पूर्वजों का साहित्यिक ज्ञान अद्भुत था : Yogesh Mishra

पश्चिम के विचारकों के अनुसार वैदिक ग्रंथों को लिपि के उपयोग के बिना ही मौखिक रूप से रचा और प्रसारित किया गया था ! जिसमें शिक्षक से लेकर छात्र तक एक अटूट संचरण रेखा मौजूद थी ! जिसे समाज द्वारा…
पश्चिम के विचारकों के अनुसार वैदिक ग्रंथों को लिपि के उपयोग के बिना ही मौखिक रूप से रचा और प्रसारित किया गया था ! जिसमें शिक्षक से लेकर छात्र तक एक अटूट संचरण रेखा मौजूद थी ! जिसे समाज द्वारा…
हिंदू धर्म के पवित्र ग्रन्थों को दो भागों में बाँटा गया है- श्रुति और स्मृति ! श्रुति (शाब्दिक अर्थ “सुना हुआ” है) संस्कृत ग्रंथों का एक वर्ग है जिसे रहस्योद्घाटन के रूप में माना जाता है ! वहीं स्मृति (शाब्दिक…
गोस्वामी तुलसीदास का नाम लेते ही व्यक्ति के ध्यान में रामचरितमानस का नाम स्वत: ही प्रगट हो जाता है लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि हनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक, रामलला नहछू, गीतावली, दोहावली, विनय पत्रिका, बरवै रामायण और…
यह शास्त्रीय अवधारणा है कि तर्पण में पूर्वजों को अर्पित किया जाने वाले जल में दूध, जौ, चावल, तिल, चंदन, फूल आदि से हमारे पूर्वज तृप्त होकर हमें आशीर्वाद देते हैं ! इसके लिये कुशा के सहारे से जल की…
ईश्वर ने कार्य कारण की व्यवस्था के तहत सृष्टि का निर्माण किया है ! जिसे जीव और प्रकृति मिलकर कार्य कारण की व्यवस्था के तहत चलाते हैं ! इस कार्य कारण की व्यवस्था को न तो देवता बदल सकता है…
कहने को तो भारत एक अति विकसित विकासशील देश है ! रोज रोज विकास के नये –नये कहानी किस्से भी सुनने में आते हैं ! किन्तु इसके बाद भी आपने कभी यह महसूस किया कि गरीब परिवारों के बच्चे गरीबी…
यह एक बहुत बड़ी भ्रांति है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने अंतिम समय में बौद्ध धर्म अपना लिया था ! जबकि सच्चाई यह है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य के दिशा निर्देश में लगभग 24 वर्ष तक शासन करने के…
बहुत कम लोग यह जानते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास खानदानी कवि थे ! इनके बाबा का नाम पं० सच्चिदानंद शुक्ल था ! जो अपने क्षेत्र के मशहूर कथावाचक एवं प्रसिद्ध भजन गायक भी थे ! वह अपने कथावाचन के लिए…
काशी भगवान शिव द्वारा स्थापित अनादि नगरी होने के बाद भी शिव भक्त रावण ने अपने संपूर्ण जीवन काल में कभी भी काशी यात्रा नहीं की ! जबकि वह प्राय: काशी के ऊपर से पुष्पक विमान द्वारा कैलाश पर्वत भगवान…
हिंदू सदैव से राजसत्ता का चाटुकार और धर्म के प्रति दोगला रहा है ! यही वजह है कि हिंदू धर्म के सर्वश्रेष्ठ पीठाधीश्वर भी हिंदुओं को संगठित करने के स्थान पर चंदा बटोरने के लिए शहर शहर चांदी की खड़ाऊ…