शनि देव कैसे खुश होते हैं : Yogesh Mishra

(शोध परक लेख) प्राय: समाज में शनि की महादशा अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा बड़े भय से देखी जाती है ! साथ ही नव उदित ज्योतिष के अनुसार अब शनि की ढैया और साढ़ेसाती को भी भय से देखे जाने का…
(शोध परक लेख) प्राय: समाज में शनि की महादशा अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा बड़े भय से देखी जाती है ! साथ ही नव उदित ज्योतिष के अनुसार अब शनि की ढैया और साढ़ेसाती को भी भय से देखे जाने का…
तीन तीन पत्नियों के होने के बाद भी शुक्राणु की निर्बलता के कारण राजवैध द्वारा लंबे समय तक चिकित्सा किये जाने के बाद भी जब 40 वर्ष की आयु बीतने तक राजा दशरथ को कोई उतराधिकारी पुत्र संतान प्राप्त नहीं…
“पुरुषार्थ” शब्द को देखकर ऐसा लगता है कि इस शब्द पर मात्र पुरुषों का ही अधिकार है ! लेकिन ऐसा है नहीं बल्कि ऐसा लगता है कि प्राचीन काल में जब गृह कार्य की जिम्मेदारी स्त्रियों के पास होती थी…
आज अक्षय तृतीया है ! आज और कल में ही देव स्थल हिमालय पर्वत पर स्थापित शैव धर्म प्रतीक केदारनाथ और वैष्णव धर्म प्रतीक बद्रीनाथ धाम के कपाट आम भक्तजन के लिये ईश्वर के दर्शनार्थ खोल दिये जाते हैं !…
कल रात्रि में मेरे एक शिष्य का फोन आया और वह अनुरोध करने लगा कि गुरु जी कोरोना वायरस के कारण पूरे विश्व में जो महामारी का प्रकोप है ! उसकी शान्ति के लिये मैं अक्षय तृतीया से समस्त प्राणी…
मन अति चञ्चल बलवान् मथ डालने वाला है ! उसे रोकना वायु को रोकने की भाँति बहुत कठिन है ! ऐसा अर्जुन ने श्रीभगवान् से कहा ! श्री भगवान् ने भी बिना किसी विरोध के ही इस बात को स्वीकार…
सुख और दुख जीवन में ऋतुओं की तरह आते जाते रहते हैं ! प्राय: दुखी होने पर व्यक्ति उस दुख के निवारण हेतु ग्रहों की ऊर्जा के पड़ने वाले प्रभाव में परिवर्तन करने के लिये तरह-तरह के पूजा पाठ अनुष्ठान…
वैसे तो इष्टदेव को गुरु ही पहचान सकता है क्योकि परब्रह्म परमात्मा की इस सृष्टि प्रपंच में विभिन्न स्वभाव के प्राणियों का निवास है ! इसलिये विभिन्न स्वभाव वाले प्राणियों की विभिन्न रुचियों के अनुसार भगवान भी विभिन्न रूप में…
यज्ञों की भौतिक और आध्यात्मिक महत्ता असाधारण है ! भौतिक या आध्यात्मिक जिस क्षेत्र पर भी दृष्टि डालें उसी में दैनिक यज्ञ की महत्वपूर्ण उपयोगिता दृष्टिगोचर होती है ! वेद में ज्ञान, कर्म, उपासना तीन विषय हैं ! कर्म का…
वनौषधियों के पंचांग को कूटकर खाने में उसे बडी़ मात्रा में निगलना कठिन पड़ता हैं ! यही स्थिति ताजी स्थिति में कल्क बनाकर पीने में उत्पन्न होती है ! इससे तो गोली या वाटिका बना कर सेवन करने में मनुष्य…