इंग्लैड की सभ्यता का संक्षिप्त इतिहास : Yogesh Mishra

हम ज्यादा पीछे नहीं जाते हैं ! मात्र 17वीं सदी की चर्चा करते हैं ! इंग्लैंड के ही इतिहासकार ड्रेपर के अनुसार उस समय “इंग्लैड में किसानों की झोपड़िया नरसलो और झाड़ियों की बनी होती थी, जिनके ऊपर गारा पोत दिया जाता था, घर मे घास जला कर आग पैदा की जाती थी, धुंए के निकलने के लिए कोई जगह नही होती थी ! सड़को पर डाकू फिरते थे और नदियों पर समुद्री लुटेरे, कपड़ो और बिस्तर में जुए !

आम तौर पर लोगो का आहार होता था, मटर, उड़द, जड़े और वृक्षो की छाले ! जिस तरह का समान एक अंग्रेज के घर मे होता था, उससे मालूम होता है कि गांव के पास नदी के किनारे जो ऊदबिलाव मेहनत से मांद बनाकर रहता था उसकी और एक अंग्रेज किसान के हालात में कोई भेद न था !

‘शहर के लोगो की हालत भी गांव के लोगो से बहुत अलग नहीं थी ! शहरियो का बिछोना भूसे का एक थैला होता था और तकिये की जगह लड़की का एक गोला !’ अधिक ठण्ड के कारण पानी की उपलब्धता न होने की वजह से शौच के बाद प्राय: इंग्लैंड निवासी बिना धोये हुये ही बदबू फैलाते हुये ऐसे ही टहला करते थे ! देशी शराब और दूसरे की औरत इनका विशेष शौक था !

युद्ध डकैती लूट ही इनके आय के श्रोत थे ! उसके लिये भी इनके पास पर्याप्त हथियार नहीं थे ! धूर्तता इनके रग रग में बसी थी ! खास मित्रों की या परिवार जन की हत्या आम बात थी ! न तो कोई कारखाना था, और न ही कोई वैद्य, सफाई का भी कही कोई प्रबन्ध न था ! अंग्रेज जाती अशिक्षित थी, कि पार्लियामेंट और हाउस ऑफ लार्ड के बहुत से प्रतिनिधि पढ़ लिख भी नही सकते थे !

लन्दन की गलियों में लालटेन का कहि कोई निशान न था ! टाइन नदी के तट पर रहने वाले लोग अमेरिका के आदिम निवासियों से कही भी कम न थे ! उनकी आधी नंगी स्त्रियां जंगली गाने गया फिरा करती थी, पुरुष अपनी कटार घुमाते हुये नाचा करते थे ! स्वच्छंद यौनाचार को सामाजिक मान्यता थी नहीं तो बलात्कार आम बात थी !

उच्च श्रेणियों में सदाचार की हालत यह थी कि जब भी किसी की मृत्यु होती थी ! तो लोग यही मानते थे कि उसे किसी ने जहर दे कर ही मारा है ! ईसाई पादरियों में भयंकर दुराचार फैला हुआ था ! खुले तौर पर कहा जाता था कि इंग्लैंड में एक लाख से अधिक औरतों को पादरियों ने रखैल बना कर रखा था ! कोई भी पादरी अगर बड़े से बड़ा जुर्म भी करता था तो उसे थोड़ा सा जुर्माना ही देना पड़ता था ! मनुष्य हत्या तक के लिये पादरियों को केवल 6 शिलिंग (करीब 5 रुपये) जुर्माना देना होता था !

लगभग हर घर में डकैत पलते थे ! दूसरे की पत्नी से शाररिक सम्बन्ध बना आम बात थी ! रोज ही गर्भवती स्त्री घरों से निकली जाती थी ! छोटे छोटे बच्चे लूट हत्या आदि किया करते थे ! न तो कोई स्कूल था न ही कोई स्वस्थ्य व्यवस्था थी !

ऐसा था 17वीं सदी का इंग्लैंड जो आज हमें सभ्य बनाने का दावा करते हैं ! इनका सारा विकास भारत की लूट की सम्पत्ति पर टिका हैं ! लेकिन सामाजिक नीचता आज भी कायम है ! उसे वहां का समाज ही नहीं कानून भी मान्यता देता है !

शायद इसीलिये वहां की प्राइवेट ही नहीं सरकारी एजेंसीयां आज भी पूरी दुनियां की हत्या, लूट, नशीली तस्करी, मानव तस्करी आदि में छिपे रूप से शामिल रहती हैं !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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