ब्राह्मण तो ब्राह्मण ही है : Yogesh Mishra

ब्राह्मण अनादि काल से अपने धर्म और राष्ट्र का रक्षक रहा है ! जब भी कभी देश पर कोई बड़ी विपत्ति आयी है तब ब्राह्मण ही था ! जिसने आकर देश को संभाला है ! फिर वह चाहे पुष्यमित्र शुंग हो या चाणक्य ! तिलक हों या गोडसे !

विश्व में बढ़ते साम्राज्यवादी सोच के साथ भारत की अपार प्राकृतिक संपदा पर इन वैश्विक व्यवसायिक आतंकवादियों की निगाह लगी हुई है और यह लोग यह जानते हैं कि यदि भारत में ब्राह्मण का सम्मान बना रहेगा तो वह वैश्विक व्यवसायिक आक्रांता भारत के प्राकृतिक संपदा का दोहन नहीं कर पाएंगे !

इसलिए भारत की राजनीति में उन्होंने अपना धनबल, प्रचार बल लगा कर शूद्रों को शासक बनाया और देश का दोहन किया ! जो प्रक्रिया आज भी निजी करण के नाम पर चल रही है !

इस विषय की समझ इन वैश्विक व्यवसायिक आक्रांताओं को सोलहवीं सदी में ही हो गई थी कि यदि ब्राह्मणों को समाज में प्रभाव नहीं किया गया तो वह भारत की प्राकृतिक संपदा पर कब्जा नहीं कर पाएंगे !

इसीलिए सनातन जीवन शैली से ब्राह्मणों के प्रभाव को खत्म करने के लिए मुगलों और अंग्रेजों ने एक हजार से अधिक राजकीय आदेश, शासकीय आदेश, अध्यादेश, नियम, उप नियम, कानून, विधि आदि पिछले 700 सालों में जारी किये ! जिस का सिलसिला आज भी देश की तथाकथित आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी जारी है !

ब्राह्मणों को नष्ट करने के लिए गुरुकुलों को खत्म किया गया ! पूजा पद्धतियों पर प्रतिबंध लगाया गया ! ब्राह्मण रियासतों को बलपूर्वक अधिग्रहित कर उनकी जमीनों को शूद्रों में बांट दिया गया और ब्राह्मण शूद्रों से अपनी जमीन वापस न ले लें ! इसके लिये भी तरह-तरह के ब्राह्मण विरोधी कानून बनाये गये !

ब्राह्मणों को नौकरी से वंचित रखने के लिये आरक्षण व्यवस्था लागू की गई क्योंकि ब्राह्मण बौद्धिक कार्य करता था इसलिए आरक्षण व्यवस्था का सबसे अधिक नुकसान ब्राह्मणों को ही भुगतना पड़ा !
इसके अलावा देश की तथाकथित आजादी के बाद नौकरी में नियुक्ति के अतिरिक्त पदोन्नति में भी ब्राह्मणों को पीछे धकेलने के लिए सैकड़ों कानून बनाए गये !

ब्राह्मण छात्रों से शूद्रों के मुकाबले शिक्षण संस्थाओं में कई गुना अधिक फ़ीस ली गयी ! जिसके सैकड़ों उदहारण आज भी मिल जाते हैं ! ब्राह्मणों का छात्रावास और भोजन भी शूद्रों के मुकाबले कई गुना महंगा है !

आजकल टीवी सीरियल, फिल्म, लेख, पत्र-पत्रिका आदि के माध्यम से भी वर्तमान समाज में ब्राह्मणों को विलियन घोषित करने का एक राष्ट्रीय अभियान साम्राज्यवादी आक्रांताओं के इशारे पर राजनीतिज्ञों की शह पर देश में चलाया जा रहा है !

ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हो रहा है ! पिछले 5000 वर्षों के इतिहास में महाभारत कालीन युद्ध के बाद से ब्राह्मणों को नष्ट करने की योजना विभिन्न धर्म, जाति, संप्रदाय, विदेशी आक्रांताओं के द्वारा की जाती रही है !

लेकिन ब्राह्मण कल भी संघर्ष करके विजय प्राप्त कर रहा था और आगे भी विजय होता रहेगा क्योंकि ईश्वर के द्वारा ब्राह्मण को जो बौद्धिक शक्ति का वरदान प्राप्त है ! वह अन्य किसी भी ब्राहमण विरोधी वर्ग या वर्ण के पास नहीं है !

इसीलिए आज जब मेधावी ब्राह्मणों को राष्ट्र बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है, तो सीमित संसाधनों में ही ब्राह्मण ने विदेशों में जाकर विदेशी उद्योग घरानों की कमान सफलता पूर्वक आत्म सम्मान के साथ संभाल ली ! जहां पर इन ब्राह्मण विरोधियों का कोई बस नहीं चलता है ! बल्कि इनकी औलादें आज वहां भी ब्राह्मणों के रहमों करम पर आश्रित हैं !

इसीलिए मैं कहता हूँ ! ब्राह्मण अपने ब्राह्मणत्व के द्वारा स्थापित है ! न कि किसी अन्य लोग की तरह अपनी लाचारी और बेवसी का रोना रोकर !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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