ग्रह हमारे साथ कैसे काम करते हैं : Yogesh Mishra

एक वैज्ञानिक विश्लेषण
आम ज्योतिषियों की अवधारणा है कि व्यक्ति के जन्म के समय ग्रह, पृथ्वी के किस दिशा से पृथ्वी पर अपना प्रकाश कैसा प्रकाश डालते हैं ! उसी के आधार पर व्यक्ति के जीवन की घटनायें घटती हैं ! इसी के आधार पर जन्मकुंडली का निर्माण किया जाता है !

जबकि मैंने अपने शोध में यह पाया है कि जन्म के समय ग्रहों के पृथ्वी पर प्रकाश डालने का व्यक्ति के जीवन में घटने वाली घटनाओं से कोई संबंध नहीं है !

बल्कि होता यह है कि इस ब्रह्मांड में हर गतिशील पिण्ड अपने आकार, प्रकार, दूरी, गति और सहायक अथवा विरोधी पिंडों के कारण एक निश्चित प्रकार का कंपन उत्पन्न करते हैं !

जिसे नासा कहता है कि ग्रहों की रिकॉर्ड की गई अलग अलग आवाज़ें सौर हवा, आयन मंडल और ग्रहीय मैग्नेटोस्फीयर से आवेशित विद्युत चुम्बकीय कणों के कारण हैं !

जिस कम्पन से पृथ्वी भी कम्पायेमान होती है ! व्यक्ति के जन्म के समय पृथ्वी पर अन्य ग्रहों के प्रभाव के कारण जो कम्पन्न उत्पन्न उत्पन्न होता है ! उसकी प्रथम अनुभूति व्यक्ति को जीवन भर प्रभावित करती है !

इसीलिए प्राचीन काल में यदि ग्रह स्थितियां बहुत अनुकूल नहीं होती थी तो मां का प्रसव जल में करवाया जाता था ! जिससे कि पृथ्वी पर होने वाले कंपन का नकारात्मक प्रभाव बच्चे के मन मस्तिष्क पर कम से कम पड़े !

जन्म के उपरांत इन्ही अपरिचित तरंगों से बचने के लिए बच्चे प्राय: मां की गोद में या झूले में पड़े रहना पसंद करते हैं क्योंकि हवा में तैरते झूले या मां की गोद में इस तरह की तरंगों का आभास कम हो जाता है ! इसलिए बच्चे अपने को मां की गोद या झूले में ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं !

ऐसे ही भयभीत चित्त के बच्चों के लिए बच्चों का आसन जमीन में लगाना चाहिए और उन्हें अधिक से अधिक देर जमीन पर ही खेलने देना चाहिए ! जिससे कि उनके मन मस्तिष्क को पृथ्वी पर होने वाले कंपन से अधिक से अधिक अनुकूलता बनाने का अवसर मिले ! अन्यथा यह बच्चे जीवन भर भयभीत और चिड़चिड़े बने रहते हैं !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter