राहु – केतु पर एक विशिष्ठ बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण शोध लेख । जरूर पढ़ें । Yogesh Mishra

राहु – केतु पर एक विशिष्ठ शोध लेख ।

राहु और केतु को ग्रह माना गया है लेकिन ये आकाश मंडल में दिखाई नहीं देते हैं। ये सूर्य, चंद्रमा व मंगल आदि ग्रहों की तरह दृश्यमान ग्रह नहीं हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाय तो ये दोनों ग्रह आकाश में कल्पित बिन्दु हैं। इन दोनों की अपनी कोई राशि नहीं है। पृथ्वी की सूर्य की प्रदक्षिणा करने की भ्रमण कक्षा और चंद्रमा की पृथ्वी की प्रदक्षिणा करने की भ्रमण कक्षा जिन दो स्थानों पर काटती है वे दोनों कटान बिन्दु ही राहु व केतु हैं।

राहु- राहु जिस स्थान (राशि) या पर होता है उसी के अनुसार फल देता है। राहु जिस नक्षत्र पर होता है उसके अनुसार भी फल प्रदान करता है। राहु को सांप के मुंह के समान माना गया है। सांप के मुंह में जहर होता है, इसलिए राहु को विषैला ग्रह माना गया है। विष वृत्ति के कारण इसमें शूद्रता, क्रूरता और झूठापन है। सर्प अकेले में रहने वाला है, इसलिए जंगली वृत्ति, अकेलापन, बुराई करने की ताक में रहने वाला इत्यादि गुणों का राहु स्वामी है। बंधन योग भी राहु से देखा जाता है। राहु अदृश्य है इसलिए पिशाच योनि, मारण विद्या, कर्ण पिशाचनी सिद्धि और श्मशान से राहु जुड़ा हुआ है। अतृप्त आत्माएं भी राहु से देखी जाती हैं। ऐसी कुण्डलियां जिनमें राहु की महादशा प्रारंभ होती है उनकी समस्याएं बड़ी अजीब होती हैं।

गुण- राहु के पास जहर है, इसलिए कटु स्वभाव, हल्की सोच, अभिचार, वासना, पिशाच की तरह व्यवहार, चोरी, ठगी, उतावलापन, शंकालु स्वभाव इत्यादि राहु के प्रभाव के कारण होता है। साथ ही राहु जिस ग्रह की दृष्टि में, युति में, नक्षत्र में और राशि में होता है उसी के अनुसार फल प्रदान करता है।

शरीर के हिस्से- शरीर में सहस्रार चक्र पर राहु का अधिकार है।

बीमारियां- राहु शूद्र और हल्का ग्रह होने के कारण हल्की सोच, पागलों जैसा व्यवहार, पागलपन, कुष्ट रोग, पिशाच बाधा, मृत आत्माओं के शाप, मारण जैसे प्रयोग, साथ ही राहु जिस राशि, नक्षत्र या ग्रह की दृष्टि व युति में होता है, उससे संबंधित बीमारियां देता है।

उत्पाद- काले रंग की वस्तुएं, कार्बन, मैगनेट, मारण में प्रयोग की जाने वाली वस्तुएं, बाल और ऊनी वस्त्र।

स्थान- दलदल भूमि, गन्दगी वाले स्थान, डरावने स्थान, श्मशान, गांव की हद, कारावास व शांत स्थान।

जानवर व पेड़ पौधे- जहरीले जानवर, जहरीले पौधे, सांप और कौआ राहु से संबंधित हैं।

 

केतु- राहु को सांप का मुंह और केतु को सांप की पूंछ माना गया है। सांप के मुंह में जहर और पूंछ में शक्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में इसे कुजवत केतु: कहा गया है अर्थात केतु मंगल के समान होता है।

अधिकार- अध्यात्म, तंत्र-मंत्र विद्या, आयुर्वेद, औषधि, वनस्पति पर केतु का अधिकार है।

शरीर के हिस्से- जिस ग्रह की युति व दृष्टि में अथवा राशि में केतु होता है, उससे संबंधित शरीर के हिस्से पर इसका प्रभाव होता है।

गुण- परेशानियों में वृद्धि, हल्की सोच और शिक्षा में कठिनाइयां, तंत्र-मंत्र विद्या के प्रति आकर्षण, शक्ति का दुरूपयोग ।

बीमारियां- त्वचा रोग, क्षुद्र लोगों से पीड़ा।

कारोबार- वैद्यक, दवाओं का कारोबार।

उत्पाद- तंत्र-मंत्र, अध्यात्म, आयुर्वेदिक वस्तुएं, औषधि व वनस्पति।

स्थान- तीन रास्ते जहां मिलते हैं, चौराहा, ध्यान-धारणा के स्थान।

जानवर- सर्प की पूंछ पर इसका अधिकार है।

 

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter