राधा कामुक और छिनरे कथावाचकों की मानसिक कल्पना है : Yogesh Mishra

शास्त्र विहीन कथा वाचक बतलाते हैं कि संसार की दृष्टि में राधा की माता कीर्ति गर्भवती हुई लेकिन उनके गर्भ में राधा ने प्रवेश नहीं किया ! कीर्ति ने अपने गर्भ में वायु को धारण कर रखा था और योगमाया के सहयोग से कीर्ति ने वायु को जन्म दिया लेकिन वायु के जन्म के साथ ही वहां राधा कन्या रुप में प्रकट हो गई ! इसलिए यह माना जाता है कि देवी राधा अयोनिजा देवी हैं !

जबकि भगवान श्री कृष्ण के ऊपर लिखे गए दो प्रमाणिक इतिहासिक धर्म ग्रन्थ उनके ही समकालीन महान लेखक वेदव्यास ने महाभारत और श्रीमद्भागवत पुराण के रूप में लिखे ! इन दोनों ही ग्रंथों में राधा नाम की किसी भी कृष्ण के प्रेमिका का वर्णन नहीं मिलता है !

कालांतर में गर्ग पुराण एवं ब्रह्मवैवर्त पुराण में प्रायोजित तरीके से भगवान श्री कृष्ण की छवि को बिगाड़ने के लिए मुगल और अंग्रेज शासनकाल में राधा नाम की काल्पनिक नायिका का प्रवेश रासलीला की शुरुआत करके करवा दिया गया !

इसके पीछे का सत्य यह है कि जब मुगल शासक अकबर के दोगले व्यक्तित्व से प्रभावित होकर अधिकांश हिंदू भयवश या लालचवश मुसलमान होने लगे तब गोस्वामी तुलसीदास ने हिंदुओं को संगठित करने के लिए काशी नरेश के खर्चे पर रामलीला की शुरुआत की और रामचरितमानस नामक ग्रंथ लिखा ! जिसकी सूचना प्राप्त होते ही अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास से उनका अवधी भाषा में लिखित रामचरितमानस नामक ग्रंथ छीन कर अपने ब्राह्मण राज दरबारी टोडरमल को दे दिया और उन्हें दिल्ली के लाल किले के कैद खाने में डलवा दिया !
इसी वजह से गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस की संपूर्ण मूल प्रति आज तक कहीं भी उपलब्ध नहीं है ! जिन्हें मूल प्रति बतलाया जाता है, वह सभी बाद में सरजूपारी ब्राह्मणों द्वारा लिखी गयी हस्तलिखित प्रतियाँ हैं !

धीरे धीरे रामलीला का चलन बहुत तेजी से बढ़ा और हिंदू संगठित होने लगा ! तब हिंदुओं के संगठित होने की सूचना मिलने पर अकबर घबरा गया और उसने तानसेन के माध्यम से तानसेन के गुरु संत शिरोमणि हरिदास जो कि वृंदावन में रहते थे ! उन के माध्यम से राधा नाम की काल्पनिक नायिका की उत्पत्ति की और उन्हीं से रामलीला के समानांतर रासलीला की शुरुआत करवाई !

रासलीला की शुरुआत होते ही खुले आम सार्वजनिक मंचों पर कृष्ण और राधा के कामुक चरित्र का वर्णन किया जाने लगा ! जिससे कामुक टाइप के लोग रामलीला के स्थान पर रासलीला में अधिक रुचि दिखाने लगे और उन्हें उच्च श्रेणी का प्रसाद, वस्त्र, कम्बल, आदि बांट कर लुभाये जाने का प्रयास किया जाने लगा !

यह सभी कार्य मुगल शासक अकबर के खर्चे पर होता था ! जिसमें समाज का धूर्त व्यक्ति जुड़ता चला गया ! इस तरह रामलीला के स्थान पर रासलीला को भारतीय समाज में स्थापित कर दिया गया ! जिस की काल्पनिक नायिका राधा को धूर्त कथा वाचकों द्वारा ब्रज की अधिष्ठात्री देवी घोषित कर दिया गया !

कालांतर में ब्रज के कथावाचकों ने गिरोह बना कर राधा के कामुक चित्रण को धन कमाने के लिये मुग़ल व अंग्रेजों की शह पर खूब कथा वाचन किया ! जिससे भारतीय समाज में कृष्ण का योद्धा और राजनैतिक चरित्र कलंकित हो गया और लोग राधा के कारण कृष्ण को कामुक और विलासी व्यक्ति के रूप में देखने लगे ! यही से हिंदू समाज में कृष्ण के व्यक्तित्व को लेकर पतन शुरू हुआ ! जिसे बृज के धूर्त कथावाचक कामुक हिंदुओं ने खूब जमकर बढ़ावा दिया !

जब कि यह धूर्त कथा वाचक जानते ही नहीं हैं कि कृष्ण ने वृन्दावन मात्र 10 वर्ष की अल्प आयु में ही छोड़ दिया था और जरासंध के डर से मथुरा भी मात्र 24 वर्ष की आयु में छोड़ दिया था ! कृष्ण के ऊपर बचपन से ही इतने हमले हुये कि उन्हें 1 मिनट भी अकेला नहीं छोड़ा जाता था ! वह राधा के साथ प्रेम प्रणय कैसे और कब करते यह भी विचार का विषय है !

अब तो धर्म ग्रंथों और पुराणों में भी परिवर्तन करके राधा को स्थापित करने के प्रमाण इकट्ठे किये जा रहे हैं ! जोकि कृष्ण के राजनीतिक, कूटनीतिक, दूरदर्शी, निष्कलंक चरित्र पर एक कलंक से अधिक और कुछ नहीं है ! यही कलयुग में भक्तों पर कलयुग का प्रभाव है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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