हिन्दुत्व को ख़त्म करने के लिये अंग्रेजों का तांत्रिक षडयंत्र : Yogesh Mishra

ब्रिटिशों के शासनकाल में अंग्रेजों ने सनातन हिन्दू धर्म को मिटाने के लिये हिन्दू धर्म के अंदर से ही लोगों को चुन कर उन्हें ट्रेंड किया और हिन्दू समाज में समाज सुधारक के रूप में स्थापित करना शुरू किया ! इसका कारण यह था कि अंग्रेज जानते थे कि भारतवर्ष में हिन्दुओं को कभी कोई प्रत्यक्ष धर्म युद्ध में नहीं हरा सकता है ! जिस कारण से अंग्रेजों ने हिन्दू समाज में अन्दर से छेद करना शुरू किया !

.
ब्रिटिश शासन काल के समय दयानंद सरस्वती, राजा राम मोहन राय, पेरियार बाबा, भीम राव अंबेडकर जैसे जितने भी यह तथाकथित समाज सुधारक आये थे ! दरअसल यह सभी वही दल्ले थे ! जिन्हें अंग्रेज नामक दानव समाज ने भारतीय समाज को विकृत करने और उसे कई भागों में विभक्त करने के लिये तैयार किया था ! दयानंद भी उसी में से एक हिन्दू धर्म विरोधी गद्दार ही थे ! ऐसा मैं मानता हूँ !

.
‘मसोनिक शैतान’ (मसान तंत्र का प्रयोग करने वाले) माने जाने वाले हेनरी स्टील ओल्काट और मैडम हेलेना ब्लाव्स्की ने दयानंद जैसे अपने कई प्लांटेड चेले चपाटों के साथ मिलकर 10 अप्रैल 1875, गिरगाँव, मुम्बई में ‘आर्य समाज’ की स्थापना की ! इसीलिये आर्य समाज की यह स्थापना भारत के किसी धार्मिक केंद्र के बजाय मुंबई में की गयी क्योंकि उस समय मुंबई हिन्दू धर्म विरोधी गद्दारों का एक केंद्र भी हुआ करती थी !

ज्यादातर लोग जानते होंगे कि मुंबई से थोड़ी दूर पर स्थित ‘कार्ला की रहस्यमय गुफायें’ हैं ! जिन्हें आज तक ‘KARLA CAVES’ ही कहा जाता है ! वह 1870 के दशक में तांत्रिक शैतानों का अड्डा हुआ करती थीं ! कार्ला गुफाओं के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह तंत्र-मंत्र और सिद्धियों के लिये बेहतरीन जगह है ! यहाँ ऐसे नकारात्मक कार्य जल्दी सिद्ध हो जाते हैं !

कार्ला गुफाओं में मसान साधकों ने ऐसे कई ‘टेलिपैथी मास्टर्स’ तैयार किये थे ! जिनके जरिये वह भारत के कई राजाओं और जानी मानी हस्तियों को कंट्रोल किया करते थे ! सबूत के लिये कपूरथला रियासत के दीवान जर्मनी दास की राजों महाराजाओं की ‘प्राइवेट लाईफ’ के बारे में लिखी गयी 352 पेजों की किताब को देख सकते हैं ! जिसमें उन्होंने विदेशियों के साथ मिलकर किये जाने वाली राजाओं के तांत्रिक कार्यों के बारे में विस्तार से बतलाया है !

यही कारण था कि जो भारतीय राजा जो कभी भारत और सनातन धर्म के लिये जान देते थे ! वह बड़ी आसानी से बिना किसी युद्ध के ब्रिटिशों के पालतू बन गये और आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि आर्य समाज ही नहीं कांग्रेस की स्थापना भी मसान साधकों ने ही की थी ! यह बात कई लोग जानते भी हैं कि कांग्रेस की स्थापना भी कई मसान तांत्रिक सिद्ध साधकों की साधना करवाने के बाद ही हुयी थी !

क्योंकि कांग्रेस स्थापक ए. ओ. ह्यूम ने ‘अलौकिक शक्तियों’ वाले साधकों की फ़ौज बना रखी थी ! जिनके खर्चे और पोषण के लिये उसे ब्रिटिश सरकार से विशेष धर्म प्रसार ग्रान्ट मिलती थी ! जिसको वह जहाँ खर्च करता था दरअसल वह कोई और नहीं बल्कि ‘मसान उपासक शैतान’ ही थे ! इस ग्रान्ट का ए. ओ. ह्यूम को कोई हिसाब भी नहीं देना पड़ता था !

इस तरह अंग्रेजों के पाले हुये कई सारे टॉप के समाज सुधारक हिन्दू नेता धर्म विरोधी गद्दार ही थे ! ऐसे ही शुरुआत के समय कांग्रेस में कई टॉप लीडर भी अपने-अपने तांत्रिक पाल रखे थे ! जो परम्परा आज भी कांग्रेसियों में देखी जाती है ! धीरेन्द्र ब्रह्मचारी, चन्द्रा स्वामी आदि आदि जैसे न जाने कितने गुप्त नाम भी हैं ! जिनकी मदद से इन कांग्रेसियों ने सम्पूर्ण भारत में अपना जबर्दस्त प्रभाव स्थापित कर लिया था !

इन तांत्रिकों के प्रभाव को फूल बाग कानपुर में अपने अपमान के बाद जयगुरु देव ने छिन्न भिन्न कर दिया था ! जिससे इंदिरा गाँधी का पतन हुआ और बाद को उन्हें पुन: सत्ता में आने के लिये जयगुरु देव से माफ़ी मांगनी पड़ी !

दयानंद के अलावा आर्य समाज में और कई टॉप नेता भी थे जो इन मसान तांत्रिकों के दरबार में जाते थे ! जैसे हरिचंद चिंतामन, मूलजी ठाकर्शी, अन्ना मोरेश्वर कुंटे आदि आदि और आज भी अगर आर्य समाजियों का हिन्दू धर्म विरोधी कनेक्शन देखना है तो मुंबई के ग्रेन्ड लार्ज (GRANDE LODGE) में रखे दस्तावेज़ों में आज भी जाकर सारे सबूत देख सकते हैं !

मसान तांत्रिक और ब्रिटिश सत्ता के इस गठजोड़ को उस समय पश्चिमी और भारतीय आध्यात्मिक विचाधारा को एक मंच पर लाकर इकट्ठा करना बतलाया गया ! उसी का परिणाम था कि उस समय भारत में गुरुकुलों के स्थान पर ईसाई स्कूल व कालेज तेजी से खुलने लगे किन्तु उसमें भारतीयों ने अपने बच्चे विधर्मियों के यहाँ पढ़ने नहीं भेजे !

तब आर्य समाज के कंधे पर अंग्रेजों ने पश्चिमी शिक्षा की जिम्मेदारी डाली और उसी का ही परिणाम था कि आर्य समाजियों ने अंग्रेजों की मदद से दयानंद एंग्लो वैदिक स्कूल तथा कालेज (D.A.V. SCHOOL & COLLEGE) खोले ! जो गुरुकुलों के सर्वनाश का कारण बने !

अब आप ही यह सोचिये कि आर्य समाज को मुंबई में स्थापित करने के लिये फंड कहाँ से आया होगा ! आर्य समाज बनाने के लिये लोग कैसे इकट्ठा किये गये होंगे ! आर्य समाज के DAV स्कूल कालेज खोलने के लिये फंड कहाँ से आया होगा ! इसी तरह के आर्य समाज के कई मिशनों के लिये धन कहाँ से जुटाया गया होगा ! जब कि भारतीय जनमानस का कोई सहयोग उस समय भी आर्य समाजियों के साथ नहीं था और आज भी नहीं है !

अगर उस समय आर्य समाज वास्तव में ब्रिटिशों के खिलाफ काम कर रहा था तो क्या ब्रिटिश लोग भला ऐसे संगठन को या फिर उसके अभियानों को फंडिंग कर के आगे बढने देते क्या ?

अंग्रेजों का यह सारा का सारा तांत्रिक षडयंत्र हिन्दुत्व को ख़त्म करने के लिये ही था ! जिसमें कुछ देश के तथाकथित समाज सुधारक अपने तुरत लाभ के लिये देश के साथ गद्दारी करके शामिल हो गये और एक षडयंत्र
के तहत तंत्र पूजन पध्यति को अंधविश्वास घोषित कर उसके खिलाफ़ कानून बना कर आम समाज को उस विद्या से दूर कर दिया ! यही था अंग्रेजों का सफल षडयंत्र !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Share your love
yogeshmishralaw
yogeshmishralaw
Articles: 1766

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter