शिक्षित रोजगार गारेंटी पर कोई भी सरकार गंभीर क्यों नहीं है ?

शिक्षित रोजगार गारेंटी पर सरकार की उदासीनता को देखते हुये कल राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी के नेतृत्व में शिक्षित युवा रोजगार गारंटी के लिये दिल्ली सचिवालय गेट no 3 पर राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी के पदाधिकारियों ने गिरफ्तारी दी !

जबकि 2014 के आम चुनावों में नरेंद्र मोदी द्वारा एक स्पष्ट वादा किया गया था कि वह हर साल एक करोड़ शिक्षित बेरोजगारों को नौकरियां देंगे ! लगभग पांच साल गुज़र गये हैं लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ !

इस वादे को पूरा करना तो दूर की बात है, मोदी सरकार के कार्यकाल को शिक्षित युवाओं के लिये निरंतर बढ़ती रोजगारहीनता के रूप में चिह्नित किया गया है ! सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के नवीनतम सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, समाप्त होने वाला वर्ष भी कोई अपवाद नहीं है: जनवरी 2018 से बेरोजगारी में बढ़ोतरी लगातार पांच प्रतिशत से बढ़कर 28 दिसंबर को 7.3 प्रतिशत हो गई है !

याद रखें कि सी.एम.आई.ई. ने स्पष्ट रूप से उन लोगों के बारे में बेरोजगारी को परिभाषित कर रहा है जो शिक्षित हैं और बिना नौकरी के हैं और सर्वेक्षण के समय सक्रिय रूप से नौकरियों के अवसरों की तलाश कर रहे हैं ! ऐसे बहुत से लोग भी हैं जिन्होने निराश होकर वर्तमान में नौकरियों की तलाश न करने का फैसला लिया है ! जो सरकार की उदासीनता से निराश, गैर-उम्मीद और थक गए हैं !

अगर आप इन नंबरों को जोड़ते हैं तो बेरोजगारों का हिस्सा पिछले अनुमान से बढ़कर 9-10 फीसदी हो जाएगा ! उदाहरण के लिये, अगस्त 2018 में, कड़े तौर पर परिभाषित बेरोजगारी दर 5.67 प्रतिशत थी, जबकि सीएमआईई द्वारा प्रकाशित मई-अगस्त 2018 में यह दर भारत में बेरोजगारी की सांख्यिकीय प्रोफाइल के अनुसार, 7.87 प्रतिशत थी !

अगस्त में, स्नातकों में बेरोजगारी 14 प्रतिशत के बराबर थी, जबकि उसी प्रकाशन के अनुसार 20-24 वर्ष के व्यक्तियों के बीच बेरोजगारी 32 प्रतिशत थी ! इसलिये, वर्ष के अंत में, दोनों और भी अधिक बढ़ जाएंगे अगर दोनों को जोड़े तो कुल बेरोजगारी दर में दो प्रतिशत से अधिक की वृद्धि मिलती है !

इसी तरह, अगस्त में महिला बेरोजगारी 22 प्रतिशत से अधिक थी, और साल के अंत तक इसमें ओर बढ़ोतरी हो गई होगी !

कई अन्य तरीके हैं, जिसके जरिये देश में यह स्पष्ट दिखाई देता है, हालांकि यह सत्तारूढ़ भाजपा को दिखाई नहीं देता है ! उदाहरण के लिये, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में, 7.2 करोड़ लोगों ने इस साल 15 दिसंबर तक काम के लिये आवेदन किया था ! वित्तीय वर्ष के ख़त्म होने में अभी भी तीन महीने से अधिक समय बचा है, काम के लिये संपर्क करने वाले व्यक्तियों की संख्या एक रिकॉर्ड बनाती नज़र आ रही है !

पिछले वर्ष 2016-17 में यह उच्च आँकड़ा था जब 8.5 करोड़ लोगों ने इस योजना के तहत काम की मांग की थी ! उल्लेखनीय बात यह है कि इस तरह की योजनाओं से मोदी सरकार के वित्तीय दबाव के परिणामस्वरूप 1.29 करोड़ लोग काम न पाने की वजह से वापस लौट गये और उन्हे सरकार ने काम देने से इनकार कर दिया, हालांकि योजना के मुताबिक सभी आवेदकों को काम प्रदान करना अनिवार्य है !

इस योजना की शुरुआत के बाद की यह सबसे अधिक संख्या है, सरकार के इंकार ने बेरोजगार लोगों की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है ! सरकारी नीतियों की उदासीनता के कारण यह संख्या आगे बढ़ने के लिये तैयार है !

इस सब को देखते हुये राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी ने शिक्षित युवा रोजगार गारंटी के लिये संघर्ष करने का निर्णय लिया है ! जिसके तहत कल राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी के नेतृत्व में शिक्षित युवा रोजगार गारंटी के लिये दिल्ली सचिवालय गेट no 3 पर राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी के पदाधिकारियों ने गिरफ्तारीयां दी हैं ! यह क्रम शिक्षित बेरोजगारों के स्वाभिमान के लिये प्रत्येक वृहस्पतिवार को निरंतर चलता रहेगा !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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