सन 1976 तक भारत एक हिन्दू राष्ट्र था , जानिये फिर कैसे बन गया धर्म निरपेक्ष । जरूर पढ़ें share करें ।

लाखों वर्ष के अज्ञात इतिहास और हजारों वर्ष के ज्ञान इतिहास में भारत में अपनी सभ्यता संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए अब तक नौ विश्व युद्ध लड़ चुका है | इतिहास गवाह है | शक, हूण, मलिच्छ, यवन, मुगल और अंग्रेज़ सभी ने भारत की संपन्नता को लूटने के लिए भारत पर आक्रमण किया और आज विश्व में दिखने वाली संपन्नता भारत से लूटे गए धन पर ही टिकी है |

भारत में भारत के विद्वान ऋषी-मुनि सोना जमीन से खोदकर नहीं निकालते थे बल्कि वनस्पति और औषधियों के समिश्रण से सोने का निर्माण किया करते थे | आज वही सोना विश्व की संपन्नता को मापने का आधार है | सोने की चिड़िया कहीं जाने वाला यह देश जहां एक समय विश्व का 45 प्रतिशत सोना अकेले भारत में ही हुआ करता था | उसका मूल कारण यह था कि भारत अपनी संपन्नता के लिए प्रकृति के दोहन पर नहीं बल्कि सनातन धर्म के सिद्धांतों पर चलने वाला देश था |

मुगल भारत को लूटने के उद्देश्य से भारत में आए और उन्होंने यहां के लगभग तीन हजार मंदिरों को जो कि सनातन धर्म की पहचान थे उन्हें तोड़कर नष्ट कर दिया और भारतीय देवी देवताओं की मूर्तियों को ले जाकर मस्जिदों के सीड़ी में चुनवा दिया जिनके ऊपर मुसलमान अपने पैर रखकर अपने अहंकार को संतुष्ट किया करते थे | आज भी मंदिरों के अवशेष से बनी हुई अनेकों मस्जिदें भारत में दिखाई देती हैं | लगभग 6 करोड़ भारतीयों की निर्मम हत्या करने के बाद भी इस्लाम के वाहक भारत का धर्म परिवर्तन नहीं कर सके |

जिस देश के शासकों ने अरब से लेकर वर्मा कोरिया तक एक छत्र साम्राज्य स्थापित कर विक्रमी संवत की शुरुआत की | जिसमें आज का ईरान, इराक, अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश आदि सभी शामिल थे | उसी देश को छल और बल से अंग्रेजों ने यहां के निवासियों के मौलिक चरित्र को ही बदल दिया |

भारत जैसे विशाल साम्राज्य के 150 वर्षों में 9 टुकडे कर डाले और भारत के अंदर से भारतीयों को इंग्लैंड ले जाकर वहां की भोग विलासिता के वातावरण में उन्हें वतन का गद्दार बना कर भारत का राजनीतिक उत्तरदायित्व उनके हाथ में दे दिया जिसका परिणाम यह हुआ कि 15 अगस्त 1947 जब भारत के 3 टुकड़े हुए तब उसमें से दो टुकड़े मुसलमानों को यह कहकर दे दिए गया कि हिंदुओं की संस्कृति और मुसलमानों की जीवन शैली अलग-अलग है अतः हिंदू मुसलमान एक साथ एक देश में नहीं रह सकते |

लेकिन उसका परिणाम यह हुआ कि भारत की आजादी के समय भारत जो हिंदू पहचान का हिंदू घोषित राष्ट्र था, वह वर्ष 1976 में भारतीय संविधान के 42वें संशोधन के द्वारा धर्मनिरपेक्ष “सेकुलर राष्ट्र” घोषित हो गया | “सेकुलर” शब्द का प्रयोग होते ही भारत के अंदर सनातन धर्म विरोधी शक्तियाँ सक्रिय हो गई और अपने राजनीतिक लाभ के लिए सत्ताधारी शासकों ने हिंदुस्तान के अंदर ही हिंदुओं को नाकारते हुये आक्रामक और छली ( मुसलमान व ईसाई ) विदेशियों का अल्पसंख्यक के नाम पर पोषण प्रारंभ कर दिया |

इस संवैधानिक संशोधन के द्वारा धर्मनिरपेक्ष “सेकुलर राष्ट्र” शब्द का लाभ उठा कर विदेशी अल्पसंख्यक आक्रांताओं ने भारत की दुर्बल राजनीतिक व्यवस्था में गंभीर हस्तक्षेप कर भारत की राजसत्ता को ही अपने हाथ में ले लिया और अपने पूर्वजों के अनुरूप भारत के अंदर “घोटालों” के नाम पर ऊंचे स्तर की राजनीतिक लूट प्रारंभ कर दी | विरोध करने वालों को मौत के घाट उतार दिया तथा भारत की संवैधानिक व्यवस्था ( जिसमें न्याय व्यवस्था भी शामिल है ) उसका दुरुपयोग करते हुए अपनी संपन्नता को भारत से लूटी गई संपत्ति पर निर्भर कर भारत के प्राकृतिक संसाधनों के साथ-साथ भारतीय मंदिरों के खजानों को भी लूटना प्रारंभ कर दिया |

तथाकथित भारत का मूल निवासी हिंदू कानून की पेचीदीगियों में उलझकर इन विदेशी आक्रांताओं शासकों के समक्ष वर्तमान समय में कुछ भी कर पाने में अपने को असहाय महसूस कर रहा है | साथ ही साथ धर्म परिवर्तन के लिये यीशु चंगाई सभा तथा लव जेहाद के नाम पर जिस तरह से मुसलमानों और ईसाइयों द्वारा भारत में हिंदुओं का बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है उससे यह स्पष्ट होता है कि आने वाले कुछ समय के बाद भारत का मूल निवासी हिंदू भारत में अल्पसंख्यक रह जाएंगे और तथाकथित वर्तमान के लोकतान्त्रिक व्यवस्था में विदेशी आक्रांता राजनीतिक अल्पसंख्यक भारत की सत्ता को अपने हाथ में लेकर भारत का ही धर्म परिवर्तन कर देंगे |

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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