कहाँ गये “भगवाधारी” देश के “कर्णधार” Yogesh Mishra

हर गांव में “गुरुकुल” खुलेगा ! “मैकाले” की शिक्षा नीति के तहत चलने वाले सभी शिक्षण संस्थायें स्वतः बंद हो जायेंगी ! अब हिंदुस्तान में हर व्यक्ति “आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां” खाकर के स्वस्थ हो जाएगा “एलोपैथी दवाइयां” बिकनी बंद हो जाएंगी ! हिंदुस्तान का हर व्यक्ति जब “योग” करके स्वस्थ हो जाएगा “एलोपैथी अस्पताल” स्वतः बंद हो जायेंगे !

रोग पैदा करने वाली “रासायनिक खादों” की खेती खत्म हो जाएगी, “कीटनाशकों” का प्रयोग बंद हो जाएगा ! भारत में “जैविक कृषि” फिर से स्थान ग्रहण कर लेगी और जैविक रूप से उत्पन्न होने वाले खाद्य पदार्थों का प्रयोग करके भारत का व्यक्ति कैंसर, हैपेटाइटिस, लीवर फेल्योर, किडनी फेल्योर, ह्रदयधात आदि रोगों से मुक्त हो जाएगा !

“स्वदेशी उत्पाद” का साम्राज्य होगा और “विदेशी कंपनियां” भारत छोड़कर भाग जाएंगी ! आदि आदि न जाने कितने तरह की फर्जी वादे और आश्वासन देकर अपना व्यवसाय चलाने के लिए एक बहुत बड़ा जनाधार दूरदर्शन (एक पक्षीय भ्रामक संवाद) के माध्यम से पैदा किया ! यह शाररिक व्यायाम सिखाने वाले “महामायावी व्यक्ति” मात्र 5 दिन के अंदर व्यक्तियों को “योग गुरु” बना देते हैं, जिस “योग” की साधना में हमारे “ऋषियों” ने पूरे का पूरे जीवन खपा दिया !

आज इनके द्वारा पैदा किए गए “फर्जी योग गुरु” न तो स्वयं स्वास्थ्य हैं और न ही अपने परिवार को स्वास्थ्य रख पा रहे हैं ! इतना ही नहीं आधे-अधूरे ज्ञान के कारण यह लोग न जाने कितने लोगों की मृत्यु का कारण भी बन रहे हैं !

कभी विदेशों से हजारों करोड़ रुपए का “काला धन” वापस लायेगे ! ऐसा दावा करने वाले “भगवाधारी व्यवसाई” जो “देसी गाय का घी” बेचते-बेचते अचानक “गाय का देसी घी” बेचने लगे और “गोमूत्र से बनी फिनाइल” का उपयोग करने से “गौ माता कत्लखानों में जाने से बच जाएंगी” ! ऐसा दावा करने वाले “शारीरिक व्यायाम गुरु” जो अब सत्ता के बहुत निकट हैं ! उन्होंने “गौरक्षकों को गुंडा” कहे जाने पर अपना कोई भी विचार व्यक्त नहीं किया !

शायद इसकी वजह यह रही होगी कि वर्तमान सत्तासीन लोग उन्हें “सब्सिडी” के चक्कर में “गाय” और “राष्ट्र” से ज्यादा प्रिय लगने लगे होंगे या इसकी एक दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि व्यवसाय में “गुणवत्ता” आदि की इतनी खामियां होती हैं कि उन्होंने अब सत्तासीन नेताओं के विरोध में न बोलने का निर्णय ले लिया हो ! यह वही राष्ट्रप्रेमी महान विचारक हैं जो कभी देश की सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिये पहले की सत्ताधीशों का राष्ट्रप्रेम के नाम पर चीख-चीख कर विरोध किया करते थे ! परन्तु आज वक्त की नजाकत को देखते हुये “गौरक्षा” के मुद्दे पर मौन हैं !

यही होता है सफल व्यवसाई का लक्षण कि समाज में कोई विरोध न करे उसके लिये “भगवा” पहन लो ! जनाधार के लिये “धर्म, राष्ट्र और गौरक्षा” आदि की लम्बी-लम्बी बातें करो ! लोगों में राष्ट्रप्रेम की भावना भड़का कर से बटोरो और उसी धन से धन्धा करो ! सत्ता यदि “सब्सिडी” दे तो उसकी “हाँ में हाँ” मिलते रहो चाहे भले ही “राष्ट्र की सभ्यता-संस्कृति, गौ, ज्ञान” सब कुछ नष्ट हो जाये ! धन्य हैं यह “भगवाधारी देश के कर्णधार” !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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