जानिये ब्रह्मास्मि क्रिया योग साधना क्या है ? Yogesh Mishra

प्रायः मुझसे पूंछा जाता है कि “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” क्या है ! आज हम इसका विस्तार से वर्णन करते हैं ! सृष्टि में प्रकृति की व्यवस्था के तहत कुछ भी अलग-अलग नहीं है ! इस सृष्टि में सभी कुछ एक ही ईश्वरीय तत्व से निर्मित है ! उस एक ईश्वरीय तत्व के अंदर उत्पन्न ने ईश्वरीय कम्पन से हमें वह एक ही तत्व अनेक रूपों में अलग अलग दिखलाई देता है !

आज जो भी कुछ हमारी इंद्रियां अनुभूत करती हैं, वह सभी कुछ उस एक मात्र ईश्वरीय तत्व और ईश्वरीय कम्पन से निर्मित है ! सृष्टि का संचालन उसी एक मात्र ईश्वरीय ऊर्जा से हो रहा है ! ईश्वरीय तत्व में होने वाला यह ईश्वरीय कंपन जिस दिन समाप्त होगा उसी दिन या समस्त ब्रह्माण्ड पुन: सुई की नोक से भी एक करोड़में अंश में समा जायेगा और यह सम्पूर्ण सृष्टि विलीन हो जाएगी !

इसीलिए श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि मुझसे अलग कुछ भी नहीं है ! मैं ही समस्त जगत में विभिन्न रूप में व्याप्त हूं क्योंकि श्रीमद भगवत गीता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ही वह ईश्वरी कंपन की ऊर्जा हैं जो ईश्वरीय तत्व में विद्यमान होकर भिन्न-भिन्न रूप धारण करते हैं !

अर्थात हमारे अंदर भी ईश्वरीय तत्व पंच तत्व के रूप में विद्यमान है ! जिसमें ईश्वरीय ऊर्जा कंपन कर हमें संचालित करती है ! क्योंकि समस्त सृष्टि में सब कुछ ईश्वरीय तत्वों से निर्मित है और सभी में ईश्वरीय कंपन की ऊर्जा विद्यमान है इसलिए सभी जीव, जंतु व पदार्थ उस एक ही ईश्वरीय ऊर्जा से उत्पन्न होने के कारण एक दूसरे से जुड़े हुये हैं ! इसलिए ऊपर से अलग अलग महसूस होने वाले सभी जीव, जंतु, पदार्थ वास्तव में अंदर से एक ही हैं या कहें एक दूसरे से जुड़े हुये हैं !

हम जब “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” की साधना करते हैं, तो हमें अपने अंदर प्रवेश कर अपने ईश्वरीय तत्व का ज्ञान प्राप्त होता है ! तब हम उस ईश्वरीय तत्व के अंदर विद्यमान ईश्वरीय कंपन के सहयोग से अन्य अलग महसूस होने वाले तत्वों ( जीव, जंतु, पदार्थ ) में प्रवेश कर जाते हैं और फिर हमारे लिए सृष्टि में ऐसा कुछ भी नहीं बचता है, जिसका हम स्वयं अनुभूतियां साक्षात्कार न कर सकें !

सृष्टि के समस्त रहस्य को यदि आप जानना चाहते हैं तो “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” ही श्रेष्ठ क्रिया योग है ! जब “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” सिद्ध हो जाता है तो इस सृष्टि में कुछ भी ऐसा नहीं है जो आपको प्राप्त न हो या आप जिसके योग्य न रह गये हो !

“ब्रह्मास्मि क्रिया योग” का साधक संसार के सभी सुखों को भोगता है ! उसे सभी लोग पसन्द करने लगते हैं ! उसके सभी बिगड़े कार्य बनने लगते हैं ! उसे भौतिक जगत में सभी उन्नतिकारक लाभ प्राप्त होते हैं ! नवीन विकासकारी विचारों और चिंतन का उदय होता है ! दैनिक कार्यों में निरंतर लाभ होता है और उसे मित्रों व परिवार का सहयोग प्राप्त होता है ! वह अन्य मित्रों को भी सही राय देता है ! जिससे मित्रों का प्रिय व प्रशंसा का पात्र बनता है और परिवारिक दायित्त्वो की उचित समयानुसार पूर्ति करते और मृत्यु के उपरांत इस प्रकृति की व्यवस्था में एक आत्म संतोषी साधक की तरह समस्त बुद्धि और संस्कार का परित्याग कर मोक्ष को प्राप्त कर लेता है !

इसलिए “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” ही वह श्रेष्ठ पद्धति है जो संसार में आपको समस्त सांसारिक सुख देते हुये मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति भी करवाती है !

संस्थान में “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” पध्यति की साधना करवाई जाती है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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