग्नि किसी भी कार्य की साक्षी नहीं है ! यह दुनिया ईश्वर की किसी अन्य व्यवस्था के अधीन चल रही है !

अब प्रश्न यह खड़ा होता है कि यदि अग्नि या भगवान आपके किसी भी कार्य की साक्षी नहीं हैं, तो फिर ईश्वरीय विधान के समक्ष आपके कृतियों का साक्षी कौन है ?
इसका सीधा सा जवाब है, इस पृथ्वी पर होने वाले हर तरह के मानसिक, शारीरिक, भौतिक कर्मों का आपका अपना स्वयं का अंत करण ही आपका साक्षी है ! जिससे आप कुछ भी नहीं छुपा सकते हैं !

इसी अंत:करण को शैव जीवन शैली में “स्व” कहा गया है !
अर्थात इस संसार में आप जो भी मानसिक, शारीरिक या भौतिक कर्म करते हैं ! इन सभी कर्मों का लेखा-जोखा हिसाब किताब आपका अपना “स्व चेतन” अर्थात “स्व चित्त” गुप्त रूप से रखता है !

इसी “स्व” के गुप्त स्वरूप चित्त को कायस्थ समाज में “चित्रगुप्त जी महाराज” कहा गया है ! जिन्हें यमराज की ओर से सभी प्राणियों के जन्म का लेखा-जोखा रखने का दायित्व दिया गया है !

अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि आप अपने “स्व” से कुछ भी नहीं छिपा सकते हैं या स्व से छुपकर कभी कोई अपराध नहीं कर सकते हैं !

इसीलिए ईश्वरीय व्यवस्था में स्व को ही आपके कर्मों का प्रमाण माना गया है ! अत: स्व के अतिरिक्त अन्य किसी भी प्रमाण को अपने कर्मों का प्रमाण मानना अज्ञानता है !

इसलिए बस वही कार्य करिए जिसकी आपका स्व स्वीकृति दे और यदि स्व की इच्छा के विरुद्ध आप कोई भी कर्म करते हैं तो वह निश्चित रूप से पाप है !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter

3 Comments

  1. Bone marrow cells isolated from femur, tibia, and hips of ОІ actin GFP mice were then intravenously injected into the tail vein of recipient mice buy cheap cialis discount online Lung MAP and the National Lung Matrix Trial aim to deliver precision based, FDA approved treatment to patients with lung cancer by using a streamlined trial design that allows flexibility for the investigators, patients, and drug manufacturers

Comments are closed.