भारत के आर्थिक आधार को नष्ट करने का षडयंत्र : Yogesh Mishra

वेतन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत में केंद्र सरकार में कुल 33 लाख सरकारी कर्मचारी हैं ! जिसमें लगभग 6,500 आई.ए.एस. अधिकारी हैं ! इतना बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर होने के बाद भी भारत सरकार के लगभग सभी उपक्रम घाटे में चलते हैं अर्थात दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है अधिकारी और कर्मचारी दोनों ही अयोग्य हैं ! जो किसी भी उपक्रम को व्यवस्थित तरीके से नहीं चला पा रहे हैं !

इसके विपरीत भारत में 2500 उद्योग घराने हैं जो भारत की पूरी अर्थव्यवस्था को संभाले हुये हैं ! अकेले टाटा समूह के पास 7,50,000 कर्मचारी हैं ! इसी तरह एल. एंड. टी. में 3,38,000 लोग कार्यरत हैं ! इंफोसिस में 2,60,000 कर्मचारी हैं ! महिंद्रा एंड महिंद्रा के 2,60,000 कर्मचारी हैं ! रिलायंस इंडस्ट्रीज के 2,36,000 लोग हैं ! विप्रो में 2,10,000 कर्मचारी हैं ! एचसीएल में 1,67,000 कर्मचारी हैं ! एच.डी.एफ.सी. बैंक में 1,20,000 कर्मचारी हैं ! आईसीआईसीआई बैंक में 97,000 कर्मचारी हैं ! टी.वी.एस. समूह के पास 60,000 कर्मचारी हैं !

इस तरह मात्र दस कंपनियां में मिलकर लगभग 25 लाख भारतीय सम्मान के साथ नौकरी करते हैं ! यह केवल वह आँकड़े हैं जो इनके डायरेक्ट पेरोल पर हैं ! इनके अलावा ऑफ रोल्स, ऐसोशिएट्स, डीलर्स, एजेंट्स, इनके प्रोडक्ट्स से जुड़े सहायक प्रोडक्ट्स की कंपनियां ! इनके सहारे जन्मी पैकेजिंग कंपनियां, ट्रांसपोर्ट सेक्टर ! लिस्ट बहुत लंबी है !

किसी कंपनी के अगर डायरेक्ट 1 लाख कर्मचारी हैं तो मान के चलिए कि कम से कम चार लाख ऐसे हैं जिनका चूल्हा उसी कम्पनी के कारण चलता है !

मैं यहाँ मात्र 10 बड़ी कंपनियों की बात कर रहा हूँ ! हजारों ऐसी प्राइवेट कंपनियां हैं जो मिलकर देश में लाखों रोजगार पैदा कर रही हैं !

यह 25 लाख कॉर्पोरेट नौकरियां भारत में पिछले 75 वर्षों में सृजित कुल केंद्र सरकार की नौकरियों (48.34 लाख) के आधे से अधिक हैं !

भविष्य में भी यही प्राइवेट सेक्टर की नौकरियां भारत की अर्थव्यवस्था को संभाल कर रखे हुये हैं ! जबकि वर्तमान राजनीतिक दलों की दृष्टि भारत की अर्थव्यवस्था को खोखला करने में लगी हुई है ! उससे यह व्यवसायिक घराने धीरे धीरे अंदर से कमजोर होते चले जा रहे हैं !

अकेले भारत से 14,500 उद्योग घरानों से संबंध रखने वाले नागरिकों ने पिछले 7 सालों में भारत की नागरिकता छोड़ दी और दूसरे देशों में जा कर बस गये ! यह सूचना भारत की आर्थिक नीतियों का संचालन करने वालों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है !

किंतु आज अंधभक्त अभी भी मंदिर-मस्जिद, धर्म-इतिहास के नाम पर देश को खोखला करने वालों के साथ लगे हुये हैं और अपने निजी संबंधों को भी नष्ट कर रहे हैं !

आज इन्हीं राजनीतिज्ञों के कारण भाई भाई से नहीं बोलता ! पति-पत्नी एक ही छत के नीचे रहकर एक-दूसरे से बातचीत नहीं करते ! पड़ोसी पड़ोसी के साथ इन्हीं राजनीतिक दलों के कारण मारपीट करने को प्रतिक्षण तैयार रहता है ! जैसे पूरा समाज ही विवेक शून्य हो गया है !

मेरा आग्रह है के इन राजनीतिक षड्यंत्रकारिर्यों से बच कर रहिये क्योंकि यह आपको ही नहीं इस राष्ट्र को भी नष्ट कर रहे हैं और आप धर्म और राष्ट्र की रक्षा के नाम पर ठगे जा रहे हैं !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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