गुरु कृपा आवश्यक क्यों है : Yogesh Mishra

गुरु में एक ऐसा आध्यात्मिक चुम्बकीय बल होता है कि गुरु के प्रति सम्पूर्ण समर्पण मात्र से ही व्यक्ति की रक्षा स्वत: होने लगती है ! इसलिए गुरु निवास स्थल को आश्रय की सकारात्मक ऊर्जा के कारण आश्रम कहा जाता…
गुरु में एक ऐसा आध्यात्मिक चुम्बकीय बल होता है कि गुरु के प्रति सम्पूर्ण समर्पण मात्र से ही व्यक्ति की रक्षा स्वत: होने लगती है ! इसलिए गुरु निवास स्थल को आश्रय की सकारात्मक ऊर्जा के कारण आश्रम कहा जाता…
एक वैज्ञानिक विश्लेषण आम ज्योतिषियों की अवधारणा है कि व्यक्ति के जन्म के समय ग्रह, पृथ्वी के किस दिशा से पृथ्वी पर अपना प्रकाश कैसा प्रकाश डालते हैं ! उसी के आधार पर व्यक्ति के जीवन की घटनायें घटती हैं…
यह प्रश्न हमेशा से मुझे कचोटता था कि आखिर देश के बंटवारे के समय कश्मीर से खींची गई रेखा ने जब कश्मीर, पंजाब, राजस्थान को दो हिस्से में बांट दिया तो गुजरात के ऊपर थारपारकर जिला, सिंध, पाकिस्तान से यह…
वैष्णव संस्कृति के पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों को सदैव से युद्ध का कारण बतलाया गया है ! फिर चाहे वह राम रावण का युद्ध हो या महाभारत का ! दोनों की वजह अहंकारी पुरुष ने माता सीता और द्रोपती…
भगवान शिव की बहन मां सरस्वती जो कि ब्रह्म संस्कृति की जननी और पालनकर्ता थी ! जिनके प्रतीक रूप में अफगानिस्तान में प्राचीन काल में सरस्वती नदी बहा करती थी अर्थात सरस्वती जल के समान निर्मल थी ! जो विद्या,…
क्या फिलोसोफी दर्शन का अनुवाद है ! ऐसा नहीं है, दोनों अलग अलग हैं ! दुनिया में कोई भी दो शब्द पूरी तरह से एक दूसरे के पर्यायवाची नहीं हो सकते हैं ! दर्शन शब्द भारतीय परंपरा ने गढ़ा है…
एक सूक्ति है “विद्या ददाति विनयम” अर्थात “विद्या से विनय की प्राप्ति होती है ! लेकिन यह सूक्ति गलत है ! विद्या से विनय की प्राप्ति नहीं होती है विद्या से अहंकार की प्राप्ति होती है ! जब व्यक्ति विद्या…
भक्ति काल के दौर में व्यक्ति स्वप्रेरणा से ईश्वर की भक्ति करता था ! इसके लिए सबसे पहले वह अपने आराध्य को समझने की चेष्टा करता था ! जिसके लिए या तो वह शास्त्रों का अध्ययन करता था या फिर…
विश्व के कई देशों ने आज यह सिद्ध कर दिया है कि अब मनुष्य को भगवान की जरूरत नहीं रह गई है ! क्योंकि जिन देशों ने भगवान को नकार दिया है ! वह सभी देश आज पहले से अधिक…
जब किसी भी समाज में धन और सुविधाएं मनुष्य के ज्ञान और विवेक से अधिक हो जाती हैं, तो वह समाज विकृति की ओर बढ़ने लगता है ! भारतीय समाज ने भी यह दौर देखा है ! चोल वंश के…