यज्ञ हमारा सर्वोत्तम शिक्षक है !

यज्ञ अपना आदर्श, अपनी क्रिया से स्वयं ही प्रकट करता रहता है ! बस आवश्यकता उसे समझने की है ! (1) अग्नि का स्वभाव है कि सदा उष्णता और प्रकाश धारण किये रहती है हम भी उत्साह, श्रमशीलता, स्फूर्ति, आशा…
यज्ञ अपना आदर्श, अपनी क्रिया से स्वयं ही प्रकट करता रहता है ! बस आवश्यकता उसे समझने की है ! (1) अग्नि का स्वभाव है कि सदा उष्णता और प्रकाश धारण किये रहती है हम भी उत्साह, श्रमशीलता, स्फूर्ति, आशा…
यज्ञ अथवा अग्निहोत्र आज केवल धार्मिक कर्मकांड तक ही सीमित नहीं रह गया है ! यह शोध का विषय भी बन गया है ! ‘अमेरिका’ में यज्ञ पर शोध हुए हैं और प्रायोगिक परीक्षणों से पाया गया है कि वृष्टि,…
कृषि को अच्छी प्रकार करने के वेदों ने अनेक उपाय बतायें हैं वा मनुष्यों का मार्गदर्शन किया है ! वेद के अनुसार कृषि कार्य में यज्ञ का उपयोग करना चाहिये ! यजुर्वेद 18/9 में कहा है ‘कृषिश्च मे यज्ञेन कल्पन्ताम्’…
वनौषधियों के पंचांग को कूटकर खाने में उसे बडी़ मात्रा में निगलना कठिन पड़ता हैं ! यही स्थिति ताजी स्थिति में कल्क बनाकर पीने में उत्पन्न होती है ! इससे तो गोली या वाटिका बना कर सेवन करने में मनुष्य…
प्रति वर्ष देश में लगभग 20 करोड़ रुपये तक की राखी चीन से इंपोर्ट की जाती है और चीन की इन इंपोर्टेड राखी से राखी ट्रेडर्स का प्रॉफिट मार्जिन बढ़ जाता है ! जिससे भारत के राखी निर्माण करने वाले…
मुझसे कई लोगों ने जानना चाहा है कि रक्षाबंधन में धारण करने वाले रुद्राक्ष का शुद्धिकरण एवं संस्कार विधि क्या है ! जिसे रक्षा कवच के रूप में धारण किया जाता है ! मैं उस प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन…
सनातन वैष्णव संस्कृत में रक्षाबंधन का महत्व अनादि काल से है ! प्रहलाद के पुत्र राजा बलि को छलका कर जब भगवान विष्णु ने तीन पग में पूरी पृथ्वी वापस ले ली ! तब हार से तिलमिलाये राजा बलि ने…
गुप्त नवरात्रि में 3 से 10 जुलाई तक गुरु जी की साधना में व्यस्तता अधिक रहेगी !! सामान्य गृहस्थ साधक यदि गुरू के मार्गदर्शन में गुप्त नवरात्रि के दौरान दस महाविद्याओं की साधना करें तो वह समस्त प्रकार के सांसारिक…
नारायण नागबली छविनारायण नागबलि यह दोनो अनुष्ठान पद्धतियां संतान सुख की अपूर्ण इच्छा, कामना पूर्ति के उद्देश से किय जाते हैं ! इसीलिए यह दोनो अनुष्ठान काम्य प्रयोग कहलाते हैं ! वस्तुत: नारायणबलि और नागबलि यह अलग-अलग पूजा अनुष्ठान हैं…
“दान” विशुद्ध “धर्म” का विषय है ! इसका “पाप” के नष्ट होने से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है अर्थात “समाज को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए जिन्हें नियमों को समाज में धारण कर लिया वही धर्म…