जानिये मन्त्र विज्ञान के गहन रहस्य | कैसे काम करता है Yogesh Mishra

मंत्र कई प्रकार के होते हैं ! जैसे वैदिक मंत्र, जप मन्त्र, तांत्रिक मंत्र, निर्वाण मंत्र, बीज मंत्र, जाग्रति मंत्र, कुरु कुल्लुका मंत्र, उत्किलक मंत्र, विद्या मंत्र, सेतु मंत्र, पंचदशी मंत्र, शाबर मंत्र तथा खड्ग मालामंत्र आदि आदि ! इन सभी मन्त्रों का अपना-अपना महत्त्व है ! इन मंत्रो के अनुष्ठान में उपयोग से सभी कार्य संपन्न होते हैं !

पर आपकी कुंडली में कौन सा दोष है और उसके लिए कौन से मंत्र की दीक्षा लेनी होगी ! यह उस व्यक्ति के संस्कार पर निर्भर करता है ! हमारे शास्त्रों ने इन सभी मंत्रो को गुप्त रखने का निर्देश दिया है ! अत: मंत्र उजागर न करते हुए मैं आपको मंत्र के सम्बन्ध में कुछ जानकारी दे रहा हूँ !

चारों वर्णों की ऊर्जा अनुसार अलग-अलग व्यवस्थाओं के कारण इन मंत्रो का प्रयोग भी अलग-अलग किया जाता है ! मंत्र सदैव गुरु से दीक्षा ग्रहण करने के बाद ही प्रयोग करना चाहिये ! दीक्षित साधक पहले उसे मंत्र का संस्कार कर्म करना चाहिये ! मंत्र के दस संस्कार होते हैं जिनके नाम ये हैं- 1 जनन, 2 दीपन, 3 बोधन, 4 ताडन, 5 अभिषेक, 6 विमलीकरण, 7 जीवन, 8 तर्पण, 9 गोपल और 10 आप्यायन है ! इन संस्कारों की अलग अलग विधियाँ होती हैं जो मंत्र को शक्ति प्रदान करती हैं !

वैदिक मंत्र- जब वैदिक परम्परा को आरम्भ करने से पहले ब्राह्मण बालक को यज्ञोंपवित संस्कार किया जाता है ! इसमें वेदाध्ययन की दीक्षा दी जाती है ! तब उस वैदिक मंत्र का ज्ञान कांड, कर्म कांड और उपासना काण्ड से सम्बन्ध होता है ! इसीलिए इन मंत्र से ब्राह्मण स्वाध्याय करके खुदका और अपने यजमानो का उद्धार करते हैं !
जप मंत्र – यह मंत्र इष्ट सिद्धि देने वाले होते हैं ! यह मंत्र गुरु द्वारा दीक्षा लेने से ही जप मंत्र दीक्षा पूर्ण होती है ! ये तीन अक्षर से लेकर १०० अक्षर तक के मन्त्र होते हैं ! इन मंत्रो के अक्षर की जीतनी अधिक संख्या होती है उतने लक्ष (लाख) जप करने से इष्ट सिद्धि प्राप्त हो जाती है !

तांत्रिक मंत्र – इन मंत्र की साधना के कुछ नियम हैं और इनके अनुष्ठान में दिन, वार, शुभ मुहूर्त आदि का ध्यान रकखा जाता है ! इन्हें आरम्भ करने से तंत्र के षडकर्मों की सिद्धि मिलती है ! यह मंत्र के देवता, गण, राक्षस, भैरव, रति, नाग आदि की ऊर्जा प्राप्त करने के लिये होते हैं ! इन्हीं मंत्रो की सहायता से शांति, पुष्टि, आकर्षण, वशीकरण, उच्चाटन, विद्वेषण, मारण आदि कर्मों किये जाते हैं ! इनका अनुष्ठान कठिन होता है ! यह कम से कम 5-6 बार अनुष्ठान करने से सिद्ध होते हैं ! यह साधना भागवान महादेव शिव द्वारा महापंडित लंकेश्वेर रावण रचित उडडीश तंत्र से सम्बन्ध रखती है !

निर्वाण मंत्र :- मंत्र महार्णव तथा महानिर्वाण यह दो महा संग्रह माता पार्वती द्वारा रचित तंत्र में मन्त्र के संस्कार कर्म यन्त्र निर्माण पद्धति और स्वाध्याय मंत्र दीक्षा है और इसके अलावा भी कई अन्य जानकारी निर्वाण मंत्रों के सम्बन्ध में मिलती है ! यहाँ एक बात और स्पष्ट होती है कि यह मंत्र “तंत्र सागर” का एक अंग है!

बीज मंत्र:- श्रीदुर्गा सप्तशती गुप्त टीकाकार में 700 श्लोकों के बीजाक्षर मंत्र दिये गये हैं ! इसे कुंजिका स्त्रोत का अंग भी कह सकते हैं ! यह बीजाक्षर मंत्र वास्तविक नवग्रह के बीज मंत्र हैं तथा मंत्र महोदधि में बीजाक्षर के अन्य प्रयोगों से भी यह सम्बन्ध रखते हैं !

जाग्रति मंत्र:- दशमहाविद्या तंत्र में जागृति मंत्र बहुत उपयोगी मानते हैं ! इस मंत्र के ज्ञाता स्वयं भगवान वटुक भैरव हैं ! एक-एक विद्या के जागृति मंत्र का प्रयोग और भूपुर निर्माण विधि अलग-अलग है !

कुरु कुल्लुका मंत्र:- यह भी दशमहाविद्या तंत्र से सम्बन्ध रखते हैं ! यह कुरु कुल्लुका मंत्र जप करने से साधक को मंत्र जप का शुभ फल मिलता है और यह शारीरिक दुष्प्रभावों को दूर करता है ! प्रायः स्वास्थ्य लाभ के लिये इन मन्त्रों का प्रयोग किया जाता है !

विद्यामंत्र:- यह मंत्र अग्नि पुराण और तन्त्रसागर में वर्णित हैं ! जैसे महाविद्या, श्रीविद्या, शाम्भवीविद्या, अपराजिताविद्या, अमृतीकरण, मृतसंजीवनी विद्या, परा-अपराविद्या, गारुडी विद्या, खेचरिविद्या, मंत्रपरिजातविद्या, ज्वालामुखी, कर्कटी, पंचविंशतीविद्या, महामाया विद्या और मंदार विद्या आदि !

पंचदशी मंत्र:- यह त्रिपुरा सुन्दरी कल्प का अंग है ! इस मंत्र का प्रयोग पन्द्रह हिया यंत्र निर्माण करने के काम में किया जाता है !

उत्किलक मंत्र:- दुर्गाशप्तशती में उत्कीलन मंत्र का प्रयोग मिलता है और इसके आलावा दशमहाविद्या में भी इन मंत्रो का प्रयोग मिलता है और प्रत्येक तंत्र विद्या मे इसी मंत्र का प्रयोग किया जाता है !

सेतु मंत्र :- केवल एक अक्षर जो ब्रह्म बीज मंत्र ॐ है ! इसे मंत्र से सेतु कहते हैं ! इस मंत्र दूसरा पहलु यह है कि साधक जिस विद्या की साधना करते हैं ! उसके मंत्र का प्रणव बीज अक्षर ही उस मंत्र का सेतु मंत्र है !

शाबर मंत्र:-यह मंत्र गुरु गोरक्षनाथ जी द्वारा रचित शाबर मंत्र हैं ! इनसे कई कामनाओं की सिद्धि प्राप्त होती है !
खड्ग मालामंत्र:- यह मंत्र दशमहाविद्या और गुरुदात्तात्रेय माला मंत्र हैं ! जो तंत्र के सम्पूर्ण विधि को एक साथ करते समय प्रयोग किया जाता है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter