नॉलेज और विजडम में अंतर : Yogesh Mishra

नॉलेज का सामान्य अर्थ सूचना की जानकारी होना है और विजडम का तात्पर्य सूचना के संदर्भ में विवेक पूर्ण अनुभूति होना है ! नॉलेज सामान्य सूचना प्राप्ति और मस्तिष्क का विषय है ! जबकि विजडम आंख, नाक, कान, मस्तिष्क, के अतिरिक्त अनुभूति और विवेक पूर्ण चिंतन का भी विषय है !

अर्थात दूसरे शब्दों में विजडम का तात्पर्य सही और गलत सूचना के मध्य अंतर कर पाने की क्षमता विकसित करना है, जो विवेकपूर्ण, चिंतन, बुद्धिमानी से विकसित होती है ! यह विद्या अर्थात सूचना प्राप्त करने से एकदम अलग विषय है !

विद्या के अंतर्गत हम बस सिर्फ सूचनाओं का संग्रह करते हैं, जो आजकल विद्यालय और विश्वविद्यालय में हो रहा है ! लेकिन सूचनाओं के विश्लेषण करने का सामर्थ्य और उनमें सही और गलत चुनने का सामर्थ का प्रशिक्षण आज किसी भी विद्यालय या विश्वविद्यालय में नहीं दिया जाता है ! यही हमारे विनाश का कारण है !

जबकि यह कार्य गुरु के सानिध्य में प्राचीन काल में गुरुकुल में ही हो सकता था ! जो शिक्षा व्यवस्था अब पूरी तरह से बंद हो चुकी है ! इसीलिये भारत के नागरिकों का बौद्धिक चिंतन करने की क्षमता लुप्तप्राय हो गयी है !

इसीलिए अब नॉलेज को विद्या से जोड़ा गया है अर्थात मस्तिष्क को सूचनायें मात्र देना ! यही सूचनाएं आज हर प्रतियोगी परीक्षाओं का आधार हो गई हैं ! इसीलिए प्रतियोगी परीक्षाओं को पास कर लेने के बाद भी व्यक्ति विवेकहीन नहीं रह जाता है ! जिससे जीवन भर वह गलत निर्णय लेता रहता है और अपना तो सर्वनाश करता ही है, साथ में अपने परिवार और समाज का भी सर्वनाश कर देता है !

जबकि विजडम नॉलेज से अगले चरण का विषय है ! इसमें मस्तिष्क को सूचनाओं के प्राप्त होने के बाद व्यक्ति प्रज्ञा की ऊर्जा से उस सूचना का विश्लेषण भी करता है और इस विश्लेषण में ज्ञान की अतिरिक्त जब अंतस चेतना का संबंध ब्रह्मांड ऊर्जा से जुड़ जाता है, जहां पर हर तरह की सूचना का अनंत श्रोत होता है, तब हम उसे जागृत दिव्य पुरुष या विज्डम वाला व्यक्ति कहते हैं !

सामान्य शब्दों में विजडम का तात्पर्य दिव्य ज्ञान, दिव्य अनुभूति या कहा जाए तो ब्रह्मांड से प्राप्त ईश्वरीय ज्ञान से होता है !

आजकल की पूरी की पूरी शिक्षा पद्धति हमारे नॉलेज को विकसित करती है, लेकिन प्राचीन काल में व्यक्ति गुरु के सानिध्य में रहकर नॉलेज को नहीं बल्कि विजडम को विकसित करता था ! जब व्यक्ति का विजडम एक बार विकसित हो जाता है, तब उसे सूचनाओं का विश्लेषण करने में कोई दिक्कत नहीं होती है !

और यह सूचनाओं के विश्लेषण करने का सामर्थ जिस व्यक्ति में विकसित हो जाता है वही दिव्य पुरुष हो जाता है !

ऐसे ही दिव्य पुरुष महापुरुष की श्रेणी में आते हैं ! जिनकी यश, कीर्ति, मरणोपरांत कई पीढ़ियों तक समाज में वंदनीय बनी रहती है ! इसलिए मात्र सूचना या ज्ञान पर आश्रित मत रहिए ! बल्कि अच्छे गुरु के सानिध्य में अपने विजडम को विकसित करिए ! एक विजडम विकसित व्यक्ति ही पूर्ण पुरुष हो सकता है ! सूचनाएं तो बहुतों के पास होती हैं लेकिन दिव्य पुरुषों जैसी ऊर्जा इस धरती पर गिने-चुने लोगों के पास होती है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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