पितृ पक्ष में कर्मकांड का रहस्य : Yogesh Mishra

पितृ पक्ष शुरू हो गये हैं ! अब हिंदू दर्शन के अनुसार पितृ पृथ्वी पर भ्रमण करेंगे ! अतः सभी आस्थावान परिवारों में अब 15 दिन तक पितरों के लिये पिंड दान, तर्पण, मर्जन आदि का अनुष्ठान किया जायेगा !

जिसके लिए उच्च श्रेणी के ब्राह्मण की तलाश होगी ! जो कर्मकांड का प्रकांड ज्ञाता होगा और जो यह श्राद्ध कर्म नहीं कर पायेगा उसे निरंतर आत्मग्लानि होगी !

आत्म विज्ञान पर उपदेश देते हुये श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अर्जुन को दूसरे अध्याय के तेइसवें श्लोक में बतलाया है कि
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥

अर्थात आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है ! न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है !

जबकि शैव जीवन शैली में आत्मा की तुलना सूर्य के प्रकाश से की गई है ! जिस तरह सूर्य के प्रकाश को न शस्त्र से काटा जा सकता है, न अग्नि जला सकता है, न पानी भिगो सकता है और न ही हवा उसे सुखा सकता है ! आत्मा ठीक उसी रूप में है ! इसीलिए ज्योतिष में भी सूर्य को आत्म कारक ग्रह कहा गया है !

लेकिन फिर भी सूर्य के प्रकाश में यह समर्थ है कि वह जल स्रोतों से अंश रूप में जल को अवशोषित कर उसे विराट बादल में परिवर्तित कर हमें वर्षा के रूप में प्रदान करता है ! जिससे मनुष्य का जीवन यापन पृथ्वी पर सहज और सरल हो जाता है !

ठीक इसी तरह यदि हम अपने पितरों की आत्मा को विशेष अवसर पर भोजन, जल, सम्मान, श्रृद्धा आदि देते हैं, तो उसका अंश रूप में वह आत्माएं सूर्य के प्रकाश की भांति स्वीकार करती हैं और अपने आशीर्वाद के अंश को मिलाकर हमें ही फिर वापस विराट रूप में प्रदान कर देती हैं !

जिससे हमारा सांसारिक जीवन सरल, सहज और प्रभावशाली हो जाता है और हम पितरों के आशीर्वाद के सहयोग से संसार में धन, यश आदि का भोग करते हुये, मृत्यु के उपरांत परम गति को भी प्राप्त कर लेते हैं ! यही पितृ पक्ष के कर्मकांड का रहस्य है !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter