क्या भारत के राष्ट्रीय ध्वज का चक्र ही भारत की प्रगति में बाधक है : Yogesh Mishra

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में समान अनुपात में तीन क्षैतिज पट्टियां हैं ! केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफेद बीच में और हरा रंग सबसे नीचे है ! ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है ! सफेद पट्टी के बीच में गाढ़े नीले रंग का चक्र है !

बतलाया जाता है कि शीर्ष में केसरिया रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है ! बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत है ! हरा रंग देश के शुभ, विकास और उर्वरता को दर्शाता है !

इसका प्रारूप सारनाथ में अशोक के सिंह स्तंभ पर बने चक्र से लिया गया है ! इसका व्यास सफेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग बराबर है और इसमें 24 तीलियां हैं ! भारत की संविधान सभा में भारत के इस राष्ट्रीय ध्वज के प्रारूप 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था !

आज हम भारत के राष्ट्रीय ध्वज के मध्य में स्थित गाढ़े नीले रंग का चक्र की समीक्षा करेंगे ! जिसे काशी के निकट सारनाथ गौतम बुद्ध की कर्मभूमि में स्थित सम्राट अशोक के सिंह स्तंभ से लिया हुआ बतलाया जाता है !

सम्राट अशोक एक ऐसे शासक थे ! जिन्होंने सत्ता तक पहुंचने के लिये अपनों के भी खून को बहाने में कोई संकोच नहीं किया था और अपने साम्राज्य विस्तार के लिये लाखों हत्याओं बाद अंतिम कलिंग की लड़ाई के बाद सैन्य विद्रोह के कारण युद्ध से सन्यास ले लिया था !

और सनातन धर्म विरोधी सिधान्तों पर आधारित बौद्ध धर्म की शरण में चले गये थे ! तथा जीवन पर्यन्त बौद्ध के प्रचार प्रसार में लगे रहे और सनातन धर्म पर आधारित जीवन शैली का विरोध करते रहे अपने क्षेत्र के गुरुकुलों को उजाड़ कर उन्हें बौद्ध धर्म के अय्याशी के अड्डों में बदल दिया था ! जिससे सनातन धर्म आधारित वर्ण व्यवस्था नष्ट हो गयी और वर्णसंकर समाज का निर्माण हुआ !

परिणामत: भारतीय समाज छिन्न भिन्न हो गया और सैन्य सामर्थ खो जाने के कारण भारत पर विदेशी आक्रान्ताओं का आक्रमण शुरू हुआ और भारत को 800 साल की गुलामी झेलनी पड़ी !

ऐसे अदूरदर्शी सनातन धर्म विरोधी शासक के सिंह स्तंभ से लिया हुआ चक्र आज भारत के राष्ट्रीय ध्वज के मध्य स्थित है ! यह स्वयं में ही पुन: विचार का विषय है !

और उससे बड़ी बात यह चक्र गहरे नील रंग से बना है जो निराशा, हताशा, दुःख, संघर्ष, विरोध, विद्रोह का प्रतिक है ! यह गहरा नीला रंग शरीर को उत्साह विहीन, निराशावादी, चिन्तातुर और ठंडा रखता है !

इसके अलावा इस चक्र के अन्दर 24 तीली 24 घंटे का प्रतीक हैं ! जिसके ऊपर एक बड़ा सा चक्र उन तीलियों को अपने अन्दर समेटे हुये है ! जो कि विकास गति पर बंधन अर्थात विघ्न बाधाओं का प्रतीक है ! शायद इसीलिये लाख प्रयास करने के बाद भी भारत अन्य देशों के मुक़ाबले अपना विकास नहीं कर पा रहा है !

ध्वज के मध्य में स्थित चक्र का आकर भी पूर्ण सफ़ेद मध्य भाग को कवर नहीं करता है वह भी आकर में छोटा और आधा अधूरा है ! इसीलिये भारत का विकास भी आधा अधूरा है और न ही ऊपर के भगवा के प्रतीक हिन्दू , मध्य सफ़ेद के प्रतीक इसाई और नीचे हरे के प्रतीक मुसलमान नागरिकों के मध्य आज तक सामंजस्य ही बन पाया है !

इन्हीं सब खामियों के कारण हमें भारत के राष्ट्रीय ध्वज की पुनः समीक्षा करनी चाहिये ! क्योंकि इसमें वास्तु अनुसार अन्य भी बहुत सी कमियां हैं जिस वजह से यह राष्ट्रीय ध्वज होते हुये भी भारतीय नागरिकों के ह्रदय में अपना स्थान नहीं बना पाया है !

बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज भी भारत के संविधान की तरह ही भारतीय समाज पर भारत का विनाश चाहने वालों द्वारा थोपा गया था ! न कि इसे भारतीय मनीषियों ने अपनाया था !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter