ज्योतिष सीखने से पहले मानव मस्तिष्क जानिये : Yogesh Mishra

संपूर्ण ब्रह्मांड में जो भी है वह द्रव्य एवं ऊर्जा का संगम है ! समस्त दृश्य एवं अदृश्य इन्ही दोनो के संयोग से घटित होता है ! हम और हमारा मस्तिष्क इसके अपवाद नहीं हैं ! सृष्टि के मूलभूत कणों के विभिन्न अनुपात में संयुक्त होने से परमाणु और क्रमशः अणुओं का निर्माण हुआ है ! मस्तिष्क एवं इसके विभिन्न भाग, सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं भंडारण के लिए इन्हीं अणुओं पर निर्भर रहते हैं ! यह विशेष अणु न्यूरोकेमिकल कहलाते हैं ! मस्तिष्क एक विशेष प्रकार की कोशिकाओं से मिल कर बना होता है जिन्हें तंत्रिका कोश कहते हैं !

ये मस्तिष्क की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई होतीं हैं ! इनकी कुल संख्या 1 खरब से भी अधिक होती है ! संरचनात्मक रूप से मस्तिष्क के तीन मुख्य भाग होते हैं ! अग्र मस्तिष्क, मध्य मस्तिष्क एवं पश्च मस्तिष्क ! प्रमस्तिष्क एवं डाइएनसीफेलॉन अग्र मस्तिष्क के भाग होते हैं ! मेडुला, पोन्स एवं अनुमस्तिष्क पश्च मस्तिष्क के भाग होते हैं ! मध्य मस्तिष्क एवं पश्च मस्तिष्क मिल कर मस्तिष्क स्तंभ का निर्माण करते हैं !

मस्तिष्क स्तंभ मुख्यतः शरीर की जैविक क्रियाओं एवं चैतन्यता का नियंत्रण करता है ! प्रमस्तिष्क गोलार्ध प्रमस्तिष्क के दो सममितीय भाग होते हैं और आपस में मध्य में कॉर्पस कैलोसम द्वारा जुड़े होते हैं ! इनकी सतह का भाग प्रमस्तिष्क वल्कुट कहलाता है ! मस्तिष्क के इन विभिन्न भागों की क्रियात्मक समरूपता वाली कोशिकाएं तंत्रिका संजाल का निर्माण करती हैं ! विभिन्न संजाल मिल कर प्रतिचित्र का निर्माण करते हैं !

मस्तिष्क जन्तुओं के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का नियंत्रण केन्द्र है ! यह उनके आचरणों का नियमन एंव नियंत्रण करता है ! स्तनधारी प्राणियों में मस्तिष्क सिर में स्थित होता है तथा खोपड़ी द्वारा सुरक्षित रहता है ! यह मुख्य ज्ञानेन्द्रियों, आँख, नाक, जीभ और कान से जुड़ा हुआ, उनके करीब ही स्थित होता है ! मस्तिष्क सभी रीढ़धारी प्राणियों में होता है परंतु अमेरूदण्डी प्राणियों में यह केन्द्रीय मस्तिष्क या स्वतंत्र गैंगलिया के रूप में होता है ! कुछ जीवों जैसे निडारिया एंव तारा मछली में यह केन्द्रीभूत न होकर शरीर में यत्र तत्र फैला रहता है, जबकि कुछ प्राणियों जैसे स्पंज में तो मस्तिष्क होता ही नही है ! उच्च श्रेणी के प्राणियों जैसे मानव में मस्तिष्क अत्यंत जटिल होते हैं ! मानव मस्तिष्क में लगभग 1 अरब तंत्रिका कोशिकाएं होती है, जिनमें से प्रत्येक अन्य तंत्रिका कोशिकाओं से 10 हजार से भी अधिक संयोग स्थापित करती हैं ! मस्तिष्क सबसे जटिल अंग है !

भारत की प्राचीन पाण्डुलिपियों और शास्त्रों में मस्तिष्क का वर्णन

मस्तिष्क के द्वारा शरीर के विभिन्न अंगो के कार्यों का नियंत्रण एवं नियमन होता है ! अतः मस्तिष्क को शरीर का मालिक अंग कहते हैं ! इसका मुख्य कार्य ज्ञान, बुद्धि, तर्कशक्ति, स्मरण, विचार निर्णय, व्यक्तित्व आदि का नियंत्रण एवं नियमन करना है ! तंत्रिका विज्ञान का क्षेत्र पूरे विश्व में बहुत तेजी से विकसित हो रहा है ! बडे-बड़े तंत्रिकीय रोगों से निपटने के लिए आण्विक, कोशिकीय, आनुवंशिक एवं व्यवहारिक स्तरों पर मस्तिष्क की क्रिया के संदर्भ में समग्र क्षेत्र पर विचार करने की आवश्यकता को पूरी तरह महसूस किया गया है ! एक नये अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया है कि मस्तिष्क के आकार से व्यक्तित्व की झलक मिल सकती है ! वास्तव में बच्चों का जन्म एक अलग व्यक्तित्व के रूप में होता है और जैसे जैसे उनके मस्तिष्क का विकास होता है उसके अनुरुप उनका व्यक्तित्व भी तैयार होता है !

विज्ञान क्या कहता है !

मनुष्यों में, मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र का नियंत्रक बिन्दु है ! यह सिर की खोपड़ी के अंदर स्थित होता है और खोपड़ी की हड्डीदार संरचना के कारण सुरक्षित रहता है, जिसे क्रेनियम (कपालिका) कहा जाता है ! मस्तिष्क को तीन झिल्लियां घेरे रहती है, जिसे मेनिंग्स कहते हैं और यह मस्तिष्क की रक्षा करती हैl मानव मस्तिष्क को तीन भागों, अग्रमस्तिष्क, मध्यमस्तिष्क और पश्च मस्तिष्क में बांटा गया है ! यह लेख मस्तिष्क के बारे में कुछ ऐसे रोचक तथ्यों से संबंधित है, जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगेl

मनुष्यों में, मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र का नियंत्रक बिन्दु है ! यह तंत्रिका तंत्र से इनपुट प्राप्त करता है और मांसपेशियों को आउटपुट भेजता है ! यह सिर की खोपड़ी के अंदर स्थित होता है और खोपड़ी की हड्डीदार संरचना के कारण सुरक्षित रहता है, जिसे क्रेनियम (कपालिका) कहा जाता है ! मस्तिष्क को तीन झिल्लियां घेरे रहती है, जिसे “मेनिंग्स” कहते हैं और यह मस्तिष्क की रक्षा करती हैl “मेनिंग्स” के बीच की जगह में “प्रमस्तिष्कमेरू द्रव” भरा रहता है जो मस्तिष्क को यांत्रिक झटकों से बचाता है ! मस्तिष्क से कपालीय नसें निकलती हैं !

मानव मस्तिष्क को तीन भागों, अग्रमस्तिष्क, मध्यमस्तिष्क और पश्च मस्तिष्क में बांटा गया है ! अग्रमस्तिष्क में मुख्य रूप से सेरेब्रम होता है, जो मस्तिष्क की सोचने की शक्ति को नियंत्रित करता है ! मध्यमस्तिष्क किसी और हिस्से के रूप में विभाजित नहीं होता है और पश्च मस्तिष्क में पोंस, सेरेबेलम और मेडुला शामिल हैl पश्च मस्तिष्क का कार्य दृश्य और श्रवण उत्तेजनाओं के प्रतिक्रियास्वरूप सिर, गर्दन आदि में होने वाले परिवर्तन को नियंत्रित करना है ! यह आंख की मांसपेशियों की गति को भी नियंत्रित करता है !

मस्तिष्क अधिकांश जीव जंतुओं के शरीर का आवश्यक अंग हैं ! इस लेख में मानव शरीर से संबंधित उल्लेख है ! प्राणी जगत् में मनुष्य का मस्तिष्क सर्वाधिक विकसित होता है ! वयस्क मनुष्य में इसका भार लगभग 1350 से 1400 ग्राम होता है ! यह खोपड़ी की कपालगुहा में सुरक्षित रहता है ! कपाल गुहा का आयतन 1200 से 1500 घन सेंटीमीटर होता है ! मस्तिष्क के चारों ओर दो झिल्लियाँ पाई जाती हैं ! बाहरी झिल्ली को दृढ़तानिका और भीतरी झिल्ली को मृदुतानिका कहते हैं ! दोनों झिल्लियों के मध्य प्रमस्तिष्क मेरुद्रव्य भरा रहता है ! यह मस्तिष्क की चोट, झटकों आदि से रक्षा करता है ! मस्तिष्क का निर्माण तन्त्रिका कोशिकाओं तथा न्यूरोग्लियल कोशिकाओं के द्वारा होता है !

हमारा मस्तिष्क अपनी कुल ऊर्जा और संचित ऑक्सीजन का 20% और हमारे रक्त में प्रवाहित होने वाले ग्लूकोज (शर्करा) का केवल 25% उपयोग करता है ! मानव मस्तिष्क का वजन शरीर के कुल वजन का लगभग 2% अर्थात 3 पौंड के बराबर होता है, जिसमें से 60% वजन इसमें उपस्थित वसा का होता है, जिसकी वजह से मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे वसायुक्त अंग है !

