विश्व धर्म का सनातन इतिहास : Yogesh Mishra

हिन्दू धर्म का इतिहास अति प्राचीन है ! इस धर्म को वेदकाल से भी पूर्व का माना जाता है क्योंकि वैदिक काल और वेदों की रचना का काल अलग-अलग माना जाता है ! यहां शताब्दियों से मौखिक (तु वेदस्य मुखं) परंपरा चलती रही थी ! जिसके द्वारा इसका इतिहास व ग्रन्थ आगे बढ़ते रहे ! उसके बाद इसे सर्व प्रथम रक्ष संस्कृति के नायक रावण ने संग्रहित किया और तमिल शैव भाषा में अनुवादित किया !

वेदों का लिपिबद्ध (तु वेदस्य हस्तौ) करने का काल भी बहुत लंबा रहा है ! हिन्दू धर्म के सर्वपूज्य ग्रन्थ वेद ही माने गये हैं ! वेदों की रचना किसी एक काल में नहीं हुई है ! यह अनादि काल से आरंभ हो कर 3000 ई.पू. तक जारी रहा है ! यानि कृष्णद्वैपायन ऋषि वेद व्यास के समय तक !

यह धीरे-धीरे रचे गये और अंतत: पहले वेद को तीन भागों में संकलित किया गया- ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद ! इसीलिये इसे “वेदत्रयी” कहा जाता था ! कहीं कहीं “ऋग्यजुस्सामछन्दांसि” को वेद ग्रंथ से न जोड़ उसका छंद कहा गया है ! एक मान्यता अनुसार वेद का वि‍भाजन राम के जन्‍म के पूर्व पुरुंरवा राजर्षि के समय में हुआ था ! बाद में अथर्ववेद का संकलन ऋषि‍ अथर्वा द्वारा कि‍या गया ! जिसे रावण ने उस काल में तमिल में अनुवादित और लिपिबध्य किया था !

वहीं एक अन्य मान्यता अनुसार कृष्ण के समय में वेद व्यास कृष्णद्वैपायन ऋषि ने वेदों का विभाग कर उन्हें लिपिबद्ध किया था ! जबकि मेरा मत है वेद व्यास के समय तक क्योंकि संस्कृत भाषा पूरी तरह से विकसित हो गयी थी ! अत: वेद व्यास ने उस समय की राज आश्रित अन्तराष्ट्रीय गुरुकुल संस्कृत भाषा में व्याकरण की शुद्धि के साथ इसे मात्र अनुवादित व संग्रहित किया था !

हिंदू धर्म की उत्पत्ति काल से वैष्णव की अवधारणा में आर्य 4500 ई.पू. तक मध्य एशिया से हिमालय तक फैले हुये थे ! जबकि मेरा इसमें मतभेद है ! मेरे अनुसार आर्यों की ही एक शाखा ने “अविस्तक धर्म” की स्थापना भी की थी ! जिसका केन्द्र युरोशलम था ! जहाँ से बाद में क्रमशः यहूदी धर्म 2000 ई.पू., फिर इसाई धर्म 2000 वर्ष पूर्व फिर इस्लाम 1450 वर्ष पूर्व विकसित हुआ !

इसी दौरान भारत में भी 500 ई.पू. बौद्ध धर्म और जैन धर्म विकसित हुआ ! जैन धर्म का विकास भारत के व्यवसाई वर्ग में और बौद्ध धर्म का विकास एशिया के मुख्यतः दलित वर्ग में हुआ ! फिर ईसाई और इस्लाम धर्म के प्रभाव से पश्चिम एशिया और योरोप में बौद्ध धर्म विलुप्त हो गया !

धार्मिक साहित्य अनुसार हिंदू धर्म की कुछ और भी अधारणायें हैं ! रामायण, महाभारत और पुराणों में सूर्य और चंद्रवंशी राजाओं की वंश परम्परा का भी उल्लेख उपलब्ध है ! जो वास्तव में वैष्णव जीवन शैली के पोषक थे ! इसके अलावा भी अनेक वंशों की उत्पति और परम्परा का वर्णन आता है ! उक्त सभी को इतिहास सम्मत क्रमबद्ध लिखना बहुत ही कठिन कार्य है !

पुराणों में उक्त इतिहास को अलग-अलग तरह से व्यक्त किया गया है जिसके कारण इसके सूत्रों में बिखराव और भ्रम निर्मित जान पड़ता है, फिर भी धर्म के ज्ञाताओं के लिए यह भ्रम नहीं है ! वह इसे कल्पभेद को सत्य मानते हैं ! हिन्दू शास्त्र ग्रंथ याद करके रखे गये थे ! यही कारण रहा कि अनेक आक्रमण जैसे नालंदा आदि के प्रकोप से भी अधिकतर बचे रहे ! इनकी कुछ मिथ़ॉलजि जैसी बातों को आधुनिक दुनिया नहीं मानती है ! पर कुछ इतिहासकार इसे सत्य भी मानते हैं !

हिंदू धर्म के इतिहास ग्रंथ पढ़ें तो ऋषि-मुनियों की परम्परा के पूर्व मनुओं की परम्परा का उल्लेख मिलता है जिन्हें जैन धर्म में कुलकर कहा गया है ! ऐसे क्रमश: 14 मनु माने गए हैं जिन्होंने समाज को सभ्य और तकनीकी सम्पन्न बनाने के लिए अथक प्रयास किए ! धरती के प्रथम मानव का नाम स्वयंभू मनु था और प्रथम ‍स्त्री सतरुपा थी महाभारत में आठ मनुओं का उल्लेख है !

इस दर्शन के अनुसार इस वक्त धरती पर सभी मनुष्य आठवें मनु वैवस्वत की ही संतानें हैं ! आठवें मनु वैवस्वत के काल में ही भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था ! हिन्दूधर्म की कालमापनी सबसे बड़ी है ! पुराणों में हिंदू इतिहास का आरंभ सृष्टि उत्पत्ति से ही माना जाता है ! ऐसा कहना कि यहाँ से शुरुआत हुई यह ‍शायद उचित न होगा फिर भी हिंदू इतिहास ग्रंथ महाभारत और पुराणों में मनु (प्रथम मानव) से भगवान कृष्ण की पीढ़ी तक का उल्लेख मिलता है !

हिन्दू धर्म लगभग 10,000 साल से व्यवस्थित विकसित हुआ है और जिसे सात चरणों के रूप में देखा जा सकता है ! कुछ हिंदुत्व के अधिवक्ताओं का मानना होगा कि 12,000 साल पहले हिमयुग के अंत तक हिंदू धर्म को ईश्वर में अपने संपूर्ण रूप में ऋषियों के लिये प्रकट किया गया था ! हिंदुत्व के इतिहास में और पौराणिक कथायें सिर्फ समय-समय का इतिहास हैं ! पर इस इतिहास में गणना क्रम का आभाव है !

हाल के दिनों में सनातन धर्म को “खुला स्रोत धर्म” के रूप में वर्णित किया गया है ! अनोखा है कि इसमें कोई परिभाषित संस्थापक या सिद्धांत नहीं है और ऐतिहासिक और भौगोलिक वास्तविकताओं के जवाब में इसके विचार लगातार विकसित होते रहे हैं ! यह कई सहायक नदियों और शाखाओं के साथ एक नदी की ही विभिन्न शाखाओं के रूप में सबसे अच्छा वर्णित है ! हिंदुत्व सनातन धर्म की शाखाओं में से एक शाखा मात्र है और जो वर्तमान में अपने आस्था और विश्वास के कारण बहुत शक्तिशाली है ! विश्व के अन्य सभी धर्म भी इसी मूल सत्य सनातन धर्म से निकल कर आये हैं !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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