अष्टावक्र गीता का सार : Yogesh Mishra

“अष्टावक्र गीता” का आरंभ राजा जनक द्वारा पूछे गये तीन प्रश्नों से होता है ! 1. ज्ञान कैसे होता है ? 2. मुक्ति कैसे होती है ? 3. वैराग्य कैसे होता है ? सभी आध्यात्मिक व्यक्तियों के अनादि काल से…
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“अष्टावक्र गीता” का आरंभ राजा जनक द्वारा पूछे गये तीन प्रश्नों से होता है ! 1. ज्ञान कैसे होता है ? 2. मुक्ति कैसे होती है ? 3. वैराग्य कैसे होता है ? सभी आध्यात्मिक व्यक्तियों के अनादि काल से…
आज मैं अपने परिवार के साथ लखनऊ के सबसे विकसित देवी दुर्गा पूजन के पंडाल पर माता के दर्शन करने गया था ! वहां संयोग से दो दुर्गा के दर्शन हुये ! एक तो देवी मां के रूप में विराजमान…
ईश्वर ने कार्य कारण की व्यवस्था के तहत सृष्टि का निर्माण किया है ! जिसे जीव और प्रकृति मिलकर कार्य कारण की व्यवस्था के तहत चलाते हैं ! इस कार्य कारण की व्यवस्था को न तो देवता बदल सकता है…
मेरी दृष्टि में भारत के गौरवशाली इतिहास में महापुरुष तो दो ही हुये हैं ! एक स्वामी महावीर जी और दूसरे गुरु नानक जी महाराज ! दोनों के ही संदेश मानवता के लिए अद्भुत संदेश हैं ! यदि समाज मात्र…
भारत में वैष्णव प्रपंच के दौरान भक्ति काल में फैलाये गये भ्रम के तहत समाज में यह अवधारणा विकसित हुई कि भगवान की पूजा करने से मनुष्य अपने जीवन में सब कुछ प्राप्त कर लेता है ! जबकि सनातन धर्म…
जीवन में सत्य को खोजने के दो ही मार्ग हैं ! एक विज्ञान का मार्ग है ! आक्रमण, हिंसा, शोध, छीना-झपटी अर्थात संवेदना और भावना विहीन मार्ग और दूसरा स्वीकार्य और समर्पण का मार्ग ! सनातन धर्म के अनुसार यदि…
शिव सहस्त्रार ज्ञान साधना स्वयं में संपूर्ण साधना है ! इस साधना को करने वाले मानव साधक को अपने कल्याण के लिये किसी भी अन्य सहयोगी साधना पद्धति की आवश्यकता नहीं है ! यह ज्ञान परंपरा मनुष्य का कल्याण इस…
आपने बहुत बार यह महसूस किया होगा कि जब आप शहर से दूर कहीं किसी बड़े पार्क में या जंगल की तरफ यात्रा करते हैं, तो आपके अंदर स्वत: ही स्फूर्ति का विकास होने लगता है अर्थात कहने का तात्पर्य…
इस पृथ्वी पर प्रत्येक जीव की तरह मनुष्य भी, एक पशु ही है ! जो निरंतर आनंद के भ्रम में सुख की खोज करता रहता है ! जीवनी ऊर्जा के नाभि चक्र से अधोगामी होने पर मनुष्य को जो सुख…
किसी भी तथ्य या पदार्थ पर हर व्यक्ति की प्रतिक्रिया उसके संस्कार और बुद्धि के अनुसार अलग-अलग होती है ! अनुभूति के क्षेत्र में इस अलग-अलग प्रतिक्रिया को अलग-अलग अनुभूति भी कहा जाता है ! अर्थात कहने का तात्पर्य यह…