जानिए । गीता जयंती – मोक्षदा एकादशी का क्या महत्व है ? क्या हुआ था इस दिन । Yogesh Mishra

ब्रह्मपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो भगवद्गीता का उपदेश दिया था, वह युद्ध के दसवें दिन भीष्म पितामह के पतन के बाद संजय द्वारा कौरव की हार सुनिश्चित जान कर जब जब संजय ध्रतराष्ट्र के समक्ष युद्ध का समाचार सुनाने गये थे
उस दिन पहली बार भगवद्गीता के उपदेश सार्वजनिक हुये थे इसीलिए यह तिथि ”गीता जयंती” के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह एकादशी मोह का क्षय करने वाली है। इस कारण इसका नाम मोक्षदा रखा गया है। भगवान श्रीकृष्ण मार्गशीर्ष में आने वाली इस मोक्षदा एकादशी के कारण ही श्रीमद्भगवद्गीता के दशम अध्याय में कहते हैं, मैं महीनों में मार्गशीर्ष का महीना हूँ। इसके पीछे मूल भाव यह है कि मोक्षदा एकादशी के दिन मानवता को नई दिशा देने वाली गीता का उपदेश हुआ था।

भगवद्‍गीता के पठन-पाठन, श्रवण एवं मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता के भाव आते हैं। गीता केवल लाल कपड़े में बाँधकर घर में रखने के लिए नहीं बल्कि उसे पढ़कर संदेशों को आत्मसात करने के लिए है। गीता का चिंतन अज्ञानता के आचरण को हटाकर आत्मज्ञान की ओर प्रवृत्त करता है। गीता भगवान की श्वास और भक्तों का विश्वास है।

गीता ज्ञान का अद्भुत भंडार है। हम सब हर काम में तुरंत नतीजा चाहते हैं लेकिन भगवान ने कहा है कि धैर्य के बिना अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध, काम और लोभ से निवृत्ति नहीं मिलेगी। गीता केवल ग्रंथ नहीं, कलियुग के पापों का क्षय करने का अद्भुत और अनुपम माध्यम है। जिसके जीवन में गीता का ज्ञान नहीं वह पशु से भी बदतर होता है। भक्ति बाल्यकाल से शुरू होना चाहिए। अंतिम समय में तो भगवान का नाम लेना भी कठिन हो जाता है तो गीता कहां जीवन में उतर पायेगी।

आज जब मनुष्य भोग विलास, भौतिक सुखों, काम वासनाओं में जकडा़ हुआ है और एक दूसरे का अनिष्ट करने में लगा है तब इस ज्ञान का प्रादुर्भाव उसे समस्त अंधकारों से मुक्त कर सकता है क्योंकि जब तक मानव इंद्रियों की दासता में है, भौतिक आकर्षणों से घिरा हुआ है, तथा भय, राग, द्वेष एवं क्रोध से मुक्त नहीं है तब तक उसे शांति एवं मुक्ति का मार्ग प्राप्त नहीं हो सकता।

उपरोक्त सांसारिक विकारों से मुक्त होने की याद दिलाती है गीता जयंती एकादशी जिसे मोक्षदा एकादशी भी कहते हैं यही इसका महत्व है |

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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