जानिये कैसे प्रधानमंत्री द्वारा विशेष राजनैतिक दल के चुनाव प्रत्याशियों के लिये वोट मांगना संविधान विरुद्ध है !Yogesh Mishra

भारतीय संविधान में यह व्यवस्था है कि जब भी कोई व्यक्ति भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेता है, तो उसे भारतीय संविधान के अनुसूची 3 के अंतर्गत निम्नलिखित शपथ लेनी पड़ती है !

संघ के मंत्री के लिए पद की शपथ का प्ररूप

‘मैं, अमुक, ईश्वर की शपथ लेता हूँ/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूँगा, मैं संघ के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूँगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूँगा !’

अर्थात स्पष्ट है कि भारत का प्रधानमंत्री भारत के किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं कर सकता है और उसे सभी के साथ न्याय करना उसकी विधिक व संवैधानिक मर्यादा है ! ऐसी स्थिति में चुनाव के दौरान जब भारत का प्रधानमंत्री किसी विशेष राजनीतिक दल के प्रत्याशी के लिए पूरे देश में घूम घूम कर वोट दिए जाने का आग्रह करता है तो यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 “नागरिक के समानता के अधिकार” का स्पष्ट उल्लंघन है !

ऐसी स्थिति में यह माना जायेगा कि भारत का प्रधानमंत्री एक किसी विशेष राजनैतिक दल के प्रत्याशी और अन्य चुनाव प्रत्याशियों के बीच में मतभेद कर रहा है और वह अपने संवैधानिक शपथ का उलंघन कर रहा है जोकि प्रधानमंत्री पद की मर्यादा के विपरीत है ! इसके अलावा भारतीय संविधान की भी स्पष्ट अवमानना है !

क्योंकि भारत के संविधान के अंतर्गत निर्वाचित प्रधान मंत्री भारत के प्रत्येक नागरिक का प्रधानमंत्री होता है ! ऐसी स्थिति में जब भी कोई भारत का नागरिक चुनाव प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ता है तो भारत का प्रधानमंत्री यह कैसे निर्धारित कर सकता है कि वह भारत के एक नागरिक के चुनाव के लिए पैरवी करेगा और दूसरे नागरिक के चुनाव का विरोध करेगा !

यह विधि की सामान्य प्राकृतिक व्यवस्था के विपरीत है ! ऐसी स्थिति में जो भी व्यक्ति उस समय भारत के प्रधानमंत्री पद पर आसीन है और भारत के प्रधानमंत्री होने की समस्त सुविधाओं का उपभोग जनता के पैसे से कर रहा है ! उसे विधि के अनुसार यह अधिकार बिल्कुल नहीं है कि वह भारत के एक नागरिक के पक्ष में मत दिये जाने की पैरवी करे और दूसरे नागरिक का विरोध करे !

यदि यह तर्क दिया जाता है कि भारत का प्रधानमंत्री किसी राजनीतिक दल से संबंध रखता है, इसलिये वह ऐसा कर सकता है तो यह तर्क गलत है ! उस स्थिति में मेरा सुझाव है कि उस व्यक्ति को भारत के प्रधानमंत्री पद से त्याग पत्र दे देना चाहिये तथा चुनाव के दौरान बतौर प्रधानमंत्री जो भी सुविधाएं दी जा रही हैं, उन सभी सुविधाओं का परित्याग करने के बाद उसे अपने राजनैतिक दल के प्रत्याशियों की पैरवी करनी चाहिए !

लेकिन जनता के धन से उपलब्ध समस्त सरकारी संसाधनों का प्रयोग करते हुए यदि कोई प्रधानमंत्री किसी राजनीतिक दल के मुखिया के रूप में जाकर किसी विशेष प्रत्याशी की पैरवी करता है तो यह प्रधानमंत्री के पद की मर्यादा का उल्लंघन है और प्रधानमंत्री द्वारा सब के साथ समान न्याय किये जाने की व्यवस्था के वितरित किया गया कार्य है !

अतः मेरे दृष्टिकोण से प्रधानमंत्री द्वारा किसी विशेष राजनीतिक दल के किसी विशेष चुनाव प्रत्याशी की पैरवी किया जाना नितान्त संविधान और विधि विरुद्ध है और यह नागरिक और नागरिक के बीच में मतभेद पैदा करता है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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