
ध्यानी होने का भ्रम : Yogesh Mishra
उचित ज्ञान के अभाव में प्राय: व्यक्ति अपने संस्कारों की हठधर्मिता को नहीं पहचान पाता है…
उचित ज्ञान के अभाव में प्राय: व्यक्ति अपने संस्कारों की हठधर्मिता को नहीं पहचान पाता है…
क्रोध और आध्यात्मिक व्यक्ति के मध्य चोली दामन का साथ होता है ! अर्थात कहने का…
सोलहवीं सदी तक एशिया और यूरोप में चेचक, खसरा या प्लेग (काली मौत) जैसी बीमारियाँ आम…
मांसाहारी भोजन क्यों नहीं करना चाहिए : Yogesh Mishra जैसा कि हम सभी जानते हैं कि…
सत्य और सिद्धांत सदैव सापेक्ष होते हैं ! इनका कोई निश्चित स्वरूप नहीं होता है !…
गांधी की मानें तो युद्ध के दो कारण हैं ! हमारी नफरत और लालच बस !…
हर व्यक्ति अनादि काल से किसी न किसी योग्य गुरु का शिष्य बनना चाहता है !…
जिसके अंदर कोई गहराई नहीं, उसे ही बाहर अपने विस्तार हेतु आडंबर की आवश्यकता है !…
आज पूरी दुनिया दो खेमे में बाँट गई है ! एक यह मानती है कि भगवान…