जिन्दा रहना है तो चाय के स्थान पर दिव्य जड़ी बूटी पीजिये ! : Yogesh Mishra

दर्जनों रोगों को ख़त्म करता है यह दिव्य पेय !

अंतरराष्ट्रीय संस्था ग्रीन पीस इंडिया ने दावा किया कि भारत की चाय में ख़तरनाक कीटनाशकों का अंश है ! जो खतरनाक जहर से भी अधिक खतरनाक है ! दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि चाय वह धीमा जहर है जो शरीर में तत्काल पित्त को बढ़ा कर पूरे के पूरे केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली को सक्रीय तो करता है किन्तु कुछ समय बाद यह बढ़ा हुआ पित्त ही शरीर में अनेक रोगों का कारण हो जाता है !

ज्यादा चाय पीना से पित्त बढ़ने पर घबराहट और बेचैनी भी बढ़ाती है ! जो आगे चल कर ब्लडप्रेशर का कारण बनता है ! क्योंकि चाय में कैफीन की मात्रा ज्यादा होती है ! कैफीन एक केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली की उत्तेजक है, जिसका प्रभाव अस्थायी रूप से ऊंघ दूर करने और सतर्कता बहाल करने में होता है किन्तु यह धीमा जहर है !

भारत में हर साल 1,20,000 टन चाय की खपत हो जाती है ! जिसमें मौजूद कैफीन की ज्यादा मात्रा हानिकारक होती है और इससे बेचैनी, अस्थिरता, सिरदर्द, अनिद्रा जैसी समस्याएं पैदा होती हैं ! कैफीन की ज्यादा मात्रा से कुछ लोगों की मौत भी हुई है ! दिक्कत यह है कि अब तक वैज्ञानिक ठीक-ठीक यह नहीं बता पाए हैं कि कैफीन की कितनी मात्र सुरक्षित है। आम तौर पर यह माना जाता है कि रोजाना 400 मिलीग्राम कैफीन तक चल सकता है !

चाय तो चीन में 5,000 वर्ष पहले खोजी गई थी और कॉफी का जिक्र इथियोपिया में नौवीं शताब्दी से मिलता है ! बाकी दुनिया में यह पेय यूरोपीय यात्रियों और उपनिवेशवादियों की वजह से 17वीं-18वीं शताब्दी में पहुंचे ! लेकिन इनका असली प्रचलन औद्योगिक क्रांति के बाद ही हुआ ! क्योंकि यह दफ्तरों, कारखानों में कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ाते थे ! इसलिये यह कर्मचारीयों को पहले फ्री पिलाई जाती थी !

फिर चाय व्यवसाइयों ने इसे समाज में लोक प्रिय बनाने के लिये फ्री पिलाया ! अब आधुनिक समाज में चाय ने इसी तरह की सामाजिक-सांस्कृतिक हैसियत पा ली है ! क्योंकि इनका असर बहुत हल्का होता है और इन्हें अपनी-अपनी रुचि के मुताबिक अनेक रूपों और स्वादों में बदला जा सकता है ! आधुनिक जीवनशैली तत्काल लाभ देने वाली चाय सदैव स्थाई रोग भी देती है ! जैसे

– जरूरत से ज्यादा चाय पीने से इनडाइजेशन हो सकता है.

– खाली पेट ज्यादा चाय लेने से पेट की दिक्कत बढ़ती है और यह भयंकर गैस्ट्रिक की दिक्कत पैदा कर सकता है.

– न्यू इंगलैंड ऑफ मेडिसिन की स्टडी के अनुसार ज्यादा चाय पीने से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं.

– चाय के ज्यादा सेवन से नींद की प्रॉब्लम होना स्वाभाविक है.

– हद से ज्यादा चाय पीना इंसान को इसका आदि बना देता है जिससे इसके न मिलने पर बेहद थकान महसूस होती है और कई बार चिड़चिड़ापन सा भी होने लगता है.

– ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की स्टडी के अनुसार ज्यादा गर्म चाय पीने से पेट को जोड़ने वाली नलियों पर असर पड़ सकता है जिससे कैंसर भी हो सकता है.

– ज्यादा चाय पीने से यूरिन भी बार-बार आता है और इससे बॉडी से कई जरूरी मिनरल्स बाहर निकल जाते हैं.

– चाय स्किन प्रॉब्लम को भी जन्म देती है.

अत: ऐसी स्थिति में चाय के स्थान पर सनातन ज्ञान पीठ से जुड़ी हुई महिला हर्बल वैज्ञानिक श्रीमती मीनाक्षी शुक्ला ने प्राकृतिक जड़ी बूटियों से निर्मित एक ऐसे दिव्य पेय की खोज की है ! जो पूरी तरह रसायन मुक्त हर्बल जड़ी बूटियों से निर्मित है !

जिसे यदि नियमित रूप से प्रातः और सायं सामान्य गरम पानी में उबल कर पिया जाये तो यह मात्र एक सप्ताह के अन्दर ही शरीर के अंदर की सारी विषाक्तता को निकालना शुरू कर देती है और नई जीवनी ऊर्जा से निर्मित सेल का निर्माण करने लगती है ! इस दिव्य पेय का कोई साईड एफेक्ट भी नहीं है ! जिसका प्रयोग अब तक हजारों लोगों ने किया है और उन्होंने विभिन्न रोगों से मुक्ति मिल रही है ! इस दिव्य पेय के एक माह का मूल्य मात्र 260/= रुपये है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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