जानिए मातृशक्ति के अधिकार और शक्ति !

भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त भारत के मौलिक के मौलिक अधिकारों के अन्तर्गत सभी को अनुच्छेद १४-१८ के अन्तर्गत समानता का अधिकार दिया गया है ! जो कि महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का अधिकार देता है ! इसके अन्तर्गत यह भी सुनिश्चित किया गया है कि राज्य के तहत होने वाली नियुक्तियों और रोजगार के संबंध में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा ! और संविधान द्वारा मौलिक अधिकारों के अन्तर्गत दिये गया समानता का अधिकार भारतीय राज्य को किसी के भी खिलाफ लिंग के आधार पर भेदभाव करने से रोकता है !

देश में महिलाओं के उत्थान और सशक्तीकरण को देखते हुए हमारे संविधान को 1993 में संशोधित किया गया ! 73वें संशोधन के जरिये संविधान में अनुच्छेद 243ए से 243ओ तक जोड़ा गया ! इस संशोधन में इस बात की व्यवस्था की गई कि पंचायतों और नगरपालिकाओं में कुल सीटों की एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए सुरक्षित होंगी ! इस संशोधन में इसकी भी व्यवस्था की गई कि पंचायतों और नगरपालिकाओं में कम से कम एक तिहाई चेयरपर्सन की सीटें महिलाओं के लिए सुरक्षित हों ! पंचायती राज संस्थानों द्वारा महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने में सकारात्मक कार्यवाही से महिलाओं के प्रतिनिधित्व में तेजी से वृद्धि हुई है ! वास्तव में देखा जाए तो देशभर में पंचायतों में चुनी गई महिलाओं का प्रतिनिधित्व 40 प्रतिशत हो गया है !

कुछ राज्यों में पंचायतों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है ! बिना प्रतिनिधत्व के महिलाओं का सशक्तीकरण असंभव है ! जब तक महिलाओं को प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाएगा तब तक हम महिलाओं के सशक्तिकरण की कल्पना नहीं कर सकते !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 मार्च महिला दिवस के दिन सिर्फ महिला सांसदों या विधायकों को संसद या विधानसभा में बोलने का सुझाव भी सराहनीय है ! इस सुझाव पर संसद और विधानसभाओं को गौर करना चाहिए ! लेकिन आज इसके साथ-साथ जरूरत है कि संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को उनकी आबादी के हिसाब से या 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए ! जिससे कि पंचायतों और नगरपालिकाओं की तरह संसद और विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ सके ! साथ ही साथ जरूरत है कि महिलाओं के आरक्षण में पिछडे और आदिवासी वर्ग की महिलाओं को अलग से कोटा दिया जाये जिससे कि पिछडे और दबे कुचले वर्ग की महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिल सके !

भारत की विधायिका में महिलाओं को आरक्षण दिलाने के लिए सभी दलों को दलगत राजनीति से उठकर महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करना चाहिए ! कोई भी राष्ट्र महिलाओं के बिना शक्तिहीन है ! क्योंकि राष्ट्र को हमेशा से महिलाओं से ही शक्ति मिलती है ! किसी भी जीवंत और मजबूत राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण है ! महिलाओं की राजनैतिक भागीदारी से लोकतंत्र की जडें मजबूत होती है !

आज जरूरत है कि समाज में महिलाओं को अज्ञानता, अशिक्षा, कूपमंण्डुकता, संकुचित विचारों और रूढिवादी भावनाओं के गर्त से निकालकर प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए उसे आधुनिक घटनाओं, ऐतहासिक गरिमामयी जानकारी और जातीय क्रियाकलापों से अवगत कराने के लिए उसमे आर्थिक ,सामजिक, शैक्षिक, राजनैतिक चेतना पैदा करने की ! जिससे की नारी भी समाज को सही दिशा दे सकें !

साथ-साथ आज जरूरत है कि समाज कि जितनी भी रूढिवादी समस्याएं हैं हमें उनका समाधान खोजते हुए हटधर्मिता त्यागकर शैक्षिक, सामजिक, सोहाद्पूर्ण, व्यावसायिक और राजनैतिक चेतना का मार्ग प्रशस्त करते हुए महिलाओं के सामजिक उत्थान का संकल्प लेना चाहिये ! क्योंकि हजारों मील की यात्रा भी एक पहले कदम से शुरू होती है !

सही मायने में महिलाओं को वह सम्मान मिलेगा जिसकी वे हकदार हैं ! इसके साथ ही समाज को संकल्प लेना चाहिए कि भारत में समरसता की बयार बहे, भारत के किसी घर में कन्या भ्रूण हत्या न हो और भारत की किसा भी बेटी को दहेज के नाम पर न जलाया जाये ! विश्व के मानस पटल पर एक अखंड और प्रखर भारत की तस्वीर तभी प्रकट होगी जब हमारी मातृशक्ति अपने अधिकारों और शक्ति को पहचान कर अपनी गरिमा और गौरव का परिचय देगी और राष्ट्र निर्माण में अपनी प्रमुख भूमिका निभाएंगी !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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