मैडिसन में स्थित विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय के मानव विज्ञानी जॉन हॉक्स के अनुसार मानव मस्तिष्क करीब 9 घन इंच अर्थात 150 घन सेंटीमीटर सिकुड़ गया हैं, जबकि प्राचीन काल में मानव मस्तिष्क का औसत क्षेत्रफल 82 घन इंच अर्थात 1350 घन सेंटीमीटर था l

जो मानव मस्तिष्क ऑक्सीजन न होने पर गर्भावस्था के दौरान न्यूरॉन्स प्रति मिनट 2,00,000 से भी अधिक तेजी से बढ़ता है ! केवल 5 मिनट तक ऑक्सीजन की कमी होने पर ही मानव मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है !
मानव मस्तिष्क में 12-25 वाट बिजली उत्पन्न होती है, जोकि कम वोल्टेज वाले एलईडी लाइट जलाने के लिये पर्याप्त हैं ! लेकिन यह बनती कैसे है कोई नहीं जनता है ! जिसे ध्यान द्वारा बढ़ाया जा सकता है ! यह क्षमता इतनी बढ़ाई जा सकती है कि पूरे दिल्ली को 7 मिनट तक बिजली सप्लाई दी जा सके !

आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि हमारे चेहरे पर दिखाई देने वाली झुर्रियां मानव मस्तिष्क को और भी तेज बनाती हैl मस्तिष्क की सतह को प्रमस्तिष्क आवरण) के रूप में जाना जाता है, जिसमें कुछ जटिल गहरी दरारें होती हैं, कुछ छोटे खांचे होती हैं, जिन्हें “सुल्सी” के रूप में जाना जाता है और धब्बे रूपी उभार होते हैं, जिन्हें “गयरी के रूप में जाना जाता हैl इसके साथ ही यह लगभग 100 अरब तंत्रिका या न्यूरॉन कोशिकाओं का घर है !

मेंडरिंग और मुड़ी हुई सतह मस्तिष्क को अधिक सतह क्षेत्र में फैलने की अनुमति देता है, इस प्रकार खोपड़ी को सीमित सीमाओं में अधिक प्रसंस्करण करने की शक्ति मिलती है ! इसके अलावा विभिन्न अनुसंधानों से यह साबित हो चुका है कि डॉल्फिन के मस्तिष्क में मनुष्यों की तुलना में अधिक झुर्रियां होती हैं !

वैज्ञानिकों के अनुसार रात की अपेक्षा दिन में मस्तिष्क अधिक सक्रिय होता है ! मोटे तौर पर हमारे मस्तिष्क में लगभग 100 अरब न्यूरॉन कोशिकाएं होती हैं ! मस्तिष्क में ज्यादातर, कोशिकाएं न्यूरॉन्स नहीं हैं? न्यूरॉन्स केवल 10% मस्तिष्क कोशिकाएं ही बनाती हैं, जबकि 90% मस्तिष्क कोशिकाएं “ग्लिया” बनाती है, जिसे ग्रीक में “ग्लू” कहा जाता है ! न्यूरोसाइंटिस्ट के मुताबिक “ग्लिया” एक चिपचिपाहट वाला पदार्थ है जो न्यूरॉन्स को एक साथ जोड़े रखता हैl उसके विकास के क्रम में उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं !

मानव मस्तिष्क में होने वाला संपूर्ण क्रियाकलाप हमारे ब्रह्मांड में होने वाले समस्त घटनाओं से प्रभावित होता है कौन सा ग्रह कब कहां पृथ्वी के किस ओर गति कर रहा है वह ग्रह वक्री है या मार्गी है उच्च है या नीचे किसी दूसरे ग्रह से कितनी दूरी पर है आदि ग्रहों से संबंधित समस्त उड़ जाए जो हमारे मस्तिष्क को प्राप्त होती है वह हमारे मस्तिष्क में 8400000 तरह के रसायनों का निर्माण करती हैं यह रसायन जब मस्तिष्क से शरीर में उर्जा रूप में परिवर्तित होकर रक्त और चंद्रिका तंत्र के माध्यम से प्रवेश करता है तब यह हमारे संपूर्ण जीवन को प्रभावित करता है हमारे अंदर उत्साह और निराशा का भाव भय और साहस का भाव चीजों को सोचने समझने की क्षमता सांसारिक व्यक्तियों या वस्तु को आकर्षित करना एवं उससे घृणा करने का भाव आदि सभी चीजें इन्हीं ग्रहों के संचालन और ऊर्जा से प्रभावित होती हैं इसीलिए ज्योतिष को सीखने से पहले मानव मस्तिष्क की संरचना को जितना जल्दी और अच्छी तरह से सीख लिया जाएगा वह हमारे ज्योतिष के फलादेश को करने में सहायक होगा !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter