इस संसार में भगवान किसी का सहायक नहीं है : Yogesh Mishra

सभी वैष्णव धर्म शास्त्र कहते हैं कि ईश्वर के भरोसे जीवन नैया सकुशल पार हो जाती है लेकिन व्यवहारिकता की कसौटी पर कसने पर ऐसा पता चलता है कि ईश्वर का भरोसा एक अलग विषय है और संसार का लोक व्यवहार एक दूसरा विषय है !

प्राय: देखा गया है कि जो लोग ईश्वर की भक्ति या ज्ञान में बुद्धत्व को प्राप्त कर लेते हैं, वह इस संसार में बहुत कष्ट भोगते हैं ! जिसे वैष्णव आचार्य प्रारब्ध भोग या ईश्वरीय परीक्षा कह कर खुद को इस पर तर्क करने से बचा लेते हैं !

लेकिन यह एक गंभीर विषय है क्या संसार में ईश्वर भक्ति या ज्ञान मार्ग से बुद्धत्व को प्राप्त कर लेने के बाद संसार में जीना कठिन हो जाता है ! इसका उत्तर है हां निश्चित रूप से ! क्योंकि आप उस समय सामाजिक मनुष्य के बौद्धिक स्तर से ऊपर के स्तर में जीने लगते हैं ! आपका लोक व्यवहार बदल जाता है जिसे समाज पसंद नहीं करता है !

क्योंकि व्यवहार में यही पाया गया कि चाहे मीराबाई हों या जीसस क्राइस्ट या फिर शंकराचार्य हों या ओशो जिसने भी ईश्वर भक्ति या बुद्धत्व को प्राप्त कर लिया, उसे इस संसार में बहुत कष्ट भोगने पड़े हैं और उस विपत्ति के काल में ईश्वर ने भी उसकी कोई मदद नहीं की ! बल्कि सच्चाई तो यह है कि वह अपनी सूझबूझ और विस्तृत रणनीति से ही अपने आप को बचा पाया है या फिर समाज के दबाव में नष्ट हो गया है !

सामाजिक दबाव के आगे बड़े बड़े योद्धा, साधक, विचारक, दार्शनिक आदि या तो असफल हो गये या फिर नष्ट हो गये ! फिर चाहे वह स्वयं भगवान श्रीराम, कृष्ण, चाणक्य, कालिदास, चैतन्य महाप्रभु, कबीर दास रहीम दास आदि ही क्यों न हों !

राम भक्त गोस्वामी तुलसीदास को अयोध्या से मार कूट कर भगाया गया था, बाद में उन्होंने बनारस में काशी नरेश ने शरण दी ! यही हाल गायत्री परिवार के संस्थापक माता गायत्री के परम उपासक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का भी हुआ ! जिन्हें अपना गृह जनपद छोड़ कर हरिद्वार जाकर बसना पड़ा !

इसी तरह बुद्धत्व को प्राप्त सुकरात, ब्रूनो, चार्वाक जैसे दार्शनिकों की भी समाज द्वारा हत्या कर दी गई ! तथाकथित ईश्वर कहीं किसी की रक्षा के लिए नहीं आया !

अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति को जीवन लोक संतुलन के साथ जीना चाहिए ! अतिवाद सदैव घातक होता है, फिर चाहे वह ईश्वर भक्ति का हो या ज्ञान मार्ग का !

कहने का तात्पर्य यह है कि संसार में सांसारिक नियम के पालन से ही व्यक्ति की रक्षा होती है ! कोई भी ईश्वरीय ज्ञान आपकी रक्षा नहीं कर सकता है ! इसलिए जीवन को ईश्वर या ज्ञान के भरोसे नहीं बल्कि सामाजिक लोक व्यवहार के साथ जीना चाहिये !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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