जानिए विवाह उपरान्त भाग्य उदय क्यों !! : Yogesh Mishra

विवाह मानव जीवन का एक प्रमुख संस्कार है ! विवाह के बाद एक युवक ओर युवती को आजीवन एक साथ रहना होता है ! शास्त्रों में पत्नी को “अर्द्धांगिनी” कहा गया है ! पति का दुःख ओर सुख पत्नी का भी दु:ख, सुख होता है, क्यों की विवाह के बाद दोनों का भाग्य एक दूसरे से जुड़ जाता है ! कई बार देखने में आया है कि, पति कि कुण्डली में राजयोग नहीं हो ओर पत्नी कि कुण्डली में राजयोग हो तो, पत्नी के राजयोग का सुख पति को मिलता है ! पति कि कुण्डली में राजयोग हो ओर पत्नी कि कुण्डली में न हो तथा दरिद्रता के योग बने हुये हो तो पति की कुण्डली का राजयोग अपना प्रभाव नहीं दिखाता है तथा विवाह के बाद व्यक्ति की अवनति होने लगती है ! क्यों कि पत्नी पति की “अर्द्धांगिनी” होती है !

पति ओर पत्नी में प्रमुख स्थान पति का है ! पत्नी के लिये पति ही परमेश्वर है, लेकिन पति के लिये पत्नी परमेश्वरी नहीं है ! बल्कि वह घर की लक्ष्मी बनती है ! पत्नी को गृहलक्ष्मी इसलिये ही कहा गया है ! क्यों कि विवाह के बाद पत्नी का 100% भाग्य पति से ही जुड़ जाता है ! ज्योतिष शास्त्र में अनेक स्थान पर “स्त्री सुख” के योग बताये गये हैं ! लेकिन “पति सुख” नाम का कोई योग कहीं नहीं है ! स्त्री का जब पुरूष के जीवन में प्रवेश होता है, तब पुरूष के जीवन में बहुत तेजी से आश्चर्यजनक परिवर्तन होते हैं, यह स्त्री दोस्त, प्रेमिका, ओर पत्नी इन तीन रूपों में पुरूष के भाग्य को प्रभावित करती है !

सनातन धर्म के अनुसार पत्नी पति को दान में मिलती है ! इसीलिये विवाह में कन्या दान किया जाता है ! शास्त्रों में पत्नी को गृहलक्ष्मी तो कहा है, लेकिन पुरूष को नारायण नहीं कहा गया ! (वेसे तो यह सारा संसार ही नारायण स्वरूप है, परंतु यहाँ चर्चा केवल पति ओर पत्नी कि है) उपरोक्त बातों का सार यही है कि, पत्नी का भाग्य पति को प्रभावित करता है, लेकिन पति का भाग्य पत्नी को प्रभावित नहीं करता है ! कन्या के भाग्य में अगर राजयोग है, ओर उसका विवाह किसी दरिद्र से भी कर दिया जाये तो, वह दरिद्र 100% पत्नी के राजयोग का सुख भोगेगा, क्यों कि वह पति के लिये लक्ष्मी बनकर आई है, और यदि पत्नी कि कुण्डली में दु:ख लिखा है तो, वह राजा के घर में जाकर भी सुख नहीं भोग पायेगी !

हमने बहुत बार देखा है :–

1. कन्या कि सगाई लडके से होते ही लडके का भाग्योदय होते हुए देखा है !
2. विवाह के 1-2 दिन बाद ही पति कि मृत्यु भी देखी है !
3. कन्या कि सगाई लडके से होते ही लडके को राजकीय नौकरी मिलते भी देखा है !
4. विवाह के बाद पति के पतन ओर उन्नति दोनों को देखा है !
या तो पति कि लाइफ बन जाती है, या खराब हो जाती है !
अगर दोनों कि कुण्डली में साधारण ही योग हों तो दोनों साधारण स्तर का जीवन व्यतीत करते हैं !

पत्नी अगर धन कमाने में सक्षम मिलती है तो, पत्नी का कमाया हुआ सारा धन पति के ही काम आता है ! अगर पत्नी एकाधिकार जमाये तो रिश्ता खराब हो जायेगा ! पति का स्वयं के धन से केवल पत्नी कि जरूरतों को पूरा करता है ! पति के बिना पत्नी का कोई अस्तित्व नहीं है, लेकिन पत्नी के बिना पति पर कोई विशेष फर्क नहीं पडता है !

क्यों कि प्राचीन समाज में विधवा स्त्री को हेय कि दृष्टि से देखा जाता था, लेकिन विधुर पुरूष को दूसरा विवाह करने का अधिकार था ! पत्नी के लिये पति ही परमेश्वर है, ओर जहाँ जहाँ पत्नी ने परमेश्वरी बनने का प्रयत्न अर्थात स्वयं को पति से श्रेष्ठ साबित करने का प्रयत्न किया है, उस स्थान कि सुख-शान्ति, चैन छिनकर उस कुल का विनाश हुआ है और इसी प्रकार जब जब पति ने निर्दोष पत्नी पर अत्याचार किया है, तब पति कि दुर्गति होकर वह निर्धनता को प्राप्त होता है ! तथा जीवित रहते हुए तथा मृत्यु के बाद भी ऐसा पति घोर यातनाओं को भोगता है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter