भारत कैसे आर्थिक विकलांग हो गया ? : Yogesh Mishra

हिंदू मुसलमान करते-करते हम कब खोखले हो गये, इसका आज हमें एहसास ही नहीं हो रहा है ! विचार कीजिये आज से 7 साल पहले जब लोगों के पास अपने मेहनत की छोटी छोटी पूंजी हुआ करती थी ! उस पूंजी से लोग अपने घर मकान के अलावा बच्चों के भविष्य के लिये और स्वास्थ्य रक्षा के लिये छोटे-छोटे प्लॉट, फ्लेट या सोना, चांदी आदि खरीद लिया करते थे !

आज वह सब कुछ उनके पास है लेकिन बाजार में उनका कोई खरीददार नहीं है ! यह कैसी विडंबना है कि भारत के अंदर आज अचल संपत्तियों की कीमतें तो गिर गई लेकिन जिन जीवन निर्वाह के लिये रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य कई गुणा महंगे हो गये !

आज स्थिति यह है किस सरकारी अधिकारी या कर्मचारी की बात छोड़ दें जो समाज में मात्र 2% हैं ! उनके अलावा अन्य आम जनमानस के लिये अपने दो वक्त की रोटी कमाना मुश्किल है ! औद्योगिक प्रतिष्ठान बंद पड़े हैं ! संपत्तियां डूब गई हैं और बैंक धड़ाधड़ एक के बाद एक बंद होते जा रहे हैं !

आज स्थिति यह हो गई है कि आज से 10 साल पहले जो व्यक्ति या परिवार अपने को आर्थिक रूप से सुरक्षित समझते थे ! उसे आज अपने परिवार को चलाने के लिये भी धन के लाले पड़े हैं ! जबकि वह अनेकों अचल संपत्ति का स्वामी है फिर भी उनके खरीददार बाजार में नहीं हैं !

याद कीजिये नोटबंदी करते वक्त यह प्रचारित किया गया था कि यह नोटबंदी काला धन को खत्म करेगी ! जिससे भारत में आतंकवाद खत्म होगा और देशद्रोहियों की आर्थिक रीढ़ तोड़ दी जायेगी ! जिससे देश समग्र और समान रूप से विकसित होगा ! लेकिन क्या नोटबंदी से वास्तव में ऐसा कुछ हुआ ! नहीं !

आज आम आवाम दरिद्र जरूर हो गया ! लेकिन न तो कहीं भ्रष्टाचार खत्म हुआ और न ही चीजें खरीदने के लिये लोगों में कोई क्रय शक्ति बची ! यह मुद्रा संकुचन की स्थिति देश को आर्थिक मंदी की ओर नहीं ले गई तो और क्या कहा जायेगा ! आज व्यक्ति के पास सामान तो है लेकिन बाजार में उसको खरीदने वाले ग्राहक नहीं हैं !

इस के बाद भारत के औद्योगिक जगत पर हमला करते हुये अव्यवस्थित तरीके से आधी अधूरी तैयारी के साथ भारत में जी.एस.टी. लागू की गई और उसका परिणाम यह हुआ कि भारत का उद्योगपति और व्यापारी इस जी.एस.टी. की अव्यवस्थित योजनाओं के तहत पूरी तरह नष्ट हो गया !

जिससे भारत का आर्थिक स्वरूप से नष्ट हो गया ! बैंकों के लोन और ब्याज बढ़ते चले गये और अंततः व्यापारियों के घर, मकान, फैक्ट्री सब कुछ नीलाम हो गये और एक मेहनत करने वाला औद्योगिक घराने का व्यक्ति और व्यापारी बस सिर्फ अपनी बर्बादी का तमाशा देखता रहा और वह कुछ नहीं कर सका !

इसका परिणाम यह हुआ कि भारत का शेयर बाजार तहस-नहस हो गया ! भारत के जिन नागरिकों ने अपनी छोटी छोटी पूंजी शेयर बाजार में लगा रखी थी ! उनको शेयर बाजार से कई लाख करोड़ का घटा लगा और वह नष्ट हो गये ! जिस कारण लोगों के अंदर आर्थिक भय व्याप्त हो गया !

बैंक लोन का भुगतान वापस प्राप्त न हो पाने के कारण बैंक भी बंद होने लगे और आम जनमानस के पास कोई भी ऐसा व्यवस्थित स्थान नहीं बचा जहां वह अपने जीवन में मेहनत से कमाई हुई पूंजी को सुरक्षित रख सकें !

यदि वह अचल संपत्ति में उस पूंजी को लगाता है तो उस अचल संपत्ति का कोई खरीददार नहीं है और यदि वह उस पूंजी को देश के औद्योगिक विकास में शेयर बाजार के माध्यम से लगाता है ! तो वहां भी निरंतर वह पूंजी घटती चली जा रही है और यदि उस पूंजी को वह कम ब्याज पर बैंकों में रखता है तो बैंक के डूबने के साथ ही उसका सर्वस्व नष्ट हो जा रहा है !

यदि वह सोना चांदी के रूप में अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिये पूंजी को अपने पास रखता है तो कानून की दुर्व्यवहार के कारण उसकी पूंजी भी लूट ली जाती है और उसकी हत्या फोकट में कर दी जाती है !
विचार कीजिये वर्तमान जिस देश की अर्थ व्यवस्था इतनी तेजी से नष्ट हो रही है कि वहाँ करोड़ों लोग बेरोजगार हो रहे हैं तो उस देश का भविष्य क्या होगा ?

देश अभी नोटबंदी और जी.एस.टी. से उबरने की कोशिश कर ही रहा है कि करोना वायरस जैसे खतरनाक जैविक हथियार का भय दिखाकर भारत को पुनः महीनों के लिये लॉक डाउन करके घर में जो आटा, दाल, चावल रखा है उसको भी खत्म कर दिया जा रहा है ! जब इस वायरस का पता चला था तो उसी समय यदि कठोर निर्णय लिये गये होते तो शायद आज देश को इतने बड़े झंझावात से नहीं जूझना पड़ता !

कुल मिलाकर मैं यही कहना चाहता हूँ कि अगर इस सब से भारत को उबारना है तो योग्य, समझदार और राष्ट्र के प्रति समर्पित लोगों को राजनीति में आना होगा ! अन्यथा हिंदू-मुस्लिम, गाय, गोबर, गोमूत्र करते-करते हम सब कब नष्ट हो जायेंगे यह हमें पता ही नहीं चलेगा और यह संपन्न देश आर्थिक विकलांग हो जायेगा !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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