भारत को बड़ी आर्थिक मंदी में धकेलने का षड्यंत्र : Yogesh Mishra

भारत में जो कभी 1,972 तरह के ग्रामीण कुटीर उद्योग थे ! उनमें से अब कुल 96 वस्तुओं के उत्पादक ग्रामोद्योग बचे हैं ! जिन्हें खनिज आधारित उद्योग, वनाधारित उद्योग, कृषि आधारित उद्योग, चमड़ा और रसायन उद्योग, गैर परम्परागत ऊर्जा और इंजीनियरिंग उद्योग, वस्त्रोद्योग तथा सेवा उद्योग नामक समूहों में बाँटा गया है ! ग्रामीण भारत के आर्थिक विकास में इन उद्योगों का स्थान काफी महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है ! किन्तु अब यह सब कार्पोरेट जगत के बड़े षडयंत्र का शिकार हो गया है !

उन्होंने सबसे पहले साजिश पूर्वक देश के ग्रामीण कुटीर उद्योग व्यवस्था को उजाड़ दिया फिर मिलावट के कल्पनिक विज्ञापनों द्वारा ब्रांड स्थापित कर स्थानीय उत्पादक के विरुद्ध ग्राहकों के हितों का हवाला देते हुये दोनों को एक दूसरे के विरुद्ध खड़ा कर दिया !

फिर स्थानीय उद्योगों में उत्पादित वस्तुओं को घटिया व महंगा और कंपनी उत्पाद को सस्ता व क्वालिटी उत्पाद के रुप में प्रचारित कर गाँव-गाँव के दुकानों में कंपनी उत्पादों को भर दिया ! फिर अच्छे कमिशन के लालच में स्थानीय उत्पादन की जगह कार्पोरेट उत्पादन को प्रमोट करने में गाँव के व्यापारियों ने भी कोई कसर नही छोड़ी !

किन्तु कुछ ही समय बाद कार्पोरेट उत्पादनों को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिये व्यापारियों का इस्तेमाल कर रही कार्पोरेट्स ने उन्हें हटा कर अपना माल सीधे बेचने के लिये खुद की वितरण व्यवस्था विकसित की ! अब उन्हें किसी बिचौलिये की जरुरत नहीं थी !

इसी बीच आधुनिकता और सुविधा के नाम पर इंटरनेट से सीधे उत्पादक से ग्राहक जुड़ गया और अब इन कार्पोरेट्स को क्षेत्रीय दुकानदारों और व्यापारियों की भी आवश्यकता नही रही ! और इस तरह छोटे मोटे व्यापारियों के साथ-साथ ग्रामीण उत्पादक भी ख़त्म हो गये और भारत के कुटीर उद्द्योगो को नष्ट करके उस पर कार्पोरेट ने कब्ज़ा कर लिया !

इस पूरे षडयंत्र में सबसे बड़ी भूमिका दो लोगों की रही ! पहला पर्यावरण सुधारने के नाम पर कुटीर उद्योग नष्ट करने के लिये रोज ही सर्वोच्च न्यायालय में नित नई पिटीशन फाइल करने वाले तथाकथित पर्यावरणविद अधिवक्ता जिन्हें बात को मैग्सेसे अवार्ड भी दिया गया और उनका साथ देने वाले सर्वोच्च न्यायालय के पर्यावरणविद न्यायाधिपती ! जिन्होंने अपने अव्यावहारिक आदेशों के द्वारा केंद्र सरकार को ऐसे कानून बनाने के लिये बाध्य कर दिया कि उन कानूनों के बन जाने के बाद भारत का स्वतंत्र ग्रामीण कुटीर उद्योग इन कानूनों के माया जाल में फंस कर रह गया !

और दूसरी सबसे बड़ी भूमिका रही तथाकथित भगवाधारी योग गुरु की ! जिन्होंने योग के साथ साथ राष्ट्र के नागरिकों का स्वास्थ्य सुधारने के लिये और उन्हें शुद्ध खाद्दय सामग्री उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया !
लेकिन उनके इस स्वदेशी उत्पाद के निर्णय से राष्ट्र का स्वास्थ्य सुधार या नहीं यह पता नहीं लेकिन हां उनके पूंजी के स्वास्थ्य सुधार में जरूर कई सारे जीरो लग गये !

इसी तरह इस षडयंत्र में बहुत से छोटे मोटे षड्यंत्रकारी भी हैं ! जिनका मैंने अपने विभिन्न लेखों में वर्णन किया है !
इसका सबसे बड़ा परिणाम यह होगा कि जब कभी भी भारत में सूखा या अकाल पड़ेगा ! तब यह कॉर्पोरेट घराने मनमाने दामों पर अपना खाद्यान्न बेचेंगे और भारत की आम जनता उसे खरीदने के लिये बाध्य होगी क्योंकि किसानों के पास अब कुटीर उद्योग न होने के कारण वह सभी ग्रामीण जनता शहर में मजदूरी करने के लिये बाध्य है ! जिससे कृषि के लिये मजदूर नहीं मिलते और अब कृषि पर भी कब्ज़ा करने के लिये कार्पोरेट षडयंत्र रच रहे हैं !
भारत आज तक कभी किसी व्यावसायिक आर्थिक मंदी में नहीं उलझा और उसका सबसे बड़ा कारण था, भारत का ग्रामीण कुटीर उद्योग ! किंतु अब राजनीतिक शक्तियों के सहयोग से भारत को एक षड्यंत्र के तहत गहरे आर्थिक मंदी में धकेलने का प्रयास किया जा रहा है ! जिसके नकारात्मक परिणाम मात्र राष्ट्र को ही नहीं बल्कि राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को भुगतने पड़ेंगे !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